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जम्मू-कश्मीर में कुदरत का कहर, रामबन में बादल फटने से तबाही, तीन की मौत

जम्मू-कश्मीर में कुदरत का कहर, रामबन में बादल फटने से तबाही, तीन की मौत
अंतिम अपडेट: 2 दिन पहले

जम्मू-कश्मीर एक बार फिर प्राकृतिक आपदा की चपेट में आ गया है। रामबन जिले में रविवार तड़के बादल फटने और मूसलाधार बारिश के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से भारी तबाही हुई है। धरमकुंड क्षेत्र सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, जहां लगभग 40 घरों को क्षति पहुंची है।

Ramban Landslide: जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर मौसम का कहर देखने को मिला है। भारी बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवाओं ने कई जिलों में जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। कई जगहों पर नालों के उफान से गांवों में पानी भर गया, जबकि कुछ इलाकों में भूस्खलन की वजह से सड़कें बंद हो गईं। सबसे ज्यादा असर रामबन जिले में देखने को मिला, जहाँ रातभर हुई तेज हवाओं और ओलावृष्टि के कारण कई जगहों पर भूस्खलन हुए। नेशनल हाईवे भी मलबा आने की वजह से अवरुद्ध हो गया है। इसी दौरान तीन लोगों की मौत हो गई, जबकि कई परिवारों की संपत्तियों को नुकसान पहुंचा है।

धरमकुंड में कहर का मंजर

रविवार की सुबह रामबन जिले के धरमकुंड इलाके में अचानक नाले का जलस्तर बढ़ गया और पानी रिहायशी इलाकों में घुस गया। कुछ ही मिनटों में बाढ़ जैसी स्थिति बन गई, जिससे गांव के लगभग 90 से 100 लोग फंस गए। प्रशासन और स्थानीय पुलिस की तत्परता से सभी लोगों को समय रहते बचा लिया गया। हालांकि 10 घर पूरी तरह से तबाह हो गए और 25 से 30 घर आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।

एनएच-44 पर भूस्खलन, यातायात ठप

भारी बारिश के चलते जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग (NH-44) पर नाशरी से बनिहाल तक लगभग एक दर्जन जगहों पर भूस्खलन हुआ है। सड़कों पर गिरे मलबे और पत्थरों के कारण दोनों ओर से यातायात को रोक दिया गया है। यातायात विभाग ने यात्रियों को सलाह दी है कि वे मौसम साफ होने और मार्ग पूरी तरह से साफ हो जाने तक यात्रा स्थगित रखें।

कुलगाम में पुलिस की सतर्कता से बची कई जानें

रामबन के अलावा, कुलगाम जिले के गुलाब बाग और काज़ीगुंड क्षेत्र में भी भारी बारिश ने तबाही मचाई। यहां के कई घरों में पानी भर गया, जिससे चार परिवार फंस गए थे। SHO के नेतृत्व में स्थानीय पुलिस ने न सिर्फ समय पर रेस्क्यू किया बल्कि पानी की दिशा बदलकर आगे की क्षति को टालने में सफलता पाई। लगभग 4 से 5 घरों को सुरक्षित किया गया, जिससे एक बड़ी त्रासदी टल गई।

सांसद और प्रशासन की प्रतिक्रिया

रामबन से सांसद ने जिला प्रशासन के प्रयासों की सराहना की और बताया कि वे लगातार डिप्टी कमिश्नर बसीर-उल-हक चौधरी के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि पीड़ितों को हर संभव सहायता दी जा रही है, चाहे वह आर्थिक हो या राहत सामग्री। जरूरत पड़ने पर सांसद निधि से भी मदद दी जाएगी। साथ ही जनता से अपील की गई कि वे अफवाहों पर ध्यान न दें और प्रशासन के साथ मिलकर इस आपदा से निपटें।

मौसम विभाग की चेतावनी

भारतीय मौसम विभाग (IMD) ने अगले 48 घंटों के लिए जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में 'रेड अलर्ट' जारी किया है। विभाग ने चेतावनी दी है कि ऊपरी इलाकों में भारी वर्षा, ओलावृष्टि और तेज हवाएं जारी रह सकती हैं, जिससे बाढ़ और भूस्खलन की स्थिति और गंभीर हो सकती है। नदियों और नालों के जलस्तर पर लगातार निगरानी रखी जा रही है।

प्रशासन की तैयारियां और चुनौतियां

रामबन और कुलगाम जिलों में राहत और बचाव कार्य युद्धस्तर पर जारी हैं। अस्थायी राहत शिविरों की व्यवस्था की जा रही है, जहां लोगों को भोजन, पानी और चिकित्सा सुविधाएं दी जा रही हैं। हालांकि खराब मौसम और दुर्गम इलाकों में संचार बाधाएं राहत कार्यों में कठिनाई पैदा कर रही हैं। फिर भी स्थानीय पुलिस, सेना, एनडीआरएफ और प्रशासन की टीमें पूरी मुस्तैदी से जुटी हुई हैं।

जनजीवन पर असर

भारी बारिश और बाढ़ से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। स्कूलों को बंद कर दिया गया है और बाजार भी ठप्प हैं। कई जगहों पर बिजली और संचार व्यवस्था बाधित हुई है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग डर के साए में जी रहे हैं, खासकर बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोगों के लिए स्थिति और भी चिंताजनक है।वैज्ञानिकों और आपदा विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर जैसे पर्वतीय क्षेत्रों में जलवायु परिवर्तन के चलते इस तरह की घटनाएं अब सामान्य होती जा रही हैं। 

तेज बारिश, अचानक बादल फटना और भूस्खलन अब बार-बार होने लगे हैं। यह एक चेतावनी है कि पर्यावरणीय संतुलन और जल प्रबंधन को लेकर सरकार और नागरिकों को मिलकर गंभीर प्रयास करने होंगे।

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