Haryana Election Update: क्या विधानसभा चुनाव में आएंगे बदलाव? भाजपा ने बरवाला-उकलाना सीट के लिए अपनाई नई रणनीति

Haryana Election Update: क्या विधानसभा चुनाव में आएंगे बदलाव? भाजपा ने बरवाला-उकलाना सीट के लिए अपनाई नई रणनीति
Last Updated: 16 घंटा पहले

विधानसभा चुनाव में समीकरण तेजी से बदलते दिखाई दे रहे हैं। जिले की सात विधानसभा सीटों में से बरवाला-उकलाना पर सभी की विशेष नजर है। इसका मुख्य कारण यह है कि बरवाला से अब तक कोई भी विधायक दूसरी बार नहीं चुना गया है। बरवाला विधानसभा के मतदाताओं ने हमेशा नए विधायक को चुनकर विधानसभा में भेजा है।

Haryana Election:  हरियाणा चुनाव में अब कुछ ही दिन रह गए हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुटी हुई हैं। इसी संदर्भ में, भाजपा ने बरवाला-उकलाना सीट पर जीत हासिल करने के लिए एक नई रणनीति अपनाई है। गौरतलब है कि बरवाला और उकलाना दोनों ही विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा पहले जीत नहीं पाई है। अब भाजपा ने इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में नए चेहरों को आगे लाया है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने विधायकों पर भरोसा करती दिखाई दे रही है।

भाजपा ने नए चेहरों पर किया भरोसा

वहीं, बरवाला और उकलाना दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा जीत हासिल नहीं कर सकी है। अब इन दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा ने नए चेहरों को आगे बढ़ाया है, जबकि कांग्रेस अपने पुराने विधायकों पर दांव लगा रही है। चुनाव में बरवाला और उकलाना सीटें बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती हैं। इन दोनों सीटों पर कांग्रेस, जजपा और इनेलो का कब्जा रहा है। बरवाला विधानसभा सीट को अगर देखें, तो यह हरियाणा के गठन के साथ ही चुनावों का हिस्सा रही है।

मतदाताओं की विकास के प्रति नई सोच

पुरानी सीट होने के कारण 1967 और 1968 में दोनों चुनाव कांग्रेस के प्रत्याशी ने जीते थे। लेकिन, यह सीट किसी भी नेता को दोबारा नहीं भायी है। इस सीट के मतदाता काफी अनोखी सोच रखते हैं। विकास के प्रति नई सोच के साथ, मतदाता ने हर बार नए विधायक को विधानसभा में भेजा है। जिले में मौजूद सभी सातों सीटों में यह एकमात्र सीट है जहां कोई विधायक दूसरी बार नहीं चुना गया।

इसलिए, इस बार का चुनाव भी काफी अलग रहने की उम्मीद है। भाजपा ने इस सीट को जीतने के लिए नई रणनीति के तहत नलवा के पूर्व विधायक रणबीर गंगवा को यहां से उम्मीदवार बनाया है। कांग्रेस ने इस सीट पर पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला को उतारा है। वहीं, इनेलो भी इस सीट को जीतने की चाहत रखती है, उनके द्वारा समाजसेवी संजना सातरोड को यहां पर टिकट दिया गया है।

उकलाना में भाजपा नेताओं की अनुपस्थिति पर चिंता

उकलाना और बरवाला दोनों विधानसभा क्षेत्रों में भाजपा का प्रत्याशी अभी तक एक बार भी जीत नहीं सका है। भाजपा ने इस सीट को लेकर जो रणनीति बनाई है, वह कितनी सफल होगी, यह देखना दिलचस्प होगा। उकलाना में, भाजपा ने दो बार से विधायक रहे अनूप धानक को फिर से टिकट दिया है, लेकिन स्थानीय भाजपा नेताओं ने उन्हें पसंद नहीं किया। वहीं, बरवाला में गंगवा को स्थानीय नेताओं का समर्थन प्राप्त है।

रेलूराम निर्दलीय उम्मीदवार के रूप की जीत हासिल

बरवाला सीट से 1996 में निर्दलीय प्रत्याशी रेलूराम ने शानदार जीत हासिल की थी। उनकी जीत का अंतर भी उल्लेखनीय था। रेलूराम ने एक आकर्षक नारा दिया था, "रेलूराम की रेल चली, बिन पानी बिन तेल चली।" यह नारा उस समय काफी प्रसिद्ध हुआ था और चुनाव में इसका गहरा प्रभाव देखा गया।

बरवाला के दो विधायक सांसद बनकर पहुंचे लोकसभा

बरवाला सीट से ऐसे दो विधायक रहे हैं, जिन्होंने बाद में हिसार लोकसभा में सांसद बनने का गौरव प्राप्त किया। इनमें से पहला विधायक सुरेंद्र बरवाला हैं, जिन्होंने 1987 में जीत हासिल की। दूसरा विधायक जय प्रकाश हैं, जिन्होंने 2000 में चुनाव जितकर सांसद बने। जय प्रकाश के अलावा, उनके भाई भी इस सीट से विधायक रह चुके हैं।

 

 

 

 

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