प्रयागराज में महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं। इस विश्व प्रसिद्ध धार्मिक आयोजन की औपचारिक शुरुआत 13 जनवरी से होगी। देशभर से साधु-संत, महात्मा और अखाड़े प्रयागराज पहुंचने लगे हैं। महाकुंभ भारतीय संस्कृति, आस्था और सनातन परंपरा का प्रतीक माना जाता है।
आस्था और संकल्प के परिचायक इंद्र गिरि महाराज
आह्वान अखाड़े के प्रमुख संत, इंद्र गिरि महाराज, गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं के बावजूद महाकुंभ में शामिल हुए हैं। ऑक्सीजन सिलेंडर पर निर्भर रहते हुए भी उनकी उपस्थिति श्रद्धालुओं और संत समाज के लिए प्रेरणा बनी हुई है।
महाराज ने कहा,
"महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह जगद्गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित परंपरा का प्रतीक है। नागा फौजी होने के नाते, परंपरा का पालन करना हमारा धर्म है।"
उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि महाकुंभ में भाग लेना और अपनी संस्कृति का हिस्सा बनना उनके जीवन का सबसे बड़ा उद्देश्य है।
शंकराचार्य परंपरा का निर्वहन
महाकुंभ की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को रेखांकित करते हुए इंद्र गिरि महाराज ने इसे भारतीय संस्कृति का मूल आधार बताया।
"महाकुंभ हमारी सनातन परंपरा का जीवंत उदाहरण है। यह आयोजन हमारे आध्यात्मिक पक्ष को सशक्त करता है और भारत की समृद्ध संस्कृति को विश्व के सामने प्रस्तुत करता है," उन्होंने कहा।
आह्वान अखाड़ा हर महाकुंभ में अपनी छतरी लगाता है, जहां भोजन भंडार, धार्मिक अनुष्ठान और आध्यात्मिक प्रवचन आयोजित किए जाते हैं।
भव्य प्रवेश ने बढ़ाई कुंभनगरी की शोभा
आह्वान अखाड़े के साधु-संत और नागा साधु तीन दिन पहले पूरे लाव-लश्कर के साथ प्रयागराज पहुंचे। घोड़े, ऊंट, पारंपरिक वेशभूषा और गाजे-बाजे के साथ हुए इस प्रवेश ने कुंभनगरी की भव्यता को और बढ़ा दिया। श्रद्धालुओं के लिए यह दृश्य भक्ति और उल्लास से भरपूर रहा।
अखाड़े के शिविर, भोजन भंडार और धार्मिक गतिविधियां श्रद्धालुओं को आकर्षित कर रही हैं।
सरकार की व्यापक तैयारियां
उत्तर प्रदेश सरकार ने महाकुंभ 2025 को दिव्य और भव्य बनाने के लिए व्यापक तैयारियां की हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं व्यवस्थाओं की निगरानी कर रहे हैं। प्रयागराज को सनातन परंपरा के अनुरूप सजाया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा,
"इस वर्ष 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने की संभावना है। प्रशासन हर स्तर पर तैयार है।"
आस्था और संस्कृति का अद्वितीय संगम
महाकुंभ 2025 में संतों, अखाड़ों और श्रद्धालुओं का आगमन प्रयागराज को एक जीवंत तीर्थ में बदल रहा है। इंद्र गिरि महाराज जैसे संत, कठिन परिस्थितियों में भी इस आयोजन का हिस्सा बनकर इसकी पवित्रता और महत्ता को बढ़ा रहे हैं।
महाकुंभ न केवल धर्म और आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और परंपरा को संरक्षित और प्रचारित करने का सबसे बड़ा माध्यम है। यह आयोजन हर भारतीय के लिए गर्व और सम्मान का विषय है।