जन सुराज अभियान के नेता प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि अगले छह महीनों में बिहार में केवल जन सुराज की छवि देखने को मिलेगी। उन्होंने बताया कि पिछले दो वर्षों से वे बिहार में काम कर रहे हैं और अब लोगों का विश्वास है कि राज्य में सुधार केवल जन सुराज के माध्यम से संभव हैं।
पटना: प्रशांत किशोर, जो जन सुराज अभियान के सूत्रधार हैं, ने 2 अक्टूबर को एक महत्वपूर्ण बयान दिया। उन्होंने कहा कि अगले छह महीनों में जहां भी लोग खड़े होंगे, वहां केवल जन सुराज की उपस्थिति होगी। उनका यह बयान संगठन के दल बनाने से पहले आया है। किशोर ने बताया कि बिहार में सुधार की आवश्यकता को लेकर उन्होंने यात्रा शुरू की थी, जब लोग उनकी बातों पर विश्वास नहीं कर रहे थे।
उन्होंने यह भी कहा कि उनके आलोचक भले ही कुछ भी कहें, लेकिन उनकी यात्रा लगातार जारी है। अब लोग मानने लगे हैं कि बिहार का सुधार सिर्फ जन सुराज के माध्यम से ही संभव है। उनके समर्थकों का मानना है कि अगर राज्य में बदलाव होगा, तो वह इसी आंदोलन से होगा।
प्रशांत किशोर ने हिला दी बिहार की सियासत
प्रशांत किशोर के हालिया दावों पर जेडीयू और आरजेडी नेताओं की प्रतिक्रियाएँ सामने आ रही हैं। भाजपा नेता आरसीपी सिंह ने तेजस्वी यादव की योग्यताओं पर सवाल उठाते हुए प्रशांत किशोर को चुनौती दी है, यह कहते हुए कि तेजस्वी को जनता ने चुना है और इसलिए किशोर को इस पर सवाल उठाने का कोई अधिकार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने प्रशांत किशोर को आरजेडी की "बी टीम" के रूप में देखा है। वहीं, आरजेडी के नेताओं में भी प्रशांत किशोर के प्रति नाराजगी देखने को मिल रही है। कुछ नेता स्पष्ट रूप से कह रहे हैं कि किशोर का कोई जादू नहीं चलेगा और उनकी योजनाएँ सफल नहीं होंगी।
प्रशांत किशोर ने कहा - '6 महीने बाद जहां देखेंगे वहां...'
प्रशांत किशोर ने हाल ही में कहा कि उनके पास अगले 15 महीने हैं, इसलिए किसी भी प्रकार की घबराहट की आवश्यकता नहीं है। उन्होंने 2 अक्टूबर को अपनी पार्टी के गठन की योजना के बारे में जानकारी दी और दावा किया कि छह महीने बाद, जहां भी लोग देखेंगे, वहां "जन सुराज" ही नजर आएगा। उनका कहना है कि चाहे लोग बैठें, सोएं या खड़े हों, जन सुराज ही प्रमुखता से दिखाई देगा, और वे अभी सिर्फ अपनी पैदल यात्रा शुरू कर रहे हैं।
प्रशांत किशोर का यह बयान बिहार में सुधार के लिए उनकी दीर्घकालिक योजना को दर्शाता है। वे यह विश्वास दिला रहे हैं कि जनता उनकी कोशिशों का समर्थन करेगी। उनकी रणनीति पर जेडीयू और आरजेडी के नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आ रही हैं, जो उनकी योजनाओं को लेकर संदेह प्रकट कर रहे हैं।