हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले नेताओं का दल बदलने का सिलसिला तेज हो गया है और टिकट वितरण को लेकर नाराजगी के चलते कई नेता अपने दलों को छोड़ रहे हैं। पलवल में भाजपा के जिला उपाध्यक्ष रविंद्र सहरावत ने भाजपा छोड़कर जननायक जनता पार्टी (जजपा) का दामन थाम लिया हैं।
पलवल: हरियाणा विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में टिकट वितरण को लेकर नाराजगी और बगावत के सुर तेज होते जा रहे हैं। हथीन विधानसभा सीट से टिकट न मिलने के कारण भाजपा जिला उपाध्यक्ष रविंद्र सहरावत ने पार्टी छोड़कर जननायक जनता पार्टी (जजपा) में शामिल हो गए हैं। नई दिल्ली में जजपा के प्रमुख और हरियाणा के पूर्व उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने उन्हें पार्टी का पटका पहनाकर स्वागत किया। रविंद्र सहरावत भाजपा से हथीन सीट के लिए टिकट की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने दिल्ली पुलिस से वीआरएस लेकर आए मनोज रावत को उम्मीदवार बनाया। इससे नाराज होकर सहरावत ने जजपा का दामन थाम लिया।
सहरावत ने अब आगे की रणनीति तय करने के लिए अपने समर्थकों की बैठक बुलाई है, जिसमें यह तय होगा कि वे चुनाव लड़ने का फैसला करेंगे या नहीं। हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों पर 5 अक्टूबर को मतदान होगा और 8 अक्टूबर को मतगणना की जाएगी, जिससे सहरावत का फैसला चुनावी समीकरणों को प्रभावित कर सकता हैं।
भाजपा ने मनोज रावत को दिया टिकट
भाजपा ने दिल्ली पुलिस से वीआरएस लेकर राजनीति में आए मनोज रावत को हथीन विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। मनोज रावत दिल्ली पुलिस में हेड कॉन्स्टेबल के पद पर तैनात रहे और अपराध शाखा में काम किया। उन्होंने 2022 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) लेकर राजनीति में कदम रखा। वीआरएस के बाद, उन्होंने भाजपा में शामिल होने का निर्णय लिया और अब पार्टी के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में हैं। मनोज रावत की पुलिस पृष्ठभूमि और भाजपा में उनकी हाल की सक्रियता ने उन्हें हथीन विधानसभा सीट के लिए पार्टी का उम्मीदवार बना दिया हैं।
किसान मोर्चा गांव-गांव जाकर करेगा भाजपा का विरोध
संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा के खिलाफ व्यापक प्रचार अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। पलवल में आयोजित पंचायत में यह निर्णय सर्वसम्मति से लिया गया। पंचायत की अध्यक्षता बादाम सिंह ने की और संचालन मास्टर महेन्द्र सिंह चौहान ने किया। इस बैठक में निम्नलिखित निर्णय और बयानों पर जोर दिया गया:
* भाजपा विरोधी प्रचार: 17 सितंबर को गांव-गांव जाकर भाजपा उम्मीदवारों के खिलाफ प्रचार किया जाएगा। यह संकल्प लिया गया कि किसानों और गांववालों को भाजपा सरकार की नीतियों के खिलाफ जागरूक किया जाएगा और सरकार के खिलाफ एक अभियान चलाया जाएगा।
* शहीद भगत सिंह जयंती: 28 सितंबर को शहीद भगत सिंह की जयंती को पूंजीपति और साम्राज्यवाद विरोधी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया। यह दिवस किसानों और अन्य समूहों के लिए पूंजीवादी नीतियों के खिलाफ एक मंच प्रदान करेगा।
* कृषि विरोधी नीतियां: किसान नेताओं ने कहा कि हिंदुस्तान आज भी कृषि प्रधान देश है और देश की आधी से अधिक आबादी खेती पर निर्भर है। हालांकि, सरकार की नीतियों के कारण खेती घाटे का सौदा बनती जा रही है। एमएसपी (मिनिमम सपोर्ट प्राइस) की गारंटी नहीं दी गई और किसानों के कर्ज माफी के वादे पूरे नहीं किए गए।
* किसान आंदोलन की बदनामी: नेताओं ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने 13 महीने चले ऐतिहासिक किसान आंदोलन को तरह-तरह के आरोप लगाकर बदनाम किया। इस बैठक में किसान-मजदूर एकता और भाजपा सरकार को चुनाव में सबक सिखाने की रणनीति पर जोर दिया गया है। इस आंदोलन के तहत किसान अपनी समस्याओं और विरोध को चुनावी प्रक्रिया में प्रभावी रूप से उठाने का प्रयास करेंगे।