महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे का विरोध किया है। उन्होंने इस नारे को महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त नहीं बताया, और कहा कि यह राज्य की एकता और सामूहिकता के लिए हानिकारक हो सकता है। पवार ने इस नारे पर आपत्ति जताते हुए इसे राज्य की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति को बिगाड़ने वाला करार दिया।
मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के मद्देनजर राज्य की राजनीति में तेजी से हलचल मच रही है। महायुति (बीजेपी-शिवसेना) और महा विकास आघाड़ी (MVA) के बीच सियासी खींचतान के बीच अब महायुति के अंदर भी आंतरिक लड़ाई सामने आ रही है। इस बीच, अजित पवार का एक बयान सियासी सुर्खियां बन गया है। उन्होंने बीजेपी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर असहमति जताते हुए इसका विरोध किया हैं।
अजित पवार ने स्पष्ट रूप से कहा कि वह इस नारे का समर्थन नहीं करते, क्योंकि यह महाराष्ट्र की एकता और सद्भाव को नुकसान पहुंचाने वाला है। बीजेपी द्वारा उठाए गए इस स्लोगन को लेकर विपक्षी दलों ने भी कड़ी प्रतिक्रिया दी है और इसे राज्य में विवाद उत्पन्न करने वाला कदम माना है। पवार के इस बयान ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी हैं।
अजित पवार ने बीजेपी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर जताई असहमति
अजित पवार ने बीजेपी के 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे पर अपनी असहमति को एक बार फिर से स्पष्ट किया है। उन्होंने कहा कि वह इस नारे का समर्थन नहीं करते और इसे पहले भी नकार चुके हैं। पवार ने कहा कि यह नारा उत्तर प्रदेश में शायद चलता हो, लेकिन महाराष्ट्र में यह बिल्कुल उचित नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि यह राज्य की एकता और सामाजिक सद्भाव के खिलाफ हैं।
पवार ने यह भी बताया कि बीजेपी के कुछ अन्य नेताओं, जैसे देवेंद्र फडणवीस, के विचार भी इस नारे को लेकर अलग हैं। फडणवीस ने हाल ही में कहा था कि उन्हें 'बंटेंगे तो कटेंगे' नारे में कुछ गलत नहीं लगता, और अगर कोई यह कहता है कि बंटना नहीं चाहिए, तो इसमें गलत क्या है? अजित पवार का यह बयान महाराष्ट्र की सियासत में एक नया मोड़ ला सकता है, क्योंकि बीजेपी और उनके बीच के राजनीतिक रिश्ते अक्सर चर्चा का विषय रहे हैं। इस मुद्दे पर अब दोनों पार्टियों के भीतर अलग-अलग राय आ रही हैं, जो आने वाले चुनावों में और अधिक सियासी उठा-पटक का कारण बन सकती हैं।
अजित पवार ने राजीव गांधी से की नवाब मलिक की तुलना
एनसीपी प्रमुख अजित पवार ने नवाब मलिक को मानखुर्द से टिकट देने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा कि जब तक मलिक के खिलाफ कोर्ट में आरोप साबित नहीं होते, तब तक उन्हें टिकट देने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिए। यह बयान तब आया जब सहयोगी दलों की ओर से नवाब मलिक को लेकर विरोध व्यक्त किया गया, हालांकि पवार ने अपने निर्णय पर कायम रहते हुए इस विवाद को शांत करने की कोशिश की।
पवार ने नवाब मलिक पर लगे आरोपों को लेकर कहा कि आरोप साबित होने तक उन्हें दोषी नहीं ठहराया जा सकता। उन्होंने इस मामले में पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी का उदाहरण देते हुए कहा कि राजीव गांधी के खिलाफ भी आरोप लगाए गए थे, लेकिन इससे वह आरोपी नहीं बन जाते। पवार ने यह भी कहा कि लोकतंत्र में कोई भी बिना सबूत किसी पर आरोप नहीं लगा सकता। उनका यह बयान यह दर्शाता है कि आरोपों के आधार पर किसी को राजनीतिक प्रक्रिया से बाहर नहीं किया जा सकता, जब तक कि कोर्ट में वह सिद्ध न हो जाएं।