India Air Force: भारतीय वायुसेना को मिलेगी नई ताकत; रक्षा मंत्रालय से 114 फाइटर जेट्स की खरीद को मिली हरी झंडी

India Air Force: भारतीय वायुसेना को मिलेगी नई ताकत; रक्षा मंत्रालय से 114 फाइटर जेट्स की खरीद को मिली हरी झंडी
अंतिम अपडेट: 6 घंटा पहले

भारतीय वायुसेना अपने बेड़े को और मजबूत करने के लिए अगले 5 से 10 वर्षों में 114 नए फाइटर जेट शामिल करेगी। रक्षा मंत्रालय की एक उच्च स्तरीय समिति ने इस महत्वाकांक्षी योजना को मंजूरी दे दी हैं।

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) की ताकत आने वाले वर्षों में और अधिक बढ़ने वाली है। रक्षा मंत्रालय ने 114 नए लड़ाकू विमानों की खरीद को मंजूरी दे दी है, जिससे भारत की हवाई सुरक्षा को नई ऊंचाइयां मिलेंगी। यह कदम उन पुराने फाइटर जेट्स को बदलने के लिए उठाया गया है, जो अगले दशक में अपनी सेवा से रिटायर होने वाले हैं। इस फैसले से वायुसेना की स्क्वाड्रन शक्ति को बनाए रखने में मदद मिलेगी और भारत की आसमानी ताकत पहले से अधिक सशक्त होगी।

पुराने लड़ाकू विमानों की जगह लेंगे आधुनिक फाइटर जेट

भारतीय वायुसेना के कई पुराने लड़ाकू विमान जैसे जगुआर, मिराज-2000 और मिग-29 अगले 10-12 सालों में सेवा से बाहर हो जाएंगे। ऐसे में रक्षा मंत्रालय ने नए विमानों की खरीद के लिए टेंडर प्रक्रिया को हरी झंडी दे दी है। नए लड़ाकू विमानों को चरणबद्ध तरीके से अगले 5-10 वर्षों में वायुसेना में शामिल किया जाएगा।

सूत्रों की मानें तो राफेल, एफ-16, ग्रिपेन, यूरोफाइटर टाइफून और मिग-31 जैसे विमान इस टेंडर में शामिल हो सकते हैं। ये सभी विमान पहले भी भारतीय वायुसेना के टेंडर प्रक्रिया में भाग ले चुके हैं। रक्षा मंत्रालय इस बार विशेष रूप से ऐसे विमानों को प्राथमिकता देगा जो अत्याधुनिक तकनीक और आधुनिक युद्धक क्षमताओं से लैस होंगे।

2047 तक स्क्वाड्रन संख्या बढ़ाने की योजना

भारत की रक्षा रणनीति को और मजबूत करने के लिए भारतीय वायुसेना ने साल 2047 तक अपनी स्क्वाड्रन संख्या को 60 तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। फिलहाल, भारतीय वायुसेना के पास केवल 36 राफेल फाइटर जेट्स हैं, जो 4.5 जनरेशन के अत्याधुनिक विमान हैं। लेकिन भविष्य की जरूरतों को देखते हुए पांचवीं पीढ़ी के फाइटर जेट्स को वायुसेना में शामिल करने की योजना बनाई जा रही हैं।

इसके अलावा, स्वदेशी हल्के लड़ाकू विमान (LCA) तेजस के नए संस्करण - मार्क 1ए और मार्क 2 को भी भारतीय वायुसेना में शामिल किया जाएगा। इससे वायुसेना की आत्मनिर्भरता बढ़ेगी और देश की रक्षा क्षमता को और अधिक मजबूती मिलेगी।

नई खरीद से भारत की वायु शक्ति होगी अजेय

रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा भारतीय वायुसेना को आने वाले वर्षों में दुनिया की सबसे आधुनिक और मजबूत एयरफोर्स में शामिल करने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा। भारत के लिए यह सिर्फ फाइटर जेट्स खरीदने की योजना नहीं है, बल्कि यह उसकी रणनीतिक और सामरिक बढ़त को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण फैसला हैं।

रक्षा मंत्रालय इस बात को लेकर भी विचार कर रहा है कि इन विमानों को 'मेक इन इंडिया' पहल के तहत स्वदेश में ही असेंबल और निर्मित किया जाए। इससे देश में रक्षा उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा और भारत की आत्मनिर्भरता और रक्षा क्षमता में उल्लेखनीय सुधार होगा।

Leave a comment