दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर दिल्ली विधानसभा में लंबित सीएजी रिपोर्ट पेश करने का आग्रह किया है। यह कदम शीतकालीन सत्र के दौरान रिपोर्ट को प्रस्तुत करने के लिए उठाया गया है।
New Delhi: दिल्ली विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान, उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने मुख्यमंत्री आतिशी को पत्र लिखकर कैग की लंबित रिपोर्टों को विधानसभा के पटल पर रखने की मांग की है। यह रिपोर्टें वर्षों से लंबित हैं और सदन में पेश नहीं की गई हैं। उपराज्यपाल ने इससे पहले भी तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और विधानसभा अध्यक्ष रामनिवास गोयल को पत्र लिखकर इन रिपोर्टों को पेश करने का अनुरोध किया था।
पारदर्शिता के मुद्दे पर दिल्ली सरकार पर सवाल
उपराज्यपाल ने पत्र में यह भी लिखा कि दिल्ली सरकार, जो पारदर्शिता और जवाबदेही के मुद्दे पर सत्ता में आई थी, जानबूझकर खर्चों की सार्वजनिक जांच से बच रही है। उन्होंने यह दावा किया कि सरकार ने कई बार इन रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करने का अवसर चूका दिया है। इससे पहले, 17 अगस्त को उपराज्यपाल ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र भेजकर इन रिपोर्टों को पटल पर रखने की मांग की थी।
12 सीएजी रिपोर्ट पर गंभीर आरोप
उपराज्यपाल ने दिल्ली सरकार पर 12 सीएजी रिपोर्ट दबाने का आरोप लगाया है, जो विभिन्न विभागों और मामलों से संबंधित हैं। इनमें वित्त, प्रदूषण, दिल्ली में शराब के विनियमन और आपूर्ति, सार्वजनिक उपक्रमों, शेल्टर होम और सामाजिक कल्याण से संबंधित रिपोर्टें शामिल हैं। कुछ रिपोर्टें 2022 से लंबित हैं। उपराज्यपाल ने इन रिपोर्टों के सार्वजनिक होने को लोकतांत्रिक जवाबदेही और पारदर्शिता के लिए महत्वपूर्ण बताया।
दिल्ली शराब नीति और कैग रिपोर्ट का विवाद
उपराज्यपाल ने विशेष रूप से दिल्ली सरकार की विवादास्पद शराब नीति की ऑडिट रिपोर्ट पर जोर दिया। यह रिपोर्ट 2017-2022 की अवधि के दौरान दिल्ली में शराब की खरीद-बिक्री से संबंधित थी और इसे 4 मार्च 2024 को दिल्ली सरकार को भेजा गया था। इसमें बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे, जिसके बाद केजरीवाल सरकार ने नीति को रद्द कर दिया था। उपराज्यपाल ने लिखा कि ये रिपोर्टें बेहद महत्वपूर्ण हैं और इनका सदन में पेश किया जाना आवश्यक है।
पूर्व मुख्यमंत्री से भी की थी अनुरोध
22 फरवरी 2024 को उपराज्यपाल ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से भी 12 लंबित कैग रिपोर्ट को विधानसभा में पेश किए जाने में देरी के संबंध में पत्र लिखा था। उन्होंने उनसे यह सुनिश्चित करने को कहा कि ये रिपोर्टें विधानसभा के समक्ष पेश की जाएं, जैसा कि दिल्ली सरकार अधिनियम, 1991 और संविधान के अनुच्छेद 151 के तहत आवश्यक है।
दिल्ली सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी की उपेक्षा
उपराज्यपाल ने यह भी कहा कि दिल्ली सरकार द्वारा इन रिपोर्टों को विधानसभा में न रखकर, वह संविधान के तहत अपने दायित्वों की घोर उपेक्षा कर रही है। इस तरह की चूक लोकतांत्रिक जवाबदेही को कमजोर करती है और जनता के अधिकारों का उल्लंघन करती है।