भारत-पाकिस्तान तनाव के बाद शनिवार को सीजफायर का एलान किया गया, और दोनों देशों की सीमाओं पर शांति है। इस बीच, पी. चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी की युद्ध नीति की तारीफ अपने कॉलम में की।
Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बीच शनिवार को आखिरकार सीजफायर का एलान कर दिया गया। यह कदम दोनों देशों के बीच शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण मोड़ था। इस दौरान, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का एक कॉलम, जो इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित हुआ, सुर्खियों में आ गया। इस कॉलम में, चिदंबरम ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की युद्ध नीति की जमकर तारीफ की। उन्होंने विशेष रूप से ऑपरेशन सिंदूर के संदर्भ में मोदी की रणनीति को बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित बताया।
चिदंबरम का मोदी की युद्ध नीति पर विश्लेषण
चिदंबरम ने अपने कॉलम में कहा कि 22 अप्रैल को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के बाद, भारत में बदला लेने की आवाजें तेज हो गई थीं। हालांकि, सरकार ने पूरी तरह से युद्ध के रास्ते पर जाने की बजाय, सीमित सैन्य कार्रवाई का विकल्प चुना। चिदंबरम ने इसे एक "बुद्धिमत्तापूर्ण और संतुलित" कदम बताया, जिससे एक संभावित बड़े युद्ध को टाला जा सका।
सेनाओं का सीमित और सुनियोजित कदम
चिदंबरम के अनुसार, भारत की सैन्य कार्रवाई बेहद सुनियोजित थी, और इसका मुख्य उद्देश्य पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में स्थित आतंकी ठिकानों को नष्ट करना था। यह कार्रवाई किसी बड़े संघर्ष की ओर न बढ़कर, क्षेत्रीय शांति को प्राथमिकता देती है, जो कि वैश्विक स्थिरता के लिए बेहद महत्वपूर्ण था।
उन्होंने इस कदम को प्रधानमंत्री मोदी की "समझदारी भरी" नीति के रूप में प्रस्तुत किया, जो न केवल भारत के सुरक्षा हितों को संरक्षित करने का प्रयास करती है, बल्कि वैश्विक स्थिरता को भी ध्यान में रखती है। चिदंबरम ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का यह कदम भारत के लिए एक दीर्घकालिक नीति का हिस्सा है, जो किसी भी प्रकार की युद्ध की स्थिति से बचने की कोशिश करता है।
प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों का जिक्र
चिदंबरम ने प्रधानमंत्री मोदी के 2022 में व्लादिमीर पुतिन के साथ हुई बातचीत का भी उल्लेख किया, जब प्रधानमंत्री ने कहा था, "यह युद्ध का युग नहीं है।" चिदंबरम ने कहा कि पीएम मोदी के ये शब्द आज भी पूरी दुनिया में याद किए जाते हैं। यही कारण है कि कई देशों ने भारत को निजी तौर पर युद्ध न करने की सलाह दी।
यह शब्द न केवल भारतीय कूटनीति की दिशा को स्पष्ट करते हैं, बल्कि वैश्विक समुदाय में भारत के बढ़ते प्रभाव को भी दर्शाते हैं। चिदंबरम ने यह भी बताया कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही परमाणु शक्ति संपन्न देश हैं, और इसलिए कोई भी बड़ा युद्ध न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक अस्थिरता पैदा कर सकता था।
वैश्विक परिपेक्ष्य में युद्ध की अनिवार्यता पर सवाल
चिदंबरम ने कहा कि रूस-यूक्रेन और इजरायल-गाजा जैसे संघर्षों ने यह साबित कर दिया है कि आज की दुनिया में युद्ध को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उनका कहना था कि अब समय आ गया है कि सभी देशों को शांति और स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए, और भारत ने यह काम बेहतरीन तरीके से किया है।