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हरियाणा में कांग्रेस की नई रणनीति! बिना नेता के भी बीजेपी को घेरा, हुड्डा का रोल अहम

हरियाणा में कांग्रेस की नई रणनीति! बिना नेता के भी बीजेपी को घेरा, हुड्डा का रोल अहम
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस बिना विधायक दल के नेता के भी आक्रामक रही। हुड्डा ने विपक्ष की भूमिका निभाई, लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस के अंदरूनी मतभेदों पर चुटकी ली।

Haryana News: हरियाणा विधानसभा के बजट सत्र में कांग्रेस इस बार पूरी तरह से आक्रामक अंदाज में नजर आई। हालांकि, पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती विधायक दल के नेता की अनुपस्थिति रही। कांग्रेस के विधायकों ने कई बार हाईकमान से नेता घोषित करने की मांग की, लेकिन इसे अनसुना कर दिया गया। इसके बावजूद पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विपक्ष के नेता की भूमिका बखूबी निभाई और सत्ता पक्ष को जवाब देते रहे।

सत्ता पक्ष ने कसा तंज

सत्ता पक्ष के मंत्रियों और मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने हुड्डा को विपक्ष का नेता कहकर संबोधित किया, लेकिन बीजेपी ने बार-बार कांग्रेस पर चुटकी लेते हुए पूछा कि पार्टी अब तक अपना विधायक दल का नेता क्यों घोषित नहीं कर पाई। विधानसभा की कार्यवाही के दौरान कई बार सत्ता पक्ष ने कांग्रेस की इस कमजोरी को उजागर करने का प्रयास किया।

आक्रामक रहे ये कांग्रेस विधायक

बजट सत्र के दौरान कांग्रेस के 38 में से 23 विधायकों ने मोर्चा संभाले रखा। भूपेंद्र सिंह हुड्डा, अशोक अरोड़ा, रघुबीर कादियान, गीता भुक्कल, आफताब अहमद, जस्सी पेटवाड, शकुंतला खटक, मोहम्मद इलियास और बीबी बत्रा पूरे सत्र में आक्रामक रुख अपनाए रहे। खासकर रमजान के दौरान भी आफताब अहमद समेत कई मुस्लिम विधायक सदन में सक्रिय नजर आए और सरकार से तीखे सवाल पूछे।

कांग्रेस हाईकमान की प्राथमिकता क्या?

हरियाणा कांग्रेस प्रभारी बीके हरिप्रसाद ने विधानसभा सत्र के दौरान दो बार चंडीगढ़ का दौरा किया। इस दौरान कांग्रेस विधायकों ने उनसे मुलाकात कर विधायक दल का नेता घोषित करने की मांग की। लेकिन हरिप्रसाद ने स्पष्ट किया कि फिलहाल कांग्रेस हाईकमान की प्राथमिकता संगठन को मजबूत करना है, न कि विधायक दल का नेता नियुक्त करना।

हुड्डा के खिलाफ अंदरूनी मोर्चा

सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस के भीतर ही कुछ विधायक अपने लिए पैरवी कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर कुमारी शैलजा और रणदीप सुरजेवाला जैसे वरिष्ठ नेता भी हुड्डा के खिलाफ रणनीति बना रहे हैं। हुड्डा इस आंतरिक राजनीति को भलीभांति समझते हैं और फिलहाल चुप्पी साधे हुए हैं। वे नहीं चाहते कि पार्टी के अंदरूनी मतभेद खुलकर सामने आएं।

बीजेपी का तंज और कांग्रेस की रणनीति

मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने सदन में तंज कसते हुए कहा कि उनकी नजर में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ही हैं, लेकिन कांग्रेस उन्हें आधिकारिक रूप से यह जिम्मेदारी क्यों नहीं सौंप रही? इस पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा भी किया, लेकिन बीजेपी के इस तंज का कोई ठोस जवाब नहीं दिया जा सका।

बिना नेता के कांग्रेस कितनी मजबूत?

यह दूसरी बार है जब कांग्रेस को बिना विधायक दल के नेता के विधानसभा सत्र में शामिल होना पड़ा। इससे पहले शीतकालीन सत्र में भी कांग्रेस बिना विपक्ष के नेता के मौजूद थी। अब सवाल यह उठ रहा है कि जब तक कांग्रेस का संगठन पुनर्गठित नहीं हो जाता, तब तक विधायक दल का नेता घोषित होगा या नहीं?

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