Maharashtra Elections: पिछली बार रुलाया प्याज, इस बार दिलाएगा जीत? उत्तर महाराष्ट्र से BJP को किन मुद्दों पर है जीत की उम्मीद

Maharashtra Elections: पिछली बार रुलाया प्याज, इस बार दिलाएगा जीत? उत्तर महाराष्ट्र से BJP को किन मुद्दों पर है जीत की उम्मीद
Last Updated: 1 दिन पहले

लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध ने किसानों और प्याज व्यापारियों को इतना नाराज किया कि इस क्षेत्र ने भाजपा को गंभीर नुकसान पहुंचाया। अब जब प्याज निर्यात पर लगाया गया प्रतिबंध हटा लिया गया है, भाजपा और शिवसेना मिलकर इस बार अपनी पुरानी स्थिति को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं। दोनों दलों को उम्मीद है कि इस फैसले का सकारात्मक असर इस बार देखने को मिलेगा।

New Delhi: उत्तर महाराष्ट्र कभी भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत bastion हुआ करता था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के निर्णय ने किसानों और प्याज व्यापारियों को इतना नाराज किया कि इस क्षेत्र ने भाजपा को खून के आंसू रुला दिए। अब प्याज निर्यात से प्रतिबंध हटा लिया गया है। भाजपा और शिवसेना इस बार मिलकर अपनी पुरानी स्थिति को पुनः प्राप्त करने का प्रयास कर रहे हैं।

लोकसभा में किसानों की नाराजगी का प्रदर्शन

कभी उत्तर महाराष्ट्र अपने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) वोटबैंक के जरिए एक मजबूत गढ़ के रूप में जाना जाता था। इस क्षेत्र में गोपीनाथ मुंडे और एकनाथ खडसे जैसे ओबीसी नेताओं का अच्छा जनाधार था। भाजपा ने माधव समीकरण (माली, धनगर, वंजारी) के कारण इस क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखी थी। लेकिन 2014 में गोपीनाथ मुंडे के असामयिक निधन के बाद इस समीकरण को एक बड़ा झटका लगा।

इसके बाद, 2019 में भाजपा ने मुक्ताई नगर से वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे का टिकट काटकर ओबीसी समुदाय को और अधिक नाराज कर दिया।

पंकजा मुंडे की हार

गोपीनाथ मुंडे की बेटी पंकजा मुंडे विधानसभा चुनाव में हार गईं और उन्होंने अपनी हार का जिम्मेदार प्रदेश भाजपा के नेताओं को ठहराना शुरू कर दिया। इन सभी कारणों से भाजपा का मजबूत ओबीसी वोटबैंक उनसे दूर होता नजर आया। इसका प्रभाव पिछले लोकसभा चुनाव में भी देखने को मिला। उत्तर महाराष्ट्र में नासिक का लासलगांव क्षेत्र देश की सबसे बड़ी प्याज मंडी है।

नासिक, धुले और अहमदनगर प्याज उत्पादक किसानों का मुख्य केंद्र है, और यह मुंबई और पुणे जैसे महानगरों को हरी सब्जियों और फलों की आपूर्ति करने वाले किसानों का भी बड़ा केंद्र है। नासिक अंगूर उत्पादन का प्रमुख क्षेत्र है, जबकि इसके पड़ोसी जिले जलगांव और भुसावल केले के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। 2018 से 2022 तक, किसानों के दो-तीन पैदल मार्च नासिक से मुंबई तक निकले हैं। इसलिए उत्तर महाराष्ट्र के किसान चुनावों में जीत और हार में

महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां के एक किसान नेता जे.पी.गावित कई बार सीपीआई (एम) के विधायक रह चुके हैं और इस बार भी चुनावी मैदान में हैं।

प्याज निर्यात प्रतिबंध से भाजपा को कितना हुआ नुकसान

लोकसभा चुनाव में प्याज निर्यात पर लगाए गए प्रतिबंध के कारण नाराज किसानों के बीच राहुल गांधी, शरद पवार और उद्धव ठाकरे ने रैलियां कीं, जिसका चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव पड़ा। उत्तर महाराष्ट्र अनुसूचित जनजातियों (एसटी) का एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां 11 एसटी सीटें हैं। इस क्षेत्र में निवास कर रहे जनजातीय समूह ने फॉरेस्ट राइट एक्ट को लागू करने की मांग को लेकर लंबे समय से संघर्ष किया है।

निर्यात से प्रतिबंध हटाने पर क्या होगा?

अब प्याज के निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटा लिया गया है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने पुराने ओबीसी वोटबैंक को मजबूत करने की दिशा में भी काम कर रही है। हाल ही में पंकजा मुंडे को विधान परिषद में भेजकर उनके सम्मानजनक पुनर्वास का संकेत दिया गया है। इसके अलावा, पूर्व नेता एकनाथ खडसे की बहू, रक्षा खडसे, ने तीसरी बार रावेर लोकसभा सीट से जीत हासिल करने के बाद केंद्र सरकार में मंत्री पद भी प्राप्त किया है।

हालांकि, खडसे की बेटी रोहिणी अभी भी राकांपा (शरद चंद्र पवार) में सक्रिय हैं। उन्हें शरद पवार ने खडसे की पुरानी सीट मुक्ताई नगर से विधानसभा चुनाव का टिकट भी दिया है। लेकिन खडसे की नाराजगी अब भाजपा के प्रति नहीं दिखाई देती। भाजपा ने उनके सम्मानजनक पुनर्वास का वादा भी किया है।

ओबीसी वोटबैंक को सुरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम सत्तारूढ़ गठबंधन के प्रमुख नेता छगन भुजबल हैं। वे राकांपा (अजीत पवार) की पार्टी से अपनी पुरानी येवला सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें राज्य में ओबीसी समुदाय का सबसे बड़ा नेता माना जाता है। मराठाओं को ओबीसी कोटे से आरक्षण देने की मांग कर रहे मनोज जरांगे पाटिल उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बाद सबसे अधिक निशाना छगन भुजबल पर साधते हैं। इस पर ओबीसी समाज की प्रतिक्रिया आना भी स्वाभाविक है।

इन सभी समीकरणों के चलते विधानसभा चुनाव में सत्तारूढ़ महायुति के पक्ष में स्थिति नजर आती है। 2024 के लोकसभा चुनाव में इस क्षेत्र की छह लोकसभा सीटों में से भाजपा ने दो, कांग्रेस ने दो, राकांपा (शरदचंद्र पवार) ने एक और शिवसेना (यूबीटी) ने एक सीट हासिल की थी। जबकि 2019 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को इस क्षेत्र की कुल 35 में से 13 सीटें मिली थीं, वहीं कांग्रेस-राकांपा ने मिलकर केवल 12 सीटें जीती थीं। उस समय की अविभाजित शिवसेना ने भी छह सीटें अपने नाम की थीं।

वोट जिहाद का मुद्दा भी चर्चा में

नासिक का मालेगांव क्षेत्र मुस्लिम समुदाय का एक प्रमुख केंद्र है। हाल ही में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने महाराष्ट्र के 14 लोकसभा क्षेत्रों में वोट जिहाद की आशंका जताई थी, जिसमें मालेगांव भी शामिल है। इस बार भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ इस क्षेत्र के हिंदू मतदाताओं में वोट जिहाद के मुद्दे को प्रमुखता से उठाने की योजना बना रहे हैं। उत्तर महाराष्ट्र का नासिक शहर केवल एक हिंदू तीर्थ स्थल नहीं है, बल्कि यह स्वामी रामगिरि महाराज के प्रभाव वाला इलाका भी है। उनके एक बयान के बाद से महाराष्ट्र का पूरा मुस्लिम समुदाय आक्रोशित नजर रहा है। उनके खिलाफ लगभग 70 एफआईआर दर्ज की जा चुकी हैं। मुस्लिम समाज उनकी गिरफ्तारी की मांग कर रहा है, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे उनके साथ मंच साझा करते हुए दिखाई दे रहे हैं। इसीलिए, इस बार के विधानसभा चुनाव में धार्मिक ध्रुवीकरण का असर स्पष्ट रूप से देखने को मिलेगा।

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