वक्फ संशोधन बिल कल संसद में पेश हो सकता है। इस बिल को लेकर संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू ने बीजेपी के लोकसभा सचेतकों के साथ आज बैठक की है। वक्फ संशोधन विधेयक पर अब तक राजनीति गरमाई हुई हैं।
नई दिल्ली: वक्फ संशोधन विधेयक, जो संसद में कल (2 अप्रैल) पेश होने की संभावना है, को लेकर सियासी घमासान मच चुका है। इस विधेयक पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच तीखी नोकझोंक देखी जा रही है। जहां एक ओर भाजपा और उसके सहयोगी दल इस विधेयक को अल्पसंख्यकों के हक में बताते हुए इसे आवश्यक सुधार मान रहे हैं, वहीं विपक्ष इसे सरकार की मंशा पर सवाल उठा रहे हैं, और इसे अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश करार दे रहे हैं।
सत्ता पक्ष का दृष्टिकोण
केंद्रीय मंत्री सुरेश गोपी ने कहा कि विपक्ष के पास केवल विरोध करने के अलावा कुछ नहीं है, जबकि सरकार देश के नागरिकों के हित में फैसले ले रही है। उनका कहना था, "हम वह सब करेंगे जिससे देश और नागरिकों को लाभ हो।" भाजपा सांसद दिनेश शर्मा ने भी वक्फ संशोधन विधेयक को एक सशक्त कदम बताते हुए कहा, "यह बिल गरीब मुसलमानों के लिए एक सपना पूरा करने जैसा है, और इसके जरिए उनकी बदहाली की स्थिति को ठीक किया जाएगा।"
शिवसेना सांसद नरेश म्हस्के ने भी विधेयक का समर्थन करते हुए इसे गरीब मुसलमानों के लिए फायदेमंद बताया। उनका कहना था कि बालासाहेब ठाकरे का मानना था कि वक्फ कानून को खत्म कर देना चाहिए, क्योंकि यह गरीब मुसलमानों के हित में नहीं था, बल्कि कुछ विशेष वर्ग के हाथों में सिमट गया था।
विपक्षी प्रतिक्रिया
विपक्षी दलों ने विधेयक को लेकर अपनी आपत्ति जताई है। समाजवादी पार्टी के नेता आनंद भदौरिया ने कहा कि यह विधेयक "भाजपा की साजिश" का हिस्सा है, जो देश की बेशकीमती वक्फ संपत्तियों पर कब्जा करने की कोशिश कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार इस विधेयक के माध्यम से वक्फ की संपत्ति को उद्योगपति मित्रों को सौंपने की योजना बना रही हैं।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर हमला करते हुए कहा, "भाजपा हर जगह हस्तक्षेप करना चाहती है और अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहती हैं।"
धार्मिक नेताओं का रुख
वक्फ विधेयक पर धार्मिक नेताओं की भी राय मिली-जुली रही है। ऑल इंडिया सूफी सज्जादानशीन काउंसिल के अध्यक्ष सैयद नसरुद्दीन चिश्ती ने इस विधेयक को लेकर लोगों से अपील की है कि वे गुमराह न हों। उन्होंने कहा, "यह बिल वक्फ की सम्पत्ति के हित में है और हमें इसे समर्थन देना चाहिए।" जगदम्बिका पाल ने भी विपक्ष के विरोध को राजनीतिक रणनीति बताया, और कहा कि वक्फ बोर्ड का विरोध केवल "सियासी फायदे" के लिए किया जा रहा है। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह सियासी मुद्दों को धर्म के नाम पर उठा रहे हैं।
तात्कालिक स्थिति
वर्तमान में वक्फ संशोधन विधेयक पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं। सरकार इसे पारदर्शी और न्यायपूर्ण विधायिका मान रही है, जबकि विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों के खिलाफ एक बड़ा कदम बता रहा है। इस मुद्दे पर दोनों पक्षों के बीच तीखी राजनीति का माहौल बना हुआ है, और अब यह देखना होगा कि संसद में यह विधेयक किस दिशा में आगे बढ़ता हैं।