दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। उन पर गंभीर आरोप हैं कि उन्होंने धोखाधड़ी से ओबीसी और दिव्यांगता कोटे का फायदा उठाकर यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा-2022 में सफलता हासिल की।
नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेड़कर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए उनकी गिरफ्तारी पर पूर्व में दी गई अंतरिम सुरक्षा भी हटा दी है। न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि पूजा खेड़कर ने साजिश रचकर धोखाधड़ी की और गलत तरीके से ओबीसी और दिव्यांगता कोटा का लाभ लिया। इस प्रकार के कार्य देश की छवि को नुकसान पहुंचाने वाले हैं।
अदालत ने यह भी कहा कि पूजा खेड़कर पर लगाए गए आरोप गंभीर प्रकृति के हैं और उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं। यूपीएससी ने जुलाई 2023 में उनकी उम्मीदवारी को रद्द कर दिया था और उन्हें आयोग की भविष्य की सभी परीक्षाओं और चयन प्रक्रियाओं से स्थायी रूप से अयोग्य घोषित कर दिया था। आयोग ने उन्हें सिविल सेवा परीक्षा-2022 के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया था।
ट्रायल कोर्ट के फैसले को रखा गया बरकरार
दिल्ली हाई कोर्ट ने पूर्व आईएएस प्रशिक्षु पूजा खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए ट्रायल कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है। ट्रायल कोर्ट ने पहले ही उनकी जमानत याचिका यह कहते हुए खारिज कर दी थी कि मामले में गंभीर आरोप हैं और जांच का दायरा व्यापक किया जाना चाहिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि इस बात की संभावना है कि पूजा खेडकर और उनके परिवार ने नकली दस्तावेजों को हासिल करने के लिए अधिकारियों के साथ मिलीभगत की हो।
कोर्ट ने यह भी कहा कि पूजा खेडकर के पास जांच को प्रभावित करने की क्षमता है और यह मामला यूपीएससी को धोखा देने के लिए एक बड़ी साजिश का हिस्सा प्रतीत होता है। इससे पहले, ट्रायल कोर्ट ने जांच एजेंसी को निर्देश दिया था कि मामले की निष्पक्ष और विस्तृत जांच की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि धोखाधड़ी के इस तरह के मामले न केवल प्रशासनिक प्रक्रियाओं को बाधित करते हैं बल्कि समाज और व्यवस्था में भरोसे को भी कमजोर करते हैं।
क्या है पूजा खेडकर जुड़ा मामला?
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने 2023 बैच की प्रशिक्षु आईएएस अधिकारी पूजा खेड़कर के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है। खेडकर पर आरोप है कि उन्होंने सिविल सर्विसेज परीक्षा में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांग कोटा का गलत तरीके से लाभ उठाने के लिए कई फर्जी दस्तावेजों और धोखाधड़ी का सहारा लिया।
यूपीएससी ने उनकी उम्मीदवारी को रद्द करते हुए उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। इसके साथ ही, खेडकर को भविष्य में यूपीएससी द्वारा आयोजित किसी भी परीक्षा में शामिल होने से स्थायी रूप से रोक दिया गया है। यूपीएससी के बयान में बताया गया कि खेडकर ने अपनी पहचान छिपाने और परीक्षा के नियमों का उल्लंघन करने के लिए कई जालसाजियां कीं।
उन्होंने अपना नाम बदला, माता-पिता के नाम, तस्वीर, हस्ताक्षर, ईमेल पता, मोबाइल नंबर और स्थायी पते तक को बदल दिया। यूपीएससी ने जांच के बाद कहा कि यह न केवल परीक्षा प्रक्रिया के साथ गंभीर धोखाधड़ी है, बल्कि प्रशासनिक सेवाओं की पवित्रता और निष्पक्षता पर भी प्रहार है। इस मामले में उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन खेडकर संतोषजनक जवाब देने में असमर्थ रहीं।