अमित मालवीय ने कांग्रेस नेता जयराम रमेश के पोस्ट पर जवाब देते हुए कहा कि "प्रतिक्रिया देने से पहले पढ़ना हमेशा अच्छा होता है।" उन्होंने रमेश द्वारा उल्लिखित दस्तावेजों का हवाला देते हुए यह कहा कि इन दस्तावेजों में लिखा है कि "अभियोग में लगाए गए आरोप, तब तक आरोपी ही रहते हैं, जब तक वे साबित न हो जाएं।"
न्यूज़ दिल्ली: अमेरिकी अभियोजकों द्वारा भारतीय अरबपति गौतम अडानी और उनकी कंपनियों से जुड़े लोगों पर आरोप लगाए जाने के बाद भारत की राजनीति में हलचल मच गई है। कांग्रेस ने सरकार पर गौतम अदाणी को बचाने का आरोप लगाया और इस मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) से जांच कराने की मांग की। कांग्रेस का कहना है कि सरकार ने जानबूझकर अदाणी समूह के खिलाफ कार्रवाई में ढील दी हैं।
वहीं, भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा कि कांग्रेस को अति-उत्साही नहीं होना चाहिए और मामले को राजनीतिक रंग नहीं देना चाहिए। भाजपा का कहना है कि आरोपों की जांच चल रही है और इसे राजनीतिक रूप से भड़काने की कोई आवश्यकता नहीं है। दोनों दलों के बीच इस मुद्दे पर तीखी बयानबाजी जारी हैं।
अमित मालवीय ने कांग्रेस को दिया करारा जवाब
भा.ज.पा. नेता अमित मालवीय ने कांग्रेस के आरोपों का तीखा जवाब देते हुए सोशल मीडिया पर एक पोस्ट साझा किया। उन्होंने कांग्रेस नेता जयराम रमेश द्वारा किए गए दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा कि, "प्रतिक्रिया देने से पहले दस्तावेज़ों को ठीक से पढ़ना बेहतर होता है।" उन्होंने जयराम रमेश द्वारा उद्धृत दस्तावेज़ों का हवाला देते हुए कहा कि, "अभियोग में लगाए गए आरोपों को तब तक आरोपी माना जाता है, जब तक वे साबित न हो जाएं। आरोप साबित होने तक किसी को निर्दोष माना जाता हैं।"
अमित मालवीय ने कांग्रेस को घेरते हुए कहा कि जिन राज्यों का उल्लेख किया गया है, वे सभी उस समय विपक्षी कांग्रेस या उसके सहयोगियों द्वारा शासित थे। इसलिए उन्होंने कांग्रेस को सलाह दी कि वह दूसरों को उपदेश देने की बजाय, कांग्रेस और उसके सहयोगियों द्वारा प्राप्त रिश्वत के बारे में जानकारी प्रदान करे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या कोई भारतीय अदालत अमेरिकी फर्मों को रिश्वत देने के आरोप में दोषी ठहरा सकती है, विशेष रूप से यदि यह आरोप अमेरिकी अधिकारियों द्वारा लगाए गए हों।
मालवीय ने आगे कहा कि इस स्थिति में क्या हमें कानून को अपना काम करने देना चाहिए और संबंधित कंपनियों को किसी विदेशी देश की घरेलू राजनीति में हस्तक्षेप करने का अवसर नहीं देना चाहिए। उन्होंने कांग्रेस को चेतावनी दी कि वह बेवजह उत्साहित न हो और ध्यान रखें कि यह कार्रवाई संसद सत्र और डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद से ठीक पहले हुई है, जो कई सवाल उठाती है। भाजपा नेता ने कांग्रेस से यह भी कहा कि वह जॉर्ज सोरोस और उनके गुटों के हाथों की कठपुतली नहीं बने।
क्या हैं मामला?
अमित मालवीय ने अदाणी समूह पर लगे आरोपों का बचाव करते हुए विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि आरोप का मुख्य बिंदु यह है कि अमेरिकी कंपनी एज्योर पावर और भारतीय कंपनी अदाणी ग्रीन एनर्जी के बीच सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (SECI) से जुड़ा एक समझौता हुआ था, जिसमें 12 गीगावाट बिजली की आपूर्ति तय की गई थी। इसमें एज्योर पावर को 4 गीगावाट और अदाणी ग्रीन एनर्जी को 8 गीगावाट आवंटित किया गया था।
मालवीय ने कहा कि सोलर एनर्जी कॉरपोरेशन का राज्य बिजली वितरण कंपनियों (SDC) के साथ समझौता था, लेकिन महंगी बिजली के कारण राज्य वितरण कंपनियां इसे खरीदने के लिए तैयार नहीं थीं। इसलिए, अदाणी ने अमेरिकी फर्म एज्योर पावर के साथ मिलकर 2021 के जुलाई से 2022 के फरवरी तक ओडिशा, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश में वितरण कंपनियों को करीब 26 करोड़ डॉलर का भुगतान किया।