ओडिशा के गहिरमाथा समुद्र तट पर 33 साल बाद ओलिव रिडले कछुओं की वापसी हुई। दो दिनों में एकाकुलानासी द्वीप पर लगभग 1.7 लाख कछुए घोंसले बनाने पहुंचे।
Odisha News: ओडिशा के गहिरमाथा समुद्री अभयारण्य के एकाकुलानासी द्वीप पर 33 साल बाद लुप्तप्राय ओलिव रिडले कछुओं की वापसी हुई है। यह एक ऐतिहासिक क्षण है क्योंकि 1992 के बाद पहली बार हजारों की संख्या में कछुए यहां अंडे देने पहुंचे हैं। इस साल अब तक लगभग 1.7 लाख कछुए इस तट पर आ चुके हैं, जो संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाता है।
संरक्षण प्रयासों का असर
इस बारे में जानकारी देते हुए ओडिशा वन विभाग के सहायक वन संरक्षक मानस दास ने बताया कि राज्य सरकार और विभिन्न एजेंसियों द्वारा कछुआ संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि ओलिव रिडले कछुए वर्षों बाद यहां लौटे हैं। इससे पहले 1992 में 3 लाख कछुए यहां अंडे देने आए थे।
समुद्र तट के विस्तार से अनुकूल हुआ वातावरण
समुद्र कटाव की समस्या के कारण एकाकुलानासी द्वीप का समुद्र तट सिकुड़ गया था, जिससे कछुओं के लिए अनुकूल स्थान नहीं बचा था। हालांकि, 2020 से इसमें बदलाव आना शुरू हुआ और अब समुद्र तट की लंबाई 8 किलोमीटर तक बढ़ गई है। इससे कछुओं को घोंसले बनाने के लिए पर्याप्त स्थान मिल पाया।
नए घोंसले बनाने की प्रवृत्ति
गहिरमाथा में मुख्य रूप से नासी-2 समुद्र तट को कछुओं के लिए आदर्श स्थल माना जाता रहा है, जहां इस साल 2.63 लाख कछुए अंडे देने पहुंचे। लेकिन अब एकाकुलानासी द्वीप पर भी बड़ी संख्या में कछुओं ने अंडे देना शुरू कर दिया है, जिससे यह स्थान भी उनके पसंदीदा घोंसले बनाने वाले स्थलों में शामिल हो गया है।
ओलिव रिडले कछुओं का महत्व
- ओलिव रिडले दुनिया के सबसे छोटे समुद्री कछुए होते हैं, लेकिन इनकी संख्या सबसे अधिक है।
- ये कछुए अपने सामूहिक घोंसले (Mass Nesting) के लिए प्रसिद्ध हैं।
- ये मुख्य रूप से हिंद महासागर, प्रशांत महासागर और अटलांटिक महासागर के गर्म जल क्षेत्रों में पाए जाते हैं।
- गहिरमाथा समुद्र तट दुनिया में उनका सबसे बड़ा घोंसला बनाने वाला स्थान है।
45 दिनों बाद जन्म लेंगे नन्हे कछुए
ओलिव रिडले कछुए अपने अंडे देने के बाद वापस समुद्र में चले जाते हैं। लगभग 45 दिनों में इन अंडों से छोटे कछुए बाहर निकलते हैं, जो बिना किसी मातृ संरक्षण के खुद को समुद्री जीवन के अनुकूल बनाते हैं। यह प्रक्रिया प्रकृति की अद्भुत संरचना का उदाहरण है।
संरक्षण के लिए बढ़ाए जाएंगे प्रयास
वन विभाग के अनुसार, भविष्य में कछुओं की संख्या को बढ़ाने और उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए और अधिक उपाय किए जाएंगे। स्थानीय समुदायों को इस दिशा में शामिल कर जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे, ताकि इन दुर्लभ कछुओं का अस्तित्व लंबे समय तक बना रहे।