पद्मश्री से सम्मानित और हिन्दी तथा मराठी की प्रख्यात लेखिका मालती जोशी का बुधवार (15 मई) को दिल्ली में 90 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जन्म महाराष्ट्र के औरंगाबाद में हुआ था। जिसे 2018 में पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था।
लेखिका मालती जोशी: प्रसिद्ध लेखिका, कहानीकार और पद्मश्री से सम्मानित मालती जोशी का बीते बुधवार यानि 15 मई दिल्ली में निधन हो गया। उनकी आयु लगभग 90 वर्ष थी। पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि अंतिम समय में वह अपने दोनों पुत्रों ऋषिकेश और सच्चिदानंद के पास थी। उनका निधन उनके बेटे, साहित्यकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के सदस्य सचिव सच्चिदानंद जोशी के आवास पर हुआ।
2018 में पद्मश्री से सम्मानित
मिली जानकारी के अनुसार मालती जोशी (Malti Joshi) ने 50 से अधिक हिन्दी और मराठी कथा संग्रह लिखे हैं। वहीं पद्मश्री से सम्मानित मालती जोशी हिंदी की सबसे लोकप्रिय कथाकारों में से एक रहीं हैं। 'मालवा की मीरा' नाम से प्रसिद्ध रहीं मालती जोशी को 2018 में तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा पद्मश्री सम्मान ने नवाजा गया। वे अपनी कथा कथन की विशिष्ठ शैली के लिए भी जानी जाती है।
उनकी प्रमुख कहानियां
प्रसिद्ध मालती जोशी के प्रमुख कहानी संग्रहों में पाषाण युग, मध्यांतर, मालती जोशी की कहानियां, समर्पण का सुख, मन न हुए दस बीस, एक घर हो सपनों का, विश्वास गाथा, मोरी रंग दी चुनरिया, अंतिम संक्षेप, एक सार्थक दिन,, महकते रिश्ते, पिया पीर न जानी, बाबुल का घर, औरत एक रात है, मिलियन डालर नोट आदि शामिल हैं।
इसके साथ ही मालती जोशी ने कई बालकथा संग्रह भी लिखे हैं, इनमें, दादी की घड़ी, जीने की राह, परीक्षा और पुरस्कार जैसे अन्य बाल संग्रह लिखे। बताया जा रहा है कि कई साहित्यकार उनके लेखन की तुलना कहानीकार मुंशी प्रेमचंद से भी करते हैं।
कैंसर से थी पीड़ित
मिली जानकारी के अनुसार मालती जोशी कुछ दिनों से कैंसर की लास्ट स्टेज पर थी जिनका दिल्ली के एम्स अस्पताल में इलाज चल रहा था। इसी दौरान उनका 90 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। बता दें कि उनका अंतिम संस्कार आज लोधी रोड श्मशान घाट में किया जाएगा।