कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के "संतों को राजनीति में नहीं आना चाहिए" वाले बयान पर पूर्व सांसद सुमेदानंद सरस्वती ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने खड़गे को इतिहास पढ़ने की सलाह दी और कहा कि स्वामी श्रद्धानंद जैसे कई संतों ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया था।
सीकर: पूर्व सांसद सुमेदानंद सरस्वती ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें उन्होंने कहा था कि साधु-संतों को राजनीति में नहीं आना चाहिए। सरस्वती ने खड़गे को इतिहास पढ़ने की सलाह दी और याद दिलाया कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में कई संतों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने खास तौर पर स्वामी श्रद्धानंद का उदाहरण दिया, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया था।
सुमेदानंद ने यह भी कहा कि संतों का समाज में एक महत्वपूर्ण स्थान है और उनकी सहभागिता समाज के हित में होती है, जैसे कई संतों ने सामाजिक और राजनीतिक बदलावों में योगदान किया था।
पूर्व सांसद सरस्वती ने खड़गे के बयान पर दी तीखी प्रतिक्रिया
पूर्व सांसद सुमेदानंद सरस्वती ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जिसमें खड़गे ने कहा था कि साधु-संतों को राजनीति में नहीं आना चाहिए। सरस्वती ने कहा कि जब मुसलमान दाढ़ी रखकर राजनीति में आते हैं तो किसी को कोई आपत्ति नहीं होती, लेकिन जब भाजपा में साधु-संत आते हैं तो कांग्रेस को समस्या होती है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि कांग्रेस ने पहले भी कई संतों को राजनीति में उतारा था, लेकिन अब कांग्रेस में संतों को सम्मान नहीं मिलता, इसलिए वे भाजपा में शामिल हो जाते हैं।
सुमेदानंद ने यह भी कहा कि खड़गे को इतिहास पढ़ना चाहिए, क्योंकि कई संतों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग लिया था और उनका राजनीति में योगदान था। वे यह संकेत भी देते हैं कि कांग्रेस अब अपने ही नेताओं और संतों का सम्मान नहीं कर रही, जबकि पहले उनके लिए राजनीति में जगह थी।
पूर्व सांसद सुमेदानंद सरस्वती ने दिया बयान
मुंबई में हुए संविधान बचाओ सम्मेलन में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने हाल ही में साधु-संतों के राजनीति में आने को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि कई नेता साधु के भेष में रहते हैं और अब राजनेता बन गए हैं, यहां तक कि कुछ मुख्यमंत्री भी बन गए हैं। खड़गे ने यह भी कहा कि ऐसे लोग गेरुआ कपड़े पहनते हैं और उनके सिर पर बाल नहीं होते, जो राजनीति में घुसने के बाद साधु-संतों की भूमिका निभा रहे हैं।
खड़गे ने बीजेपी से यह भी अपील की कि या तो वे सफेद कपड़े पहनें या यदि वे गेरुआ कपड़े पहनने का दावा करते हैं तो उन्हें राजनीति से बाहर होना चाहिए। इस बयान को लेकर सुमेदानंद सरस्वती और अन्य नेताओं ने खड़गे की आलोचना की है, यह कहते हुए कि कांग्रेस के नेता खुद कई संतों को राजनीति में लाए थे, और आज जब भाजपा में साधु-संत सक्रिय हैं, तो कांग्रेस को यह आपत्ति क्यों हो रही हैं।