राम मंदिर के लिए पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में हुआ। वे पिछले एक साल से बीमार थे। संघ ने उन्हें प्रथम कार सेवक का दर्जा दिया था।
Kameshwar Chaupal Death: श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के ट्रस्टी और राम मंदिर के लिए पहली ईंट रखने वाले कामेश्वर चौपाल का निधन दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में हुआ। वे पिछले एक साल से बीमार थे। कामेश्वर चौपाल को संघ ने उनके संघर्ष को देखते हुए प्रथम कार सेवक का दर्जा दिया था।
बिहार के सुपौल में हुआ था जन्म
कामेश्वर चौपाल का जन्म बिहार के सुपौल जिले के कमरैल गांव में हुआ था। उन्होंने 9 नवंबर 1989 को अयोध्या में श्रीराम मंदिर के निर्माण के लिए पहली ईंट रखी थी। इस महत्वपूर्ण दिन पर देशभर से आए हजारों साधु-संतों और लाखों कारसेवकों की मौजूदगी में यह ऐतिहासिक कदम उठाया गया था। उस समय वे विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के संयुक्त सचिव थे।
राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका
कामेश्वर चौपाल ने राम मंदिर आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 9 नवंबर 1989 को पहली ईंट रखने के बाद वे देशभर में चर्चा का विषय बने। उनकी यह पहल राम मंदिर आंदोलन के लिए मील का पत्थर साबित हुई। 9 नवंबर 2019 को राम मंदिर के पक्ष में फैसला आया और 22 जनवरी 2024 को राम लला के भव्य मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की गई।
राजनीतिक यात्रा और संघर्ष
कामेश्वर चौपाल ने शिलान्यास के बाद भाजपा में शामिल होकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की। 1991 में वे बिहार के रोसड़ा सुरक्षित लोकसभा सीट से भाजपा के उम्मीदवार बने, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। फिर 1995 में वे बेगूसराय के बखरी विधानसभा सीट से भी चुनाव लड़े, लेकिन वे फिर से हार गए।
विधान परिषद सदस्य के रूप में योगदान
साल 2002 में भाजपा ने उन्हें बिहार विधान परिषद का सदस्य बनाया, और वे 2014 तक इस पद पर रहे। इसके अलावा, वे भाजपा के प्रदेश महामंत्री भी रहे। 2009 के चुनाव में उन्होंने 'रोटी के साथ राम' का नारा दिया, जो राजनीतिक हलकों में चर्चा का कारण बना।
धर्मगुरुओं द्वारा चुने गए पहले दलित नेता
कामेश्वर चौपाल ने खुद बताया था कि उन्हें शिलान्यास के लिए पहली ईंट रखने का निर्णय तब लिया गया था जब धर्मगुरुओं ने यह तय किया कि एक दलित से यह कार्य करवाया जाएगा। यह उनके लिए एक संयोग था कि वह स्वयं इस ऐतिहासिक कार्य का हिस्सा बने।
कामेश्वर चौपाल का संघर्ष और उनकी भूमिका भारतीय राजनीति और राम मंदिर आंदोलन में हमेशा याद रखी जाएगी। उनकी योगदान ने समाज के विभिन्न वर्गों को एकजुट किया और राम मंदिर निर्माण के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए।