National News: 'चीन के साथ कुछ भी ठीक नहीं होगा', US में सभा के दौरान ड्रैगन पर बरसे जयशंकर; पढ़ें पूरी खबर

National News: 'चीन के साथ कुछ भी ठीक नहीं होगा', US में सभा के दौरान ड्रैगन पर बरसे जयशंकर; पढ़ें पूरी खबर
Last Updated: 3 घंटा पहले

भारत-चीन सीमा गतिरोध पर विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने एक बार फिर चीन को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा है कि चीन को संबंधों में सुधार लाने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब उन्होंने कहा था कि "75 प्रतिशत विवाद सुलझ गया है," तो उनका इशारा केवल सैनिकों के पीछे हटने तक सीमित था।

न्यूयॉर्क: विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एक बार फिर चीन को लेकर स्पष्ट और सख्त रुख अपनाया है। अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान बोलते हुए, जयशंकर ने भारत और चीन के बीच लंबे और जटिल इतिहास को स्वीकार किया। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के "75 प्रतिशत हल" होने की बात कही थी, तो वह केवल सैनिकों के पीछे हटने से संबंधित थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह समाधान सीमा विवाद के केवल एक हिस्से तक सीमित है और अभी भी अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर चुनौतियां बरकरार हैं।

जयशंकर ने यह भी संकेत दिया कि भारत-चीन संबंधों में सुधार के लिए केवल सैनिकों के पीछे हटना काफी नहीं है, बल्कि अन्य मुद्दों पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है, जो अभी तक पूरी तरह से हल नहीं हो सके हैं।

कोरोना काल में बिगड़े भारत-चीन के रिश्ते

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट में अपने संबोधन के दौरान चीन के साथ सीमा विवाद के गंभीर पहलुओं पर बात की। उन्होंने विशेष रूप से इस बात को रेखांकित किया कि कैसे चीन ने कोविड-19 महामारी के दौरान सीमा पर सैनिकों की तैनाती बढ़ाकर भारत-चीन के बीच पूर्व के समझौतों का उल्लंघन किया। उन्होंने कहा कि इस एकतरफा कार्रवाई के परिणामस्वरूप सीमा पर झड़पें हुईं, जिससे दोनों पक्षों के सैनिकों को नुकसान उठाना पड़ा।

जयशंकर ने जोर देकर कहा कि इस घटना ने भारत और चीन के द्विपक्षीय संबंधों को गंभीर रूप से क्षति पहुंचाई है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि सीमा पर शांति और स्थिरता द्विपक्षीय संबंधों की नींव है, और जब सीमा पर तनाव बढ़ता है, तो इसका सीधा असर दोनों देशों के रिश्तों पर पड़ता है। इस संदर्भ में, उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि चीन को अपने पूर्व के समझौतों का पालन करने और सीमा पर तनाव को कम करने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता हैं।

जयशंकर ने ड्रेगन को दी सलाह

विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने चीन के साथ भारत के संबंधों की जटिलता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनका इतिहास हमेशा से मुश्किल भरा रहा है। उन्होंने उल्लेख किया कि कोविड-19 महामारी के दौरान, चीन ने भारत के साथ किए गए स्पष्ट समझौतों के बावजूद वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर बड़ी संख्या में सैनिक तैनात किए, जिससे झड़पों की संभावना बढ़ गई। उन्होंने कहा, "यह संभव था कि कोई दुर्घटना हो और ऐसा हुआ भी," परिणामस्वरूप दोनों पक्षों से कई सैनिकों की जान गई।

जयशंकर ने स्वीकार किया कि सीमा पर टकराव वाले अधिकांश बिंदुओं को हल कर लिया गया है, लेकिन फिर भी चुनौतियां बनी हुई हैं। विशेष रूप से सीमा पर गश्त के अधिकारों को लेकर संघर्ष जारी है। उन्होंने आगे सुझाव दिया कि यदि भारत और चीन के बीच संबंधों में सुधार लाना है, तो दोनों देशों को 'डी-एस्केलेशन' के महत्व को समझना होगा। यहां पर जयशंकर का इशारा इस ओर था कि द्विपक्षीय संबंधों को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक है कि दोनों पक्ष सीमा पर शांति और स्थिरता स्थापित करने के लिए ठोस प्रयास करें।

 

 

 

 

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