हरियाणा में भाजपा की लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी ने एक बार फिर पार्टी की मजबूत स्थिति को साबित कर दिया है। लोकसभा चुनाव में बहुमत से दूर रहने के बाद कई राजनीतिक विश्लेषक यह मान रहे थे कि भाजपा का ग्राफ गिर रहा हैं।
नई दिल्ली: हरियाणा में भाजपा की बंपर जीत ने पार्टी को आत्मविश्वास से भर दिया है। 48 सीटों के साथ भाजपा ने बहुमत हासिल कर लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी की है, जो राज्य की राजनीति में एक बड़ी सफलता मानी जा रही है। हरियाणा में भाजपा की इस जीत ने यह साबित किया है कि पार्टी का जनाधार अब भी मजबूत है, और राज्य की जनता ने उसकी नीतियों और नेतृत्व पर भरोसा जताया हैं।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में भी भाजपा को भारी वोट शेयर मिलने से पार्टी गदगद है। हालांकि, यहां नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस गठबंधन ने 15 साल बाद सरकार बनाने का रास्ता साफ किया है, फिर भी भाजपा के लिए इस क्षेत्र में मिले वोट शेयर का महत्व बड़ा है। यह भाजपा के लिए एक संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में उसकी लोकप्रियता बढ़ रही है और आने वाले समय में पार्टी इस क्षेत्र में और बेहतर प्रदर्शन करने की कोशिश करेगी।
हरियाणा तीसरी बार भजपा सरकार
हरियाणा में भाजपा की लगातार तीसरी बार सत्ता में वापसी ने उसे इतिहास में एक नया मुकाम दिलाया है, क्योंकि राज्य के गठन के बाद से कोई भी पार्टी ऐसा करने में सफल नहीं हुई। इस सफलता ने भाजपा को एक मजबूत स्थिति में ला खड़ा किया है, खासकर जब लोकसभा चुनाव में पार्टी बहुमत से दूर रह गई थी।हरियाणा की इस बंपर जीत ने न केवल भाजपा का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि यह संदेश भी दिया है कि पार्टी के प्रति जनता का समर्थन अब भी मजबूत है। इससे आगामी तीन राज्यों के चुनावों में भाजपा की रणनीतियों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, क्योंकि पार्टी इस जीत का उपयोग अपने चुनावी अभियान में एक मजबूत आधार के रूप में करेगी।
भाजपा की यह जीत यह भी दर्शाती है कि वह अपने संगठनात्मक ढांचे और चुनावी रणनीतियों को सफलतापूर्वक लागू कर रही है, और इससे अन्य राज्यों में भी पार्टी को फायदा हो सकता हैं।
भाजपा की नजर अब इन तीन राज्यों पर
भाजपा कार्यकर्ताओं की डबल मेहनत की तैयारी के पीछे एक बड़ा कारण है: आने वाले चार महीनों में महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्ली में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन चुनावों में भाजपा अपनी चुनावी रणनीतियों को मजबूती से लागू करने की योजना बना रही है, ताकि पार्टी अपनी स्थिति को बनाए रख सके। चुनाव आयोग द्वारा दशहरे के बाद महाराष्ट्र और झारखंड में चुनावी तारीखों की घोषणा की उम्मीद है। महाराष्ट्र विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर 2024 को खत्म होने जा रहा है, जबकि झारखंड का कार्यकाल 5 जनवरी 2025 को समाप्त होगा।
इस समयावधि में भाजपा अपने कार्यकर्ताओं को चुनावी मैदान में उतरने के लिए तैयार कर रही है, ताकि वे अधिकतम वोट बैंक हासिल कर सकें। साथ ही, 6 राज्यों में 28 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की तारीखों की घोषणा भी इस चुनावी दौर के साथ की जा सकती हैं।
महाराष्ट्र में भाजपा को मिल सकती है कड़ी चुनौती
महाराष्ट्र में एनडीए की सरकार का सामना कई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। वर्तमान में भाजपा, शिवसेना के शिंदे गुट और एनसीपी (अजित पवार गुट) के गठबंधन में सरकार है, लेकिन चुनावी परिदृश्य में कुछ प्रमुख मुद्दे सामने आए हैं:
* एंटी इन्कंबेंसी और मराठा आरक्षण: भाजपा को एंटी इन्कंबेंसी का सामना करना पड़ेगा, जिसका अर्थ है कि मौजूदा सरकार के खिलाफ लोगों की असंतोष की भावना हो सकती है। इसके अलावा, मराठा आरक्षण का मुद्दा भी महत्वपूर्ण है, जिसे सुलझाना भाजपा के लिए आवश्यक होगा।
* लोकसभा चुनाव के परिणाम: पिछली लोकसभा चुनावों में, महाराष्ट्र की 48 सीटों में से INDIA गठबंधन ने 30 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि NDA को केवल 17 सीटें मिली थीं। यदि महाविकास अघाड़ी (MVA) इसी तरह की सफलता विधानसभा चुनाव में भी प्राप्त करती है, तो यह 288 सीटों में से लगभग 160 सीटें जीत सकती हैं।
* सहानुभूति का मुद्दा: उद्धव ठाकरे और शरद पवार के नेतृत्व में शिवसेना और एनसीपी में संभावित तोड़फोड़ के बाद, उन दोनों नेताओं के साथ लोगों की सहानुभूति बढ़ सकती है। यह स्थिति NDA के लिए एक और चुनौती पेश करती हैं।
जल्द होंगे इन सीटों पर उप चुनाव
विधानसभा चुनावों के साथ-साथ उपचुनावों की भी घोषणा की जा सकती है, जिसमें विभिन्न राज्यों की सीटें शामिल हैं। उपचुनावों में जिन राज्यों की सीटों पर चुनाव होने की संभावना है, वे निम्नलिखित हैं:
* उत्तर प्रदेश: 10 सीटें
* राजस्थान: 6 सीटें
* पंजाब: 5 सीटें
* मध्य प्रदेश: 2 सीटें
* बिहार: 4 सीटें
* छत्तीसगढ़: 1 सीट
दिल्ली में केजरीवाल दे सकते है कांटे की टक्कर
दिल्ली में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा के लिए सबसे बड़ी चुनौती आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल होंगे। हालांकि, हाल में कथित शराब घोटाले के चलते आम आदमी पार्टी कुछ कमजोर पड़ी है, लेकिन केजरीवाल की लोकप्रियता और उनकी राजनीतिक रणनीति भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती बनी रहेगी। दिल्ली विधानसभा का कार्यकाल 23 फरवरी 2025 को खत्म होगा, और चुनावों से पहले कई आम आदमी पार्टी के नेताओं, जिनमें मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और अन्य मंत्री शामिल हैं, को भ्रष्टाचार के मामलों में जेल जाना पड़ा हैं।
भाजपा इस मुद्दे को अपने राजनीतिक अभियान का हिस्सा बनाने की कोशिश कर सकती है। भाजपा को दिल्ली के चुनाव में एक महत्वपूर्ण चुनौती मुफ्त बिजली और पानी जैसे केजरीवाल के प्रमुख मुद्दों का सामना करना होगा। पार्टी को यह समझना होगा कि कैसे इन लाभों के प्रभाव को कम किया जाए और आम जनता के बीच अपनी विचारधारा और योजनाओं को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जाए।