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NIA: आतंकवाद से लेकर गंभीर अपराधों तक, कैसे करती है जांच? जानें इसकी शक्तियां

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) भारत में आतंकवाद और गंभीर अपराधों की जांच करने वाली प्रमुख एजेंसी है। इसका गठन 2008 में हुआ था, विशेष रूप से आतंकवाद और संगठित अपराधों से निपटने के उद्देश्य से। एनआईए को देश की सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने में अहम भूमिका दी गई है।

What Is NIA: भारत में आतंकवाद, संगठित अपराध और गंभीर अपराधों की जांच के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एनआईए का गठन 2008 में हुआ था, और यह आतंकवाद, मानव तस्करी, साइबर अपराध, विस्फोटक पदार्थों से जुड़े अपराधों तथा अन्य गंभीर अपराधों की जांच करती है। 

एनआईए की कार्यप्रणाली और इसके पास मौजूद शक्तियों का दायरा काफी व्यापक है, जिसे जानना बहुत जरूरी है, खासकर जब हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की जांच एनआईए को सौंपी गई है। आइए जानते हैं एनआईए के गठन से लेकर इसके काम करने के तरीके तक के बारे में विस्तार से।

एनआईए का गठन और उद्देश्य

एनआईए (National Investigation Agency) का गठन 2008 में 26/11 के मुंबई आतंकी हमले के बाद हुआ। इस हमले ने भारत को यह महसूस कराया कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक केंद्रीय एजेंसी की जरूरत है, जो देशभर में आतंकवादी गतिविधियों को रोकने के लिए प्रभावी ढंग से काम कर सके। एनआईए का गठन एनआईए अधिनियम, 2008 के तहत हुआ था, और इसका मुख्य उद्देश्य भारत से आतंकवाद को समाप्त करना और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करना है।

एनआईए के पहले महानिदेशक राधा विनोद राजू थे, जिनका कार्यकाल 2010 में समाप्त हुआ। इस एजेंसी का मुख्यालय दिल्ली में है, और इसके दो जोनल कार्यालय गुवाहाटी और जम्मू में स्थित हैं। इसके अलावा, पूरे देश में एनआईए के 21 शाखा कार्यालय भी हैं, जो विभिन्न राज्य और शहरों में फैले हुए हैं।

एनआईए के अधिकार और शक्तियां

एनआईए के पास विशेष अधिकार और शक्तियां हैं, जो इसे किसी भी अन्य पुलिस या जांच एजेंसी से अलग करती हैं। एनआईए के अधिकारों का विस्तार भारतीय दंड संहिता, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम-1908, हथियार अधिनियम-1959, और साइबर अपराध संबंधी अधिनियम के तहत किया गया है। केंद्र सरकार ने एनआईए (संशोधन) अधिनियम 2019 के माध्यम से एजेंसी को विदेशों में होने वाली अपराधों की जांच का अधिकार भी प्रदान किया है, बशर्ते उस अपराध में भारतीय नागरिकों का संबंध हो या अपराध से भारत का कोई संबंध हो। एनआईए को विशेष अधिकार दिए गए हैं, जिनमें शामिल हैं:

आतंकवादी गतिविधियों की जांच।

  • मानव तस्करी, जाली मुद्रा और साइबर अपराधों की जांच।
  • विस्फोटक पदार्थों से संबंधित अपराधों की जांच।
  • प्रतिबंधित हथियारों के निर्माण और बिक्री से जुड़े अपराधों की जांच।

इसके अलावा, एनआईए को आतंकवादियों को गिरफ्तार करने और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने का अधिकार भी प्राप्त है। एजेंसी के अधिकारी पूरी तरह से पुलिस के अधिकारों का पालन करते हुए जांच करते हैं, और वे किसी भी आरोपी को गिरफ्तार कर सकते हैं, साक्ष्य एकत्रित कर सकते हैं और विभिन्न प्रकार की छापेमारी भी कर सकते हैं।

एनआईए की जांच प्रक्रिया

एनआईए की जांच प्रक्रिया अत्यंत सख्त और विशेषज्ञों द्वारा नियंत्रित होती है। इस एजेंसी के अधिकारियों के पास पुलिस की तरह शक्तियां होती हैं, लेकिन इनमें विशेषत: आतंकवाद और राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों की जांच का अधिकार होता है। जब भी देश के किसी हिस्से में आतंकवाद या गंभीर अपराध होता है, तो केंद्र सरकार उस मामले की जांच एनआईए को सौंप सकती है।

एनआईए किसी भी संदिग्ध गतिविधि की सूचना प्राप्त करने पर उस मामले की गंभीरता का आंकलन करती है। यदि यह मामला आतंकवाद से संबंधित होता है, तो एनआईए उसके खिलाफ जांच शुरू करती है। एजेंसी अपनी जांच के दौरान साइबर तकनीकों, गुप्त सूचना नेटवर्क, और विभिन्न जांच विधियों का उपयोग करती है, ताकि आरोपी के खिलाफ ठोस साक्ष्य जुटाए जा सकें।

एनआईए के अधिकारी और भर्ती प्रक्रिया

एनआईए के अधिकारियों की भर्ती किसी अलग से प्रक्रिया के तहत नहीं की जाती है। एनआईए में कार्य करने के लिए भारतीय पुलिस सेवा (IPS), भारतीय राजस्व सेवा (IRS), केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CRPF, ITBP, BSF), और राज्य पुलिस सेवाओं के अधिकारियों में से चुने गए अधिकारी काम करते हैं। इन अधिकारियों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है, ताकि वे आतंकवाद और गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों की जांच करने में सक्षम हों।

एनआईए के पास स्पेशल कोर्ट

एनआईए के पास अपना स्पेशल कोर्ट भी होता है, जहां आतंकवाद और गंभीर अपराधों से संबंधित मामलों की सुनवाई की जाती है। देशभर में 51 एनआईए स्पेशल कोर्ट स्थापित किए गए हैं, जिनमें से रांची और जम्मू में स्थित एनआईए कोर्ट विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। इन कोर्टों में मामलों की सुनवाई जल्दी होती है, और फैसले भी शीघ्र आते हैं। एनआईए के गठन के बाद से दिसंबर 2024 तक 640 मामले दर्ज किए गए थे, जिनमें से 147 मामलों में फैसले भी आ चुके हैं। एनआईए कोर्ट में सजा की दर 95.23 प्रतिशत रही है, जो इस एजेंसी की प्रभावशीलता को दर्शाती है।

एनआईए की सफलता और भूमिका

एनआईए ने कई बड़े आतंकवादी हमलों और गंभीर अपराधों के मामलों में सफलता प्राप्त की है। 26/11 के मुंबई हमले, उरी हमले, पठानकोट एयरबेस हमले, और हाल ही में पुलवामा हमले जैसी घटनाओं की जांच एनआईए ने की थी और कई आतंकवादी अभियुक्तों को गिरफ्तार कर सजा दिलाई थी। इसके अलावा, एनआईए ने कई देशों के साथ सहयोग करके अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों के खिलाफ भी कार्रवाई की है।

एनआईए की सफलता इस बात का प्रमाण है कि देश में आतंकवाद और संगठित अपराधों से लड़ने के लिए एक सशक्त और विशेषज्ञ एजेंसी की जरूरत थी। एनआईए की कार्यशैली और शक्तियां इसे एक प्रभावशाली जांच एजेंसी बनाती हैं, जो किसी भी बड़े राष्ट्रीय खतरे से निपटने के लिए तैयार रहती है।

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