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Farmers Protest: किसान आंदोलन के कारण अंबाला जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद, 9 दिसंबर तक रहेगा प्रतिबंध

Farmers Protest: किसान आंदोलन के कारण अंबाला जिले में इंटरनेट सेवाएं बंद, 9 दिसंबर तक रहेगा प्रतिबंध
अंतिम अपडेट: 06-12-2024

किसान आंदोलन के मद्देनज़र अंबाला जिले के शंभू बार्डर के आसपास कुछ इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। यह इंटरनेट सेवा शुक्रवार से लेकर 9 दिसंबर तक निलंबित रहेगी। इस संबंध में प्रदेश सरकार ने आधिकारिक आदेश जारी किए हैं।

Farmers Protest: पंजाब और हरियाणा से भारी संख्या में किसान दिल्ली कूच के लिए पैदल मार्च पर निकले हैं। इस आंदोलन को देखते हुए अंबाला जिले में शंभू बॉर्डर के आसपास कई इलाकों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं। शुक्रवार से लेकर 9 दिसंबर तक इंटरनेट सेवाएं निलंबित रहेंगी। इस आदेश को प्रदेश सरकार ने जारी किया है। अंबाला जिले के डंगदेहरी, लोहगढ़, मानकपुर, डडियाना, बारी घेल, लहर्स, कालू माजरा, देवी नगर, सद्दोपुर, सुल्तानपुर और काकरू क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा बंद रहेगी।

किसान आंदोलन की प्रमुख मांगें

किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी समेत कई अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार एमएसपी की गारंटी दे और कर्ज माफी समेत किसानों के लिए अन्य लाभकारी योजनाएं लागू करे। किसान नेताओं का कहना है कि उनका मार्च पूरी तरह से शांतिपूर्ण रहेगा।

अंबाला में सुरक्षा कड़ी, स्कूल बंद

अंबाला जिले में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है, जहां भारी संख्या में सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत आदेश जारी कर दिया गया है, जिसमें पांच या उससे अधिक व्यक्तियों की किसी भी गैरकानूनी सभा पर रोक लगा दी गई है।

इसके अलावा, अंबाला के सरकारी और निजी स्कूलों को शुक्रवार को बंद रखने का आदेश जारी किया गया है। राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर शंभू बॉर्डर के पास बहुस्तरीय अवरोधक और पानी की बौछारें की व्यवस्था की गई है।

किसानों की 13 फरवरी से चल रही लड़ाई जारी

संयुक्त किसान मोर्चा और किसान मजदूर मोर्चा के बैनर तले किसानों का यह आंदोलन पहले से जारी है। किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल द्वारा खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन भी जारी है। किसानों की मांगों में कर्ज माफी, पेंशन, बिजली दरों में वृद्धि रोकने, और 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय की मांग शामिल है। किसानों ने 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की है।

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