सीएजी रिपोर्ट में डीटीसी की घाटे और खराब प्रबंधन की ओर इशारा, 14,198 करोड़ का परिचालन घाटा, बसों की संख्या घटाई, आधुनिकीकरण में देरी और स्टाफ की कमी सामने आई।
Delhi Budget Session: दिल्ली विधानसभा में सीएजी की ताजा रिपोर्ट के बाद राजनीतिक घमासान बढ़ गया है। बीजेपी ने आम आदमी पार्टी (AAP) के कार्यकाल पर गंभीर आरोप लगाए हैं। रेखा गुप्ता की अगुवाई में बीजेपी की सरकार ने विपक्षी दलों पर आरोप लगाया कि दिल्ली के विभिन्न विभागों में घोटाले हुए हैं, जिनमें शराब और मोहल्ला क्लीनिक के बाद अब दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) की रिपोर्ट सामने आई है।
डीटीसी में घाटा और समस्याओं का ढेर
सीएजी रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली परिवहन निगम (डीटीसी) को लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है, जबकि 2021-22 में 660.37 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ और 15.62 लाख यात्री प्रतिदिन बसों में यात्रा करते हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि डीटीसी के पास कोई व्यवसायिक योजना (Business Plan) या प्रदर्शन मानक (Performance Benchmark) नहीं था, जिसके कारण मुनाफे में लाने के प्रयास नहीं किए गए। इसके परिणामस्वरूप निगम को भारी घाटा हुआ है।
बसों की संख्या घटाई, आधुनिकीकरण में देरी
सीएजी रिपोर्ट में बताया गया कि डीटीसी की बसों की संख्या 2015-16 में 4,344 से घटकर 2022-23 में 3,937 रह गई। वहीं, इलेक्ट्रिक बसों की खरीद में देरी के कारण मात्र 300 नई बसें ही जोड़ी जा सकीं, जबकि फंड उपलब्ध होने के बावजूद आधुनिकीकरण में देरी हुई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि पुरानी बसों की संख्या 44.96% तक बढ़ने से वाहन उत्पादकता पर प्रतिकूल असर पड़ा और बार-बार ब्रेकडाउन की घटनाएं हुईं।
14,198 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा
रिपोर्ट में कहा गया है कि खराब रूट प्लानिंग और ब्रेकडाउन की वजह से सात वर्षों में डीटीसी को 14,198 करोड़ रुपये का परिचालन घाटा हुआ। बसों के नियमित खराब होने और रूट प्लानिंग में खामियों के कारण राजस्व में 668.60 करोड़ रुपये का संभावित घाटा हुआ। इसके साथ ही, किराया निर्धारण की स्वतंत्रता न होने के कारण डीटीसी को अपनी परिचालन लागत को कवर करने में भी समस्या का सामना करना पड़ा।
मैनेजमेंट में कमी और समस्याएं
सीएजी रिपोर्ट के मुताबिक, डीटीसी में प्रबंधन और आंतरिक नियंत्रण की भारी कमी देखी गई। स्टाफ की सही संख्या तय करने की कोई नीति नहीं थी, जिसके कारण महत्वपूर्ण पदों पर भारी कमी रही, जबकि कंडक्टरों की संख्या जरूरत से ज्यादा थी। इसके अलावा, ऑटोमेटिक फेयर सिस्टम और सीसीटीवी की कार्यप्रणाली भी प्रभावी साबित नहीं हो पाई। तुलनात्मक रूप से, DIMTS द्वारा संचालित क्लस्टर बसों ने बेहतर प्रदर्शन किया।
वित्तीय चिंताएं और बजट सत्र
रिपोर्ट में बताया गया कि 225.31 करोड़ रुपये का बकाया राशि वसूल नहीं किया गया और संपत्ति किराया और शुल्क का भी भुगतान नहीं किया गया। इसके अलावा, वसूल न किए गए किराए, गलत टैक्स क्रेडिट दावों, और वाणिज्यिक प्रयोजनों के लिए डिपो स्थानों का कम उपयोग जैसी वित्तीय चिंताएं भी सामने आईं। दिल्ली विधानसभा का बजट सत्र अब शुरू हो चुका है, जिसमें रेखा गुप्ता 28 मार्च तक बजट पेश करेंगी और सीएजी रिपोर्ट पर बहस होगी। यह सत्र हंगामेदार होने की संभावना है, क्योंकि विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी की है।