राजस्थान के प्रतापगढ़ की रहने वाली 13 वर्षीय सुशीला मीणा इन दिनों सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बनी हुई हैं। उनका बॉलिंग करते हुए वीडियो वायरल होने के बाद से उन्हें न केवल प्रशंसा मिल रही है, बल्कि क्रिकेट जगत के दिग्गज भी उनकी प्रतिभा को सराह रहे हैं। भारतीय क्रिकेट के भगवान कहे जाने वाले सचिन तेंदुलकर ने खुद सुशीला का वीडियो शेयर किया, जिसके बाद यह आदिवासी बिटिया रातोंरात स्टार बन गई।
सोशल मीडिया ने दिया मंच
भारत आदिवासी पार्टी (BAP) के सांसद राजकुमार रोत ने कहा, "अगर सोशल मीडिया नहीं होता, तो आज प्रतापगढ़ की इस आदिवासी बिटिया की प्रतिभा दुनिया के सामने नहीं आ पाती।" उन्होंने यह भी कहा कि ग्रामीण इलाकों में छिपी हुई इस तरह की प्रतिभाओं को सामने लाने के लिए हरसंभव प्रयास किया जाएगा।
सांसद रोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर बांसवाड़ा-डूंगरपुर में एक स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय खोलने की मांग की है। उनका मानना है कि ऐसी सुविधाओं के अभाव में देश को मिलने वाली खेल प्रतिभाएं नजरअंदाज हो जाती हैं।
सुशीला की कहानी ने छुआ दिल
सुशीला मीणा का परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है, लेकिन उनकी लगन और बॉलिंग क्षमता ने सबका ध्यान खींचा है। सचिन तेंदुलकर ने उनकी तारीफ करते हुए कहा कि अगर सही दिशा और प्रशिक्षण मिले, तो सुशीला भविष्य में भारतीय टीम का हिस्सा बन सकती हैं।
मदद के लिए बढ़े हाथ
सुशीला के समर्थन में कई लोग आगे आए हैं। एक समाज सेविका ने उन्हें जूते और आर्थिक मदद दी है। वहीं, राजस्थान की डिप्टी सीएम और बीजेपी विधायक दीया कुमार ने भी सुशीला से फोन पर बातचीत की और शुभकामनाएं दीं।
सांसद राजकुमार रोत की मांग
सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भारत ओलंपिक और वर्ल्ड कप जैसे अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में औसत प्रदर्शन करता है। इसका मुख्य कारण यह है कि गांव-देहात में मौजूद प्रतिभाओं को सही मंच और मार्गदर्शन नहीं मिल पाता। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि बांसवाड़ा-डूंगरपुर क्षेत्र में एक स्पोर्ट्स विश्वविद्यालय खोला जाए, जहां इन बच्चों को बेहतर प्रशिक्षण और सुविधाएं मिल सकें।
उन्होंने आगे कहा, "हमें इन प्रतिभाओं को अंगूठा कटाने वाले द्रोणाचार्यों से बचाना होगा और उनकी क्षमता को पंख देना होगा।"
कौन हैं सुशीला मीणा?
सुशीला मीणा प्रतापगढ़ की रहने वाली हैं और महज 13 साल की हैं। उनका परिवार कृषि पर निर्भर है और आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहा है। इसके बावजूद सुशीला की गेंदबाजी ने सबको हैरान कर दिया। अगर उन्हें सही समय पर क्रिकेट का प्रशिक्षण दिया जाए, तो वे भारत की अंडर-19 महिला टीम का हिस्सा बन सकती हैं।
खेल प्रतिभाओं के लिए बेहतर भविष्य
राजस्थान के आदिवासी इलाकों में खेल प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, लेकिन संसाधनों की कमी के चलते वे आगे नहीं बढ़ पातीं। सांसद रोत की यह पहल अगर सफल होती है, तो यह क्षेत्र खेलों के क्षेत्र में नई ऊंचाइयां छू सकता हैं। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रदर्शन सुधारने के लिए इस तरह की पहल महत्वपूर्ण है। सुशीला मीणा जैसे बच्चों को एक सही मंच मिलना न केवल उनकी जिंदगी बदल सकता है, बल्कि देश का नाम भी रोशन कर सकता हैं।