Assam Politics: असम में पुलिस रेड से पहले अधिकारियों की तलाशी पर विवाद, CM हिमंत सरमा ने बताई कानूनी स्थिति

Assam Politics: असम में पुलिस रेड से पहले अधिकारियों की तलाशी पर विवाद, CM हिमंत सरमा ने बताई कानूनी स्थिति
अंतिम अपडेट: 1 दिन पहले

असम में एक विवादित पुलिस रेड का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें परीक्षा कदाचार और जालसाजी के आरोपी मेघालय स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीएम) के चांसलर महबुबुल हक के निजी सुरक्षा गार्डों को पुलिस अधिकारियों की तलाशी लेते हुए देखा जा सकता हैं। 

नई दिल्ली: असम में एक विवादित पुलिस रेड का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें परीक्षा कदाचार और जालसाजी के आरोपी मेघालय स्थित विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (यूएसटीएम) के चांसलर महबुबुल हक के निजी सुरक्षा गार्डों को पुलिस अधिकारियों की तलाशी लेते हुए देखा जा सकता है। इस पर कई लोगों ने सवाल उठाए, लेकिन मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने इसे कानूनसम्मत करार दिया।

'वॉयस ऑफ असम' नामक एक एक्स (पूर्व में ट्विटर) हैंडल ने इस वीडियो को साझा करते हुए लिखा, "ऐसी अराजकता की उम्मीद बांग्लादेश, पाकिस्तान या फिल्मों में की जा सकती है, लेकिन भारत में नहीं।" इस पोस्ट के बाद कई लोगों ने इस घटना पर असम सरकार की प्रतिक्रिया पर सवाल खड़े किए।

CM सरमा ने दी कानूनी सफाई

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए स्पष्ट किया कि आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) 1973 की धारा 100(3) के तहत, किसी भी व्यक्ति को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि उसके घर पर पुलिस छापेमारी कर रही है, तो वह पुलिस अधिकारियों की पहले तलाशी की मांग कर सकता है। सरमा ने 'वॉयस ऑफ असम' के पोस्ट को रीट्वीट करते हुए लिखा, "यह कानून का हिस्सा है और इसका पालन किया गया हैं।"

महबुबुल हक पर क्या हैं आरोप?

मेघालय के यूएसटीएम विश्वविद्यालय के चांसलर महबुबुल हक को फर्जी जाति प्रमाण पत्र, परीक्षा कदाचार और वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में असम पुलिस ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था। सूत्रों के मुताबिक, हक ने कथित रूप से छात्रों से पैसे लेकर परीक्षा में अनुचित साधनों का उपयोग करने में मदद की थी। 21 फरवरी को असम पुलिस ने उनके गुवाहाटी स्थित घर पर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार किया था।

CM सरमा ने लगाया था ‘बाढ़ जिहाद’ का आरोप

महबुबुल हक पहले भी विवादों में रहे हैं। पिछले मानसून में जब असम में भारी जलभराव हुआ था, तब मुख्यमंत्री हिमंत सरमा ने उन पर "बाढ़ जिहाद" का आरोप लगाया था। सरमा ने दावा किया था कि हक के विश्वविद्यालय ने बड़े पैमाने पर वृक्षों की कटाई कर निर्माण कार्य किया, जिससे इलाके में बाढ़ की समस्या बढ़ गई। उन्होंने आरोप लगाया कि यूएसटीएम बिना परीक्षा आयोजित किए पीएचडी और अन्य डिग्रियां बेच रहा था।

पुलिस रेड के दौरान हुई यह घटना अब कानूनी और राजनीतिक बहस का विषय बन गई है। असम सरकार महबुबुल हक पर लगे आरोपों की विस्तृत जांच कर रही है, वहीं हक के समर्थकों का कहना है कि उनके खिलाफ राजनीतिक साजिश रची जा रही हैं।

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