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Rahul Gandhi: अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी पर राहुल गांधी ने जताई नाराज़गी, जानें क्या कहा?

Rahul Gandhi: अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी पर राहुल गांधी ने जताई नाराज़गी, जानें क्या कहा?
अंतिम अपडेट: 6 घंटा पहले

राहुल गांधी ने बिहार में युवाओं को बेरोजगारी, महंगाई और शिक्षा पर संबोधित किया। संविधान को न्याय-समानता की सोच बताया और जातिगत भेदभाव पर बैंकिंग सिस्टम की आलोचना की।

Rahul Gandhi in Bihar: बिहार के बेगूसराय में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने 'पलायन रोको, नौकरी दो' पदयात्रा में भाग लेते हुए युवाओं से सीधा संवाद किया। उन्होंने बेरोजगारी, महंगाई और एजुकेशन से जुड़े मुद्दों पर युवाओं को जागरूक किया और भारत में बढ़ती आर्थिक और सामाजिक असमानता पर गहरी चिंता जताई।

पॉडकास्ट में रखी नेहरू और गांधी की विचारधारा

राहुल गांधी ने अपने हालिया पॉडकास्ट अनुभव को साझा किया, जहां उनसे पूछा गया कि उनके परदादा पंडित नेहरू वास्तव में क्या थे—एक नेता, प्रधानमंत्री या स्वतंत्रता सेनानी? राहुल ने जवाब में कहा कि नेहरू और महात्मा गांधी दोनों "सच्चाई से गहराई से जुड़े" थे। उन्होंने कहा कि यही मूल सोच अंबेडकर, फुले, भगवान बुद्ध, कबीर, गुरु नानक और नारायण गुरु जैसे महापुरुषों की विचारधारा में दिखती है—जहां न्याय और समानता सर्वोपरि थे।

भारतीय संविधान कोई नया दस्तावेज़ नहीं

राहुल ने कहा कि भारतीय संविधान कोई आधुनिक कल्पना नहीं, बल्कि वह हजारों वर्षों से चली आ रही समानता और न्याय की सोच का विस्तारित रूप है। उन्होंने जोर देकर कहा कि संविधान में नेहरू, अंबेडकर और फुले की सोच का प्रतिबिंब है, न कि सावरकर की, क्योंकि उनके अनुसार सावरकर "सच्चाई की राह पर नहीं चल सके।"

सिस्टम में असमानता, लाभ सिर्फ कुछ को

राहुल गांधी ने अमेरिका के स्टॉक मार्केट का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां भले ही बिलियन डॉलर का लाभ हुआ हो, लेकिन आम जनता को इसका फायदा नहीं मिला। भारत में भी स्थिति कुछ अलग नहीं है—सिर्फ कुछ खास लोगों तक ही आर्थिक अवसर सीमित हैं।

उन्होंने बताया कि एक ऑर्थोपेडिक सर्जन और एक IIT प्रोफेसर जैसे योग्य लोग अगर OBC/EBC समुदाय से आते हैं, तो उन्हें बैंक लोन से लेकर संस्थान खोलने तक कई बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अफसरशाही और सिस्टम उन्हें आगे बढ़ने नहीं देता।

जाति जनगणना से खुली बैंकिंग सेक्टर की असलियत

राहुल गांधी ने कहा कि तेलंगाना में जातिगत जनगणना से यह सामने आया कि सरकारी बैंकों से मिलने वाले लोन में OBC, EBC और दलित समुदाय की भागीदारी लगभग शून्य है। इन बैंकों के टॉप मैनेजमेंट और लोन डिसीजन प्रोसेस में इन समुदायों का प्रतिनिधित्व नहीं है।

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