CDS Anil Chauhan on war: सीडीएस अनिल चौहान ने युद्ध ट्रेंड को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा- 'आने वाले समय में बदल जाएगा युद्ध लड़ने का तरीका'

CDS Anil Chauhan on war: सीडीएस अनिल चौहान ने युद्ध ट्रेंड को लेकर दिया बड़ा बयान, कहा- 'आने वाले समय में बदल जाएगा युद्ध लड़ने का तरीका'
Last Updated: 21 नवंबर 2024

सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल अनिल चौहान ने भविष्य के युद्धों के बारे में बात करते हुए कहा कि तकनीकी प्रगति के साथ युद्ध की प्रकृति में महत्वपूर्ण बदलाव आएगा। उन्होंने बताया कि युद्ध अब पहले से कहीं ज्यादा जटिल और तकनीकी रूप से उन्नत हो गए हैं, और आने वाले समय में इन बदलावों में और वृद्धि होगी।

नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने इंटरनेशनल सेंटर में भविष्य के युद्ध पर बात करते हुए कहा कि तकनीक के बढ़ते प्रभाव के साथ युद्ध की प्रकृति में परिवर्तनकारी बदलाव आएंगे। उन्होंने यह बताया कि जैसे-जैसे दुनिया में नई तकनीकों का विकास हो रहा है, युद्ध भी अब पहले से अधिक तकनीकी और जटिल होते जाएंगे। आने वाले समय में युद्ध में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), साइबर युद्ध, ड्रोन और स्वायत्त हथियार प्रणालियों का प्रमुख रोल होगा।

जनरल चौहान ने यह भी उल्लेख किया कि ये बदलाव भारत की रक्षा रणनीतियों को भी प्रभावित करेंगे, और भारतीय सशस्त्र बलों ने भविष्य के युद्धों के लिए खुद को तैयार करने के लिए विभिन्न पहलुओं पर काम करना शुरू कर दिया है। उनका मानना है कि भविष्य के संघर्षों में संयुक्त ऑपरेशंस और विभिन्न सैन्य शाखाओं के बीच बेहतर तालमेल की आवश्यकता होगी, जिससे युद्ध की तैयारियों को और अधिक प्रभावी बनाया जा सके।

तीन नए तरीकों से होगा युद्ध- सीडीएस अनिल चौहान 

सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल अनिल चौहान ने सी.डी. देशमुख ऑडिटोरियम में एक महत्वपूर्ण संबोधन में भविष्य के युद्ध की विकसित प्रकृति और भारत की तैयारियों के बारे में विस्तार से चर्चा की। उन्होंने बताया कि युद्ध की प्रकृति में लगातार बदलाव हो रहा है, और इसे आकार देने वाले तीन प्रमुख तकनीकी रुझान सामने आ रहे हैं:

1. रोबोटिक्स और स्वचालन: सीडीएस (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) जनरल अनिल चौहान ने अपने संबोधन में युद्ध की प्रकृति में हो रहे बदलाव पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि युद्ध हमेशा से ही मनुष्यों के बीच एक प्रतियोगिता रही है, जहां हर कोई अपनी तरफ से बेहतर हथियारों, शरीर को सुरक्षा देने वाली सामग्री, जैसे कि बॉडी आर्मर, तलवार, भाला या आधुनिक राइफल से लैस हो सकता था, और बेहतर गतिशीलता हासिल कर सकता था। इसके बावजूद, युद्ध का केंद्रीय तत्व हमेशा मानव ही रहा है, जो अपने विवेक और रणनीति के माध्यम से निर्णय लेता था।

लेकिन अब, जनरल चौहान ने चेतावनी दी कि युद्ध का तरीका अब बदलने वाला है। उन्होंने कहा कि हम एक नए युग की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें अब तक युद्ध केवल मनुष्यों के बीच लड़ा जाता था, लेकिन भविष्य में मशीनों का इसमें अहम स्थान होगा। आने वाले समय में युद्ध के संचालन में मशीनों, जैसे कि रोबोट्स, ड्रोन, और स्वचालित प्रणालियाँ महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। ये तकनीकी परिवर्तन युद्ध की रणनीति, संचालन और परिणामों को पूरी तरह से बदल सकते हैं।

2. गति और वेग: दूसरे ट्रेंड "त्वरित गति" के बारे में बात करते हुए जनरल चौहान ने हाइपरसोनिक तकनीक, ड्रोन और कक्षीय रक्षा प्रणालियों में हो रही प्रगति का उल्लेख किया। उन्होंने बताया कि हाइपरसोनिक मिसाइलों, ग्लाइडर्स और क्रूज आंशिक कक्षीय प्रणाली जैसे प्रौद्योगिकियों के जरिए दुनिया के चारों ओर यात्रा की जा सकती है, और ये सभी स्टील्थ तकनीक से लैस होती हैं, जो दुश्मन के रडार से बचने में मदद करती हैं। इस तकनीकी प्रगति ने युद्ध के मैदान को और अधिक गतिशील और खतरनाक बना दिया है, क्योंकि अब छोटे ड्रोन, जो बहुत कम आकार के होते हैं और दिखाई नहीं देते, उन्हें ट्रैक करना और उन्हें निशाना बनाना अत्यंत कठिन हो गया हैं।

3. युद्ध का बुद्धिमत्तापूर्ण होना: सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने भविष्य के युद्धों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य उन्नत तकनीकों के बढ़ते प्रभाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा, "तीसरा बदलाव युद्ध का बुद्धिमत्तापूर्ण होना है," जिसमें कृत्रिम बुद्धिमत्ता, मशीन लर्निंग, बड़े डेटा, बड़े भाषा मॉडल, सुपरकंप्यूटिंग और एज कंप्यूटिंग जैसी तकनीकों का समावेश है। इन तकनीकों के परिणामस्वरूप युद्ध के मैदान का व्यापक डिजिटलीकरण होगा, जो न केवल युद्ध संचालन को तेज करेगा, बल्कि निर्णय लेने की प्रक्रिया को भी और अधिक सटीक और प्रभावी बनाएगा।

सीडीएस चौहान ने उन्नत सेनाओं के साथ "कैच-अप गेम" से बाहर निकलने के महत्व पर भी बल दिया। उनका कहना था कि भारत का उद्देश्य दुनिया की सबसे उन्नत सेनाओं के साथ सैन्य मामलों में तीसरी क्रांति में प्रवेश करना है। इसके लिए, सशस्त्र बलों के भीतर मानसिकता और सोच में बदलाव की आवश्यकता होगी। यह बदलाव सिर्फ तकनीकी दृष्टिकोण से ही नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है, ताकि भारत युद्ध के मैदान में भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहे।

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