Columbus

Delhi News: प्राइवेट स्कूलों की मनमानी फीस पर लगेगा ब्रेक, एक्ट को मंजूरी

दिल्ली कैबिनेट ने स्कूल फीस एक्ट को मंजूरी दी, जिससे निजी स्कूलों की फीस वृद्धि पर नियंत्रण लगेगा। इस कानून से 1677 स्कूलों के बच्चों और उनके अभिभावकों को राहत मिलेगी।

Delhi News: दिल्ली में पढ़ रहे लाखों बच्चों के अभिभावकों के लिए एक बड़ी खुशखबरी सामने आई है। दिल्ली सरकार की कैबिनेट ने स्कूल फीस एक्ट को मंजूरी दे दी है, जिससे अब निजी स्कूलों की मनमर्जी से की जाने वाली फीस वृद्धि पर लगाम लगेगी। ये फैसला खासकर उन अभिभावकों के लिए बड़ी राहत लाएगा, जो हर साल बढ़ती फीस से परेशान रहते हैं।

अब तक नहीं था फीस नियंत्रण का कोई कानून

दिल्ली में अब तक निजी स्कूलों की फीस निर्धारण और वृद्धि को रेगुलेट करने के लिए कोई स्पष्ट कानून नहीं था। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अभिभावकों की समस्याएं सुनने के बाद इस मुद्दे को गंभीरता से लिया और स्कूलों को नोटिस भी जारी किए। लेकिन स्थायी समाधान के लिए कानून जरूरी था। इसी के तहत 'दिल्ली स्कूल एजुकेशन ट्रांसपरेंसी इन फिक्सेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस-2025' को मंजूरी दी गई है।

65 दिन में तैयार हुआ बिल, 1677 स्कूलों में होगा असर

सरकार का दावा है कि यह बिल सिर्फ 65 दिनों में तैयार किया गया है, जो गुड गवर्नेंस का उदाहरण है। इसके लागू होने से दिल्ली के 1,677 निजी स्कूलों और वहां पढ़ने वाले बच्चों के अभिभावकों को सीधी राहत मिलेगी। इससे पहले 1973 के शिक्षा अधिनियम में फीस वृद्धि पर कोई सख्त नियंत्रण नहीं था।

तीन स्तरीय समिति तय करेगी फीस

इस एक्ट के तहत तीन स्तरों पर समितियां गठित की जाएंगी, जो फीस वृद्धि पर निगरानी रखेंगी:

स्कूल स्तरीय समिति – 10 सदस्यीय कमेटी होगी, जिसमें स्कूल प्रबंधन, शिक्षक और 5 अभिभावक शामिल होंगे। इसमें SC/ST और महिला प्रतिनिधियों की भागीदारी अनिवार्य होगी। यह समिति स्कूल की जरूरतों और इन्फ्रास्ट्रक्चर के आधार पर फीस तय करेगी।

जिला स्तरीय समिति – डिप्टी डायरेक्टर ऑफ एजुकेशन की अध्यक्षता में बनी यह समिति तब एक्टिव होगी जब स्कूल स्तर पर निर्णय न हो पाए।

राज्य स्तरीय समिति – 7 सदस्यीय यह समिति अंतिम अपील की सुनवाई करेगी। यदि स्कूल के 15% अभिभावक किसी निर्णय से असंतुष्ट होंगे, तो वे अपील कर सकते हैं।

नियम तोड़ा तो भारी जुर्माना और मान्यता रद्द

यदि कोई स्कूल इस कानून का उल्लंघन करता है, तो उस पर 1 लाख से 10 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। साथ ही, स्कूल की मान्यता रद्द करने और प्रबंधन को भंग कर सरकार के अधीन लाने तक की कार्रवाई संभव है।

इतना ही नहीं, अगर फीस न देने पर किसी बच्चे को प्रताड़ित किया गया, तो प्रत्येक बच्चे पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। यदि 20 दिन में समाधान नहीं हुआ, तो यह जुर्माना तीन गुना हो जाएगा और स्कूल की मान्यता भी रद्द हो सकती है।

Leave a comment