भारत में राष्ट्रपति शासन तब लगाया जाता है जब राज्य सरकार अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों को पूरा करने में विफल रहती है, या जब राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए संविधान में निर्धारित किसी अन्य परिस्थिति का उद्भव होता है। इसके अंतर्गत राज्य सरकार की शक्तियां केंद्र सरकार के हाथों में चली जाती हैं। राष्ट्रपति शासन के तहत राज्य की कार्यकारी शक्तियां भारत के राष्ट्रपति को हस्तांतरित हो जाती हैं, और राज्य सरकार के सभी कार्यों का संचालन केंद्रीय सरकार करती हैं।
राष्ट्रपति शासन तब लागू किया जाता है, जब राज्य में संवैधानिक संकट उत्पन्न होता है, जैसे कि राज्य में असंवैधानिक शासन, राज्य सरकार की असफलता, या किसी अन्य स्थिति के कारण राज्य विधानसभा का विघटन। मणिपुर में मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद इस स्थिति का सामना करना पड़ा, जिसके परिणामस्वरूप केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लागू किया।
राष्ट्रपति शासन लागू करने की तीन प्रमुख स्थितियां
* अनुच्छेद 352 (राष्ट्रीय आपातकाल): राष्ट्रीय आपातकाल तब लागू होता है जब देश में युद्ध, बाहरी आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह की स्थिति उत्पन्न होती है। इस स्थिति में केंद्र सरकार को अतिरिक्त शक्तियां मिल जाती हैं, और राज्यों की स्वायत्तता को सीमित किया जा सकता है।
* अनुच्छेद 356 (राष्ट्रपति शासन): जब राज्य सरकार संविधान के अनुसार काम नहीं करती या राज्य में असंवैधानिक स्थिति उत्पन्न होती है, तब राष्ट्रपति शासन लागू किया जाता है। इस प्रावधान के तहत केंद्र सरकार राज्य में शासन करती है, और राज्य सरकार के अधिकार केंद्र के हाथों में चले जाते हैं। हाल ही में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन इसी आधार पर लागू किया गया था, जब राज्य सरकार संविधान का पालन नहीं कर पा रही थी।
* अनुच्छेद 360 (वित्तीय आपातकाल): वित्तीय आपातकाल तब लागू होता है जब देश में गंभीर आर्थिक संकट की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, जिससे केंद्र सरकार को राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता को नियंत्रित करने की आवश्यकता होती है। इस स्थिति में केंद्र सरकार को आर्थिक फैसले लेने की अधिक शक्तियां मिल जाती हैं।
राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य को चलाने की जिम्मेदारी किसे मिलती है?
राष्ट्रपति शासन लागू होने पर राज्य की कार्यकारी शक्ति केंद्र सरकार को सौंप दी जाती है। केंद्र सरकार ही राज्य के कार्यों की देखरेख करती है, और राज्य की विधानसभा को भंग कर दिया जाता है। इसका सीधा नियंत्रण संसद के पास चला जाता हैं।
क्या मौलिक अधिकारों पर भी प्रभाव पड़ता है?
राष्ट्रपति शासन लागू होने पर आम जनता के मौलिक अधिकारों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप नहीं किया जाता है। लोग पहले की तरह स्वतंत्र रहते हैं। हालांकि, राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता का अधिकार) को निलंबित किया जा सकता हैं।
कौन बनता है राष्ट्रपति शासन के बाद राज्य का मुखिया?
राष्ट्रपति शासन के दौरान, राज्य का मुखिया राज्यपाल बनता है, जो राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में काम करता है। राज्य के सभी कार्य राज्यपाल की देखरेख में चलाए जाते हैं।
अधिकतम कितने दिनों के लिए रह सकता है राष्ट्रपति शासन?
राष्ट्रपति शासन को 6 महीने के लिए लागू किया जा सकता है। इस अवधि के दौरान चुनाव आयोग को राज्य में चुनाव कराने की प्रक्रिया पूरी करनी होती है। हालांकि, यदि राष्ट्रीय आपातकाल लागू है, तो इसे बढ़ाया जा सकता है। विशेष परिस्थितियों में, राष्ट्रपति शासन को 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है, लेकिन इसके लिए चुनाव आयोग को यह प्रमाणित करना होता है कि राज्य में चुनाव कराना संभव नहीं हैं।
अब तक देश में कितनी बार लगा राष्ट्रपति शासन?
देश की आजादी के बाद से अब तक भारत के विभिन्न राज्यों में कुल 134 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया जा चुका है। इसका पहला उदाहरण 1951 में पंजाब राज्य में देखने को मिला था। इसके बाद मणिपुर और उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा 11-11 बार राष्ट्रपति शासन लगाया जा चुका है। राष्ट्रपति शासन उस स्थिति में लागू किया जाता है जब राज्य सरकार संविधान के तहत अपने कार्यों का पालन नहीं करती या स्थिति सामान्य नहीं रहती, और इसे केंद्र सरकार द्वारा शासित किया जाता है।