पटना High Court ने गुरुवार (20 जून) को राज्य सरकार को बड़ा झटका देते हुए आरक्षण कानून में किए गए हाल ही में संशोधन की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली रिट याचिकाओं को रद्द कर दिया है।
पटना News: पटना हाई कोर्ट ने बिहार में आरक्षण का दायरा बढ़ाए जाने वाले राज्य सरकार के फैसले को अस्वीकृत किया है। कोर्ट ने बिहार सरकार को बड़ा झटका देते हुए आज यानि गुरुवार (20 जून) को SC, ST, EBC और OBC को सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 65% आरक्षण देने के संवैधानिक संशोधन वाले कानून को रद्द कर दिया है। अदालत में चीफ जस्टिस के.वी.चंद्रन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने गौरव कुमार और अन्य की दायर याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया।
11 मार्च को सुरक्षित रखा था फैसला
subkuz.com को मिली जानकारी के अनुसार, इस मामले पर पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस की बेंच ने राज्य सरकार द्वारा शिक्षण संस्थानों व सरकारी नौकरियों में SC, ST, EBC और OBC को 65 प्रतिशत आरक्षण देने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए आज यह फैसला सुनाया। जिसमें कोर्ट ने राज्य की नीतीश सरकार के लाये गये कानून को रद्द करने का आदेश जारी किया है।
बता दें कि याचिकाकर्ता गौरव कुमार और अन्य खंडपीठों ने दायर याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान 11 मार्च को फैसला सुरक्षित रख लिया था जिस पर पटना हाईकोर्ट ने आज यानि गुरुवार को सुनवाई की है।
राज्य में क्या था कानून?
बता दें कि दायर याचिका में राज्य सरकार द्वारा 21 नवंबर,2023 को पारित कानून को चुनौती दी गई थी, जिसमें SC, ST, EBC व OBC वर्गों को 65 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है, जबकि बिहार में सामान्य वर्ग की आबादी के लिए केवल 35 प्रतिशत का आरक्षण दिया गया है। जिसमें EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण भी शामिल किया है।
आनुपातिक आधार पर लिया फैसला
वहीं, एडवोकेट दीनू कुमार ने पिछली सुनवाई में कोर्ट में कहा कि सामान्य वर्ग में EWS के लिए 10 प्रतिशत आरक्षण रद्द करना भारतीय संविधान की धारा 14 और धारा 15(6) (b) के खिलाफ है। उन्होंने बताया था कि जातिगत सर्वेक्षण करने के बाद जातियों के अनुपातिक आधार पर यह फैसला लिया गया है, न कि सरकारी नौकरियों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। बताया गया कि बिहार में भी पहले आरक्षण की सीमा 50 प्रतिशत ही थी।