श्रीमती इंदिरा गांधी का नाम भारतीय राजनीति में एक अत्यंत महत्वपूर्ण और ऐतिहासिक स्थान रखता है। वे न केवल भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं, बल्कि उनके नेतृत्व में देश ने कई महत्वपूर्ण राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन देखे। उनकी राजनीतिक यात्रा संघर्षों, निर्णयों और चैलेंजों से भरी हुई थी, और उनका योगदान भारतीय राजनीति में अमिट छाप छोड़ने वाला था।
इंदिरा गांधी के समर्थकों द्वारा किया गया यह हाईजैक एक ऐसा चौंकाने वाला घटना था, जिसने न केवल भारत, बल्कि दुनिया भर को हैरान कर दिया। यह घटना 1978 की है, जब इंदिरा गांधी सत्ता से बेदखल हो चुकी थीं और देश में आपातकाल का प्रभाव अभी भी मौजूद था। उनके कई समर्थक इस स्थिति से बेहद दुखी थे और किसी भी हाल में उन्हें जेल से रिहा करना चाहते थे।
कैसे हुआ यह हाईजैक
यह हाईजैक दो युवकों, भोलानाथ पांडेय और उनके दोस्त देवेंद्र पांडेय ने मिलकर किया। वे इंदिरा गांधी के कट्टर समर्थक थे और उनके जेल में होने से बेहद नाखुश थे। इन दोनों ने सोच लिया कि अगर वे किसी विमान को हाईजैक कर लेते हैं, तो सरकार पर दबाव बना सकते हैं और इंदिरा गांधी को रिहा करने के लिए मजबूर कर सकते हैं।
साल 1978 में, दोनों युवक एक हवाई जहाज में सवार हुए, और जैसे ही विमान ने उड़ान भरी, उन्होंने एक टॉय गन (खिलौना बंदूक) और एक क्रिकेट की गेंद के साथ पायलट को धमका दिया। वे दोनों ये चीजें असली हथियार की तरह पेश कर रहे थे, ताकि पायलट और यात्रियों पर दबाव बनाया जा सके। पायलट और अन्य यात्री डर गए, और युवकों की बात मान ली।
क्या हुआ आगे
हाईजैकर्स ने पायलट से मांग की कि उन्हें इंदिरा गांधी के पास ले जाया जाए। लेकिन भारतीय सरकार ने उनकी मांगों को पूरी तरह से नकार दिया और उन्हें समझाने की कोशिश की। कई घंटे की बातचीत और दबाव के बाद, दोनों युवकों ने आत्मसमर्पण कर दिया। हालांकि, उनकी यह कार्रवाई इंदिरा गांधी को जेल से रिहा करने के लिए कोई ठोस परिणाम नहीं लेकर आई।
इस घटना का प्रभाव
यह घटना भारत में एक बड़ी सनसनी बनी और लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि कोई व्यक्ति केवल एक खिलौने की बंदूक और क्रिकेट की गेंद से एक हवाई जहाज को हाईजैक कर सकता है। इसने देश की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाए और इस घटना ने यह भी साबित कर दिया कि लोग अपने नेताओं के प्रति किस हद तक समर्पित हो सकते हैं।
हाईजैक का राजनीतिक लाभ
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, भोलानाथ पांडेय को इस हाईजैक के बाद कुछ राजनीतिक लाभ भी मिला। कांग्रेस पार्टी ने उन्हें विधानसभा चुनाव का टिकट दिया और वह उत्तर प्रदेश के बलिया जिले की दोआबा विधानसभा सीट से दो बार (1980 और 1989) विधायक बने। इसके बाद, 2014 में उन्होंने सलेमपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ा, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा।
यह घटना आज भी भारतीय राजनीति और इतिहास में एक दिलचस्प और हैरान करने वाली घटना के रूप में याद की जाती है, जो यह दर्शाती है कि किस तरह कुछ लोग अपने नेता के प्रति दीवानगी में अतिवादी कदम उठा सकते हैं।