Kerala: केरल में बढ़ता नशे का जाल! स्कूलों से लेकर डार्क वेब तक फैला ड्रग्स कारोबार, केस में हुआ नया खुलासा

Kerala: केरल में बढ़ता नशे का जाल! स्कूलों से लेकर डार्क वेब तक फैला ड्रग्स कारोबार, केस में हुआ नया खुलासा
अंतिम अपडेट: 10 घंटा पहले

केरल में नशे की समस्या भयावह हो गई है। ड्रग्स की तस्करी डार्क वेब, क्रिप्टोकरेंसी और सुपरबाइक डिलीवरी से बढ़ रही है। स्कूल-कॉलेजों तक फैलते नशे पर सख्त कार्रवाई जरूरी है।

Kerala: केरल में नशे की समस्या भयावह होती जा रही है। राज्य में ड्रग्स का कारोबार अब सिर्फ बड़े शहरों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह स्कूलों और कॉलेजों तक भी पहुंच चुका है। नशीले पदार्थों की उपलब्धता इतनी आसान हो गई है कि अब यह सामाजिक ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने लगी है। घरेलू कलह बढ़ रहे हैं, पारिवारिक रिश्तों में तनाव बढ़ रहा है और यहां तक कि यौन शोषण जैसे अपराधों में भी वृद्धि देखी जा रही है।

केरल में पंजाब से भी खराब हालात

केरल में नशे की स्थिति अब पंजाब से भी बदतर हो चुकी है। 2024 में केरल में 24,517 ड्रग्स से जुड़े मामले दर्ज किए गए, जबकि पंजाब में यह संख्या 9,734 थी। केरल उच्च न्यायालय के न्यायाधीश वीजी अरुण ने भी इस पर गंभीर चिंता जताई और कहा कि राज्य की विधानसभा को इस समस्या पर चर्चा के लिए अपना सामान्य कामकाज स्थगित करना पड़ा। उन्होंने कहा, "अब यह समस्या स्कूलों तक पहुंच गई है, जो बेहद चिंताजनक है।"

तीन सालों में 330% बढ़े ड्रग्स के मामले

केरल में 2021 से 2024 तक ड्रग्स के मामलों में 330% की बढ़ोतरी हुई है। अब पारंपरिक नशीले पदार्थों के बजाय लोग सिंथेटिक ड्रग्स जैसे MDMA और क्रिस्टल का उपयोग अधिक कर रहे हैं। सबसे खतरनाक बात यह है कि ड्रग्स लेने वालों में स्कूली बच्चे, कॉलेज के छात्र और यहां तक कि डॉक्टर तक शामिल हो रहे हैं। शैक्षणिक संस्थान अब नशे के नए केंद्र बन चुके हैं। ड्रग्स अब कैंडीज, आइसक्रीम और चॉकलेट के रूप में बेचे जा रहे हैं, जिससे इनकी पहचान करना और भी मुश्किल हो गया है।

ड्रग्स कहां से आ रहे हैं?

केरल में गांजा, हेरोइन, इंजेक्शन के अलावा अब सिंथेटिक ड्रग्स का चलन तेजी से बढ़ा है। राज्य में जब्त किए गए नशीले पदार्थों में MDMA सबसे अधिक है। यह ज्यादातर बेंगलुरु और चेन्नई से तस्करी करके लाया जाता है। इसके अलावा, केरल की 590 किलोमीटर लंबी तटरेखा भी ड्रग्स की तस्करी के लिए एक बड़ा जरिया बन चुकी है। समुद्री रास्ते से यहां बड़े पैमाने पर ड्रग्स की आपूर्ति हो रही है।

सुपरबाइक, QR कोड और गुमनाम लेनदेन का बढ़ता चलन

केरल में ड्रग्स की डिलीवरी के लिए हाई-स्पीड सुपरबाइक्स का इस्तेमाल किया जा रहा है। देर रात को कोच्चि और अन्य प्रमुख शहरों में सुपरबाइक्स दौड़ती नजर आती हैं, जो एक संगठित ड्रग सप्लाई नेटवर्क का हिस्सा होती हैं। अधिकतर डिलीवरी एजेंट 18 से 24 साल के युवा होते हैं, जो नकली नंबर प्लेट वाली बाइक्स से ड्रग्स सप्लाई करते हैं। एक डिलीवरी के लिए इन्हें 1,000 रुपये तक मिल सकते हैं और ये एक रात में 4,000 रुपये तक कमा लेते हैं।

डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी से हो रहा ड्रग्स का व्यापार

केरल में ड्रग्स का एक बड़ा हिस्सा डार्क वेब और क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से खरीदा-बेचा जा रहा है। अपराधी सोशल मीडिया के जरिए खरीदारों से संपर्क करते हैं और पेमेंट क्रिप्टोकरेंसी के जरिए होता है, जिससे इन्हें ट्रैक करना बेहद मुश्किल हो जाता है। यह नेटवर्क अब स्कूलों और कॉलेजों तक भी फैल चुका है, जिससे छात्र सबसे बड़े शिकार बन रहे हैं।

केरल में ड्रग्स की समस्या के पीछे छिपे कारण

केरल में नशे की बढ़ती लत के पीछे कई कारण हैं।

बेरोजगारी और निराशा: युवाओं के लिए रोजगार के अवसरों की कमी और बढ़ती बेरोजगारी उन्हें नशे की ओर धकेल रही है।
शिक्षा और सामाजिक दबाव: पढ़ाई और करियर के दबाव के चलते छात्र तनाव में आ रहे हैं और नशे का सहारा ले रहे हैं।
आसानी से उपलब्धता: ड्रग्स की सप्लाई आसान हो गई है, जिससे युवा आसानी से इसका शिकार बन रहे हैं।
डिजिटल प्लेटफॉर्म का दुरुपयोग: सोशल मीडिया और डार्क वेब के जरिए ड्रग्स का व्यापार बढ़ा है, जिससे इनकी खरीद-फरोख्त आसान हो गई है।

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