भारत ने लगातार यह कहा है कि जब तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति स्थापित नहीं होती, तब तक चीन के साथ रिश्ते सामान्य नहीं हो सकते। गतिरोध के निपटारे के लिए दोनों देशों के बीच अब तक कोर कमांडर स्तर की 21 दौर की वार्ता हो चुकी हैं। भारत, पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) पर देपसांग और देमचोक क्षेत्रों से अपने सैनिकों को हटाने का दबाव बना रहा हैं।
New Delhi : क्या भारत-चीन सीमा पर एक बार फिर कुछ बड़ा होने वाला है? क्या भारत और चीन के बीच अभी भी पहले जैसा तनाव बना हुआ है? क्या दोनों पक्षों की ओर से सैन्य वापसी के बाद भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ है? अगर स्थिति सुधरी है, तो फिर थल सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी यह बयान क्यों देते हैं कि सीमा पर हालात अभी भी सामान्य नहीं हैं? सेना प्रमुख के इस बयान से स्पष्ट होता है कि चीन अपनी गतिविधियों से बाज नहीं आ रहा है। इसलिए, भारतीय सेना भी चीन को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए हर समय तैयार हैं।
पूर्वी लद्दाख की स्थिति स्थिर, लेकिन विवाद जारी
आर्मी चीफ जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने जब सीमा पर वर्तमान स्थिति के बारे में सवाल का उत्तर दिया, तो उन्होंने कहा कि पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर स्थिति स्थिर है, लेकिन यह संवेदनशील बनी हुई है और सामान्य नहीं है। जनरल द्विवेदी ने यह भी बताया कि हालांकि विवाद के समाधान के लिए दोनों पक्षों के बीच कूटनीतिक वार्ता से एक "सकारात्मक संकेत" प्राप्त हो रहा है, लेकिन किसी भी योजना का कार्यान्वयन जमीनी स्तर पर सैन्य कमांडरों पर निर्भर करेगा। वे चाणक्य रक्षा संवाद पर एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।
भारत-चीन: लद्दाख में कूटनीति
भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर जारी गतिरोध का शीघ्र समाधान खोजने के लिए जुलाई और अगस्त में दो चरणों में कूटनीतिक वार्ता की थी। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, "कूटनीतिक वार्ता से सकारात्मक संकेत मिल रहे हैं, लेकिन हमें यह समझने की ज़रूरत है कि यह विकल्प और संभावनाएँ प्रदान करती है।" उन्होंने आगे कहा, "हालांकि, जब बात जमीनी स्तर पर लागू करने की आती है, तो निर्णय लेना दोनों पक्षों के सैन्य कमांडरों पर निर्भर करता है।" सेना प्रमुख ने स्पष्ट किया, "स्थिति स्थिर है, लेकिन सामान्य नहीं है और यह संवेदनशील है। यदि ऐसा है, तो हम क्या चाहते हैं? हम चाहते हैं कि अप्रैल 2020 से पहले की स्थिति फिर से स्थापित हो।" दोनों सेनाओं के बीच सैन्य गतिरोध मई 2020 की शुरुआत से शुरू हुआ था।
क्या चीन से सहयोग संभव हैं?
दोनों पक्षों ने गतिरोध वाले क्षेत्रों से कई सैनिकों को हटा लिया है, फिर भी सीमा विवाद का समग्र समाधान अभी तक नहीं निकला है। जनरल द्विवेदी ने कहा, "जब तक स्थिति सामान्य नहीं होती, हालात संवेदनशील बने रहेंगे, और हम किसी भी आकस्मिकता का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार हैं।" उन्होंने बताया कि इस पूरे परिदृश्य में सबसे अधिक नुकसान विश्वास को हुआ है। जनरल ने चीन के प्रति भारतीय सेना के दृष्टिकोण पर भी चर्चा की। उन्होंने कहा, "चीन के संदर्भ में, यह लंबे समय से हमारे मन में जिज्ञासा उत्पन्न कर रहा है। मेरा यह मानना है कि चीन के साथ आपको प्रतिस्पर्धा करनी होगी, सहयोग स्थापित करना होगा, एक साथ रहकर चलना होगा और साथ ही मुकाबला भी करना होगा।"
लद्दाख में सैनिकों की वापसी पर चर्चा
पिछले महीने, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक वार्ता की, जिसमें इस विवाद का शीघ्र समाधान तलाशने पर जोर दिया गया। ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन, दक्षिण अफ्रीका) देशों के सम्मेलन के दौरान हुई इस बैठक में, दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में टकराव के शेष स्थलों से सैनिकों को पूरी तरह से हटाने के लिए "तत्परता" से कार्य करने और अपने प्रयासों को बढ़ाने पर सहमति जताई । बैठक में, डोभाल ने वांग को यह बताया कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना और वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का सम्मान करना द्विपक्षीय संबंधों में सामान्य स्थिति स्थापित करने के लिए आवश्यक है। जून 2020 में गलवान घाटी में हुए गंभीर संघर्ष के बाद, दोनों देशों के बीच संबंधों में तनाव बढ़ गया था।