Doctor Murder Case: कोलकाता रेप-मर्डर केस के बाद बढ़ गई Central Protection Act की मांग, जानिए एक्ट में सजा के क्या हैं प्रविधान?

Doctor Murder Case: कोलकाता रेप-मर्डर केस के बाद बढ़ गई Central Protection Act की मांग, जानिए एक्ट में सजा के क्या हैं प्रविधान?
Last Updated: 15 अगस्त 2024

कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में पिछले शुक्रवार को 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्या की घटना हुई। इस हादसे के बाद से चिकित्सकों में भारी आक्रोश उत्पन्न हो गया है। चिकित्सा संस्थानों में सुरक्षा को पुख्ता करने की मांग और विरोध प्रदर्शनों के बीच डॉक्टर मेडिकल पेशेवरों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की अपील कर रहे हैं।

नई दिल्ली: कोलकाता में 31 वर्षीय महिला डॉक्टर के साथ हुई दुष्कर्म और हत्या ने पूरे देश में भारी आक्रोश उत्पन्न किया है। इस निर्मम घटना के बाद डॉक्टरों और छात्रों ने बेहतर सुरक्षा उपायों की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। आरजी कर मेडिकल कॉलेज में घटित हुई इस घटना ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अत्यधिक दबाव वाली स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में डॉक्टरों को किस प्रकार की हिंसा और उत्पीड़न का सामना करना पड़ता हैं।

डॉक्टरों ने की 'सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट' की मांग

देशभर में विरोध प्रदर्शनों के चलते डॉक्टर अस्पताल और मेडिकल कर्मियों की सुरक्षा के लिए एक केंद्रीय कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने स्वास्थ्य मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में बताया है कि सभी 25 राज्यों में डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए कानून मौजूद हैं, लेकिन उन पर कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं हो रही है। कई प्रदर्शनकारी डॉक्टरों ने डॉक्टरों के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम (Central Protection Act) की भी मांग की है। इस प्रस्तावित बिल में बिना वारंट गिरफ्तारी, 5 लाख रुपये तक का जुर्माना और 5 साल तक की सजा का प्रावधान शामिल हैं।

क्या हैं 'सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट'?

हेल्थकेयर पेशेवरों और क्लिनिकल संस्थानों के खिलाफ हिंसा की रोकथाम विधेयक, 2022 जिसे 'डॉक्टरों के लिए केंद्रीय सुरक्षा अधिनियम' भी कहा जाता है. बता दें यह विधेयक दो साल पहले लोकसभा में पेश किया गया था। इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों के खिलाफ होने वाले हिंसात्मक कृत्यों को परिभाषित करना और ऐसे कृत्यों के लिए सजा निर्धारित करना है। डॉक्टरों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए इस विधेयक की मांग की जा रही है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह बिल पारित हो जाता है, तो स्वास्थ्य कर्मियों के खिलाफ होने वाली हिंसा को गैर-जमानती अपराध घोषित किया जाएगा। इससे इस प्रकार की घटनाओं की रोकथाम में काफी मदद मिलेगी।

इस एक्ट में क्या-क्या है शामिल?

सेंट्रल प्रोटेक्शन एक्ट में हिंसा के कृत्यों की पहचान करना, हिंसा को रोकने के उपायों को लागू करना, दंडनीयता और सजा की स्थापना करना, ऐसे कृत्यों की अनिवार्य रिपोर्टिंग करना और सार्वजनिक संवेदनशीलता को बढ़ावा देना शामिल है। इसमें पंजीकृत चिकित्सक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ, दंत चिकित्सक, नर्सिंग पेशेवर, चिकित्सा और नर्सिंग के छात्र, संबंधित स्वास्थ्य पेशेवर और अस्पतालों में सहायक स्टाफ शामिल होंगे।

विधेयक क्यों नहीं हुआ पारित?

जब यह विधेयक 2022 में संसद में पेश किया गया था, उस दौरान तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया था कि सरकार ने इसे आगे बढ़ाने का निर्णय नहीं लिया है। वर्तमान में केवल महामारी रोग (संशोधन) अध्यादेश, 2020 लागू है, जिसके अंतर्गत हिंसा या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर अपराधी को 3 से 5 साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही 50 हजार से लेकर 2 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लगाया जा सकता हैं।

 

 

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