स्वतंत्रता दिवस पर ध्वजारोहण का मामला अब दिल्ली सरकार और लेफ्टिनेंट गवर्नर (एलजी) के बीच एक नए विवाद का कारण बन गया है। दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट ने मंगलवार को अरविंद केजरीवाल के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर छत्रसाल स्टेडियम में आयोजित होने वाले कार्यक्रम में आतिशी द्वारा ध्वजारोहण करने की इच्छा व्यक्त की थी।
नई दिल्ली: स्वतंत्रता दिवस (15 अगस्त) पर तिरंगा फहराने का मुद्दा आम आदमी पार्टी की सरकार और राजनिवास के बीच नए विवाद का कारण बन गया है। स्वतंत्रता दिवस पर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की अनुपस्थिति में कैबिनेट मंत्री आतिशी छत्रसाल स्टेडियम में ध्वजारोहण नहीं कर सकेंगी। दिल्ली सरकार के जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (जीएडी) ने मंगलवार (१३ अगस्त) को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया, जिसमें उन्होंने स्वतंत्रता दिवस पर छत्रसाल स्टेडियम में आयोजित कार्यक्रम में अपनी जगह आतिशी को ध्वजारोहण करने की अनुमति देने की इच्छा व्यक्त की थी।
जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट याचिका पर क्या कहां
दिल्ली सरकार के कैबिनेट मंत्री गोपाल राय ने सोमवार को तिहाड़ जेल में मुख्यमंत्री केजरीवाल से मुलाकात के बाद सामान्य प्रशासन विभाग (जीएडी) को एक लिखित आदेश जारी किया। इस आदेश में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आतिशी द्वारा ध्वजारोहण की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया। जनरल एडमिनिस्ट्रेशन डिपार्टमेंट (GAD) ने मंत्री गोपाल राय को उत्तर देते हुए कहां है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा 15 अगस्त को राष्ट्रीय ध्वज फहराने के लिए आतिशी को अधिकृत करने का निर्देश कानूनी दृष्टि से मान्य नहीं है और इस पर कोई कार्रवाई नहीं की जा सकती। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि तिहाड़ जेल से केजरीवाल का पत्र लिखना और ऐसी चर्चाएं करना स्वीकार्य नहीं है. ऐसा करना नियमों के खिलाफ हैं।
एलजी को पत्र भेजने पर तिहाड़ ने जताई आपत्ति
तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा उपराज्यपाल वीके सक्सेना को भेजे गए पत्र पर जेल प्रशासन ने आपत्ति जताई है। मुख्यमंत्री ने दिल्ली सरकार के स्वतंत्रता दिवस कार्यक्रम में उनकी जगह आतिशी द्वारा ध्वजारोहण करने के संबंध में यह पत्र लिखा था। जेल संख्या-दो के अधीक्षक ने इस मामले में मुख्यमंत्री को विचाराधीन कैदी के रूप में नौ अगस्त को एक पत्र भेजा है, जिसमें कहां गया है कि यह विशेषाधिकारों का दुरुपयोग है। विचाराधीन कैदी दिल्ली जेल नियमों के कानूनी प्रविधानों द्वारा नियंत्रित होते हैं, जो उनके अधिकारों और विशेषाधिकारों को सीमित करते हैं।
जेल नियमावली के अनुसार आपका संदेश जेल के बाहर भेजे जाने वाले स्वीकार्य संचार की श्रेणी में नहीं आता है। जेल प्रशासन ने इस बात पर भी नाराजगी और आश्चर्य व्यक्त किया कि छह अगस्त को मुख्यमंत्री द्वारा सौंपे गए पत्र की विषय-वस्तु को बिना किसी अधिकार के बाहर लीक कर दिया गया। जेल अधीक्षक ने मुख्यमंत्री को ऐसी किसी भी अनुचित गतिविधि से दूर रहने की सलाह दी और कहां कि विशेषाधिकारों का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, वरना विशेषाधिकारों को कम करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा।