दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एमसीडी की मेयर डॉ.शैली ओबरॉय के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। इस दौरान उन्होंने दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों के लिए एक बड़ा तोहफा देने की घोषणा की और पटाखों पर लगाए गए प्रतिबंध पर भी अपने विचार रखे। उनके इस बयान के पीछे ऐसा माना जा रहा है कि उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री और आरआरएस को जवाब देने की कोशिश की है।
New Delhi: दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली के 64,000 सफाई कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने दिल्ली-एनसीआर में लगाए गए पटाखों के बैन पर उठ रहे सवालों का भी जवाब दिया। जब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान केजरीवाल से पटाखा बैन के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि यह बात सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट दोनों ने स्पष्ट की है कि दीपावली एक रोशनी और खुशियों का त्योहार है, न कि पटाखों का।
हम अपने ऊपर एहसान कर रहे हैं- केजरीवाल
प्रदूषण की समस्या को ध्यान में रखते हुए, हमें दीयों और मोमबत्तियों के माध्यम से अपने त्यौहार का जश्न मनाना चाहिए। पटाखे नहीं जलाने चाहिए, क्योंकि पटाखों से प्रदूषण बढ़ता है। केजरीवाल ने कहा कि पटाखे न जलाने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी पर एहसान कर रहे हैं। असल में, हम अपने ही भले के लिए ऐसा कर रहे हैं। यदि प्रदूषण बढ़ेगा, तो इसका खामियाजा हम ही भुगतेंगे, और हमारे बच्चे भी इससे प्रभावित होंगे। यह किसी धर्म या समुदाय की बात नहीं है, बल्कि सभी के लिए शुद्ध वायु की आवश्यकता है।
धीरेंद्र शास्त्री ने कही ये बातें
दीपावली पर पटाखों पर लगे बैन को लेकर बागेश्वर धाम सरकार के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने इस बैन को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसे हिंदुओं के त्योहारों पर एक हमला और साजिश करार दिया है। उनका कहना है कि बकरीद पर इस तरह के सवाल क्यों नहीं उठाए जाते? जब भी सनातन धर्म के त्योहार आते हैं, तब कानून के उल्लंघन की बात की जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोग तो ये तक कह देते हैं कि इतने तेल के दीये जलाने से कितने गरीबों का भला होगा।
धीरेंद्र शास्त्री का बयान
धीरेंद्र शास्त्री ने आगे कहा, "मैं दीपावली के समय प्रश्न उठाने वालों को यह कहना चाहता हूं कि हमारे देश में बकरीद भी मनाई जाती है, तो क्या इसे बंद करने की मांग नहीं होनी चाहिए?बकरीद के अवसर पर लाखों बकरों की बलि दी जाती है, उसकी बजाय उन पैसों को गरीबों में बांट दिया जाए। इससे न केवल जीव हिंसा रुकेगी, बल्कि समाज में एक सकारात्मक बदलाव भी आएगा।"