हरियाणा में वक्फ बोर्ड को दी गई जमीनों पर सरकार की नजर, सीएम सैनी ने दिए जांच के आदेश

हरियाणा में वक्फ बोर्ड को दी गई जमीनों पर सरकार की नजर, सीएम सैनी ने दिए जांच के आदेश
अंतिम अपडेट: 11 घंटा पहले

हरियाणा में वक्फ बोर्ड को दी गई जमीनों का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मुद्दे पर गंभीरता दिखाते हुए एक उच्च स्तरीय जांच कमेटी का गठन किया है। सरकार यह जानना चाहती है कि किन परिस्थितियों में राज्य की सार्वजनिक (शामलात) जमीनों को वक्फ बोर्ड को सौंपा गया और इस प्रक्रिया में कोई अनियमितता तो नहीं हुई।

चंडीगढ़: हरियाणा में वक्फ बोर्ड को दी गई जमीनों का मुद्दा गरमाता जा रहा है। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया है। सरकार यह पता लगाना चाहती है कि किन परिस्थितियों में राज्य की सार्वजनिक (शामलात) जमीनों को वक्फ बोर्ड को सौंपा गया और क्या इसमें कोई अनियमितता हुई है। जांच के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी, जिसमें जमीनों को वापस लेने का भी फैसला हो सकता है। विपक्ष ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है, जिससे सियासी घमासान तेज होने के आसार हैं।

कमेटी करेगी पूरे मामले की गहन जांच

सीएम सैनी ने स्पष्ट किया कि हरियाणा की शामलात जमीनों की गहन समीक्षा की जाएगी। इसके लिए करनाल मंडलायुक्त और रोहतक जिला उपायुक्त को जांच कमेटी का हिस्सा बनाया गया है। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि यदि कोई गड़बड़ी हुई है, तो जमीन को वक्फ बोर्ड से वापस लिया जाए।

विधानसभा में भी उठा था मुद्दा

इससे पहले, विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा था कि यदि किसी भी गांव की शामलात भूमि को वक्फ बोर्ड को सौंपा गया है, तो उसकी गहन जांच की जाएगी। रोहतक-गोहाना मार्ग पर स्थित पीर बोधी की जमीन को लेकर भी सरकार सतर्क है और इसकी समीक्षा के लिए अलग से जांच बैठाई गई है।

विपक्ष ने सरकार को घेरा

इस मुद्दे पर कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया कि पूर्व की सरकारों ने कुछ गांवों की सार्वजनिक भूमि को वक्फ बोर्ड को सौंपने में अनियमितताएं की थीं। सरकार अब उन फैसलों की समीक्षा कर रही है और यदि कोई गड़बड़ी पाई गई, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

क्या होगा आगे?

मुख्यमंत्री सैनी ने साफ किया है कि सरकार हरियाणा के हर गांव की शामलात जमीनों की जांच करेगी और जो भी फैसले पारदर्शिता के खिलाफ होंगे, उन्हें रद्द किया जाएगा। जांच कमेटी जल्द ही अपनी रिपोर्ट पेश करेगी, जिसके आधार पर अगली कार्रवाई की जाएगी। इस मुद्दे पर विपक्ष और सत्ताधारी दल के बीच सियासी घमासान तेज होने के आसार हैं।

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