Supreme Court CJI: आज विदाई समारोह में भाषण के दौरान भावुक हुए सीजेआई चंद्रचूड़, कहा- "अगर मैंने किसी का दिल दुखाया हो तो मुझे माफ करना"

Supreme Court CJI: आज विदाई समारोह में भाषण के दौरान भावुक हुए सीजेआई चंद्रचूड़, कहा-
Last Updated: 08 नवंबर 2024

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका की स्थिरता और निरंतरता पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सभी, चाहे न्यायाधीश हों या वकील, इस संस्थान के अस्थायी यात्री हैं। हम यहाँ कुछ समय के लिए आते हैं, अपनी भूमिका निभाते हैं और फिर समय आने पर चले जाते हैं। लेकिन न्यायपालिका का यह संस्थान अपने आप में एक स्थायी इकाई है, जो सदैव चलता रहेगा।

नई दिल्ली: भारत के 50वें मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़, 10 नवंबर 2024 को पद से सेवानिवृत्त होंगे। लेकिन चूंकि 9 और 10 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में छुट्टी रहेगी, उनके सम्मान में विदाई समारोह आज आयोजित किया गया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का आज सुप्रीम कोर्ट में अंतिम कार्य दिवस है। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी। 13 मई 2016 को उन्हें इलाहाबाद उच्च न्यायालय से सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया था। उनकी सेवानिवृत्ति के बाद, न्यायमूर्ति संजीव खन्ना देश के 51वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनकी जगह लेंगे।

समारोह में भावुक हुए सीजेआई चंद्रचूड़

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विदाई समारोह के दौरान भावुक होकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, "रात को मैं सोच रहा था कि दोपहर दो बजे कोर्ट खाली होगा और मैं स्क्रीन पर खुद को देख रहा होऊंगा। आप सभी की मौजूदगी से मैं अभिभूत हूं।" सीजेआई ने अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा कि जब वह छोटे थे, तो अक्सर सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही देखने आते थे और कोर्ट में लगी दो तस्वीरों को देखते थे। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में न्यायमूर्ति चागला के प्रभाव को भी याद किया और बताया कि कैसे उनकी न्यायिक यात्रा पर इसका गहरा प्रभाव पड़ा।

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने गहरी भावनाओं के साथ कहा, "हम सभी यहां यात्रियों की तरह हैं, जो कुछ समय के लिए आते हैं, अपना काम करते हैं और फिर चले जाते हैं। कोर्ट के रूप में यह संस्थान हमेशा चलता रहेगा और इसमें विभिन्न विचारों वाले लोग आते रहेंगे।" उन्होंने अपने उत्तराधिकारी न्यायमूर्ति संजीव खन्ना के प्रति अपना विश्वास व्यक्त करते हुए कहा, "मुझे पूरा भरोसा है कि मेरे बाद न्यायमूर्ति खन्ना इस संस्थान को मजबूती और गरिमा के साथ आगे बढ़ाएंगे।"

सीजेआई ने यह भी बताया कि...

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ ने अपने विदाई समारोह के दौरान भावुक होते हुए न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा के साथ अपने कामकाजी अनुभवों को याद किया। उन्होंने कहा, "मैं उन्हें हमेशा याद करूंगा, क्योंकि यही कोर्ट है जो मुझे आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। हम ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिन्हें हम पहले नहीं जानते थे, और ये अनुभव जीवन को एक नया दृष्टिकोण देते हैं।"

इसके बाद उन्होंने यह भी कहा, "मैं आज बहुत कुछ सीखा हूं। कोई भी मामला पहले के मामले जैसा नहीं होता। अगर कोर्ट में किसी को कोई तकलीफ पहुंची हो, तो मैं विनम्रतापूर्वक माफी चाहता हूं।" अंत में, उन्होंने अपने सभी सहयोगियों और उपस्थित लोगों का दिल से धन्यवाद करते हुए कहा, "आप सभी का दिल से धन्यवाद, आप इतनी बड़ी संख्या में यहां आए। इसके लिए मैं सदा कृतज्ञ रहूंगा।"

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ का परिचय

न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ भारत के सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के पद से सेवानिवृत्त हुए है। उनका कार्यकाल भारतीय न्यायपालिका के लिए महत्वपूर्ण था, क्योंकि उन्होंने न्यायिक स्वतंत्रता, संविधान की रक्षा और मानवाधिकारों की अहमियत पर जोर दिया। इनका पूरा दीपक यादव चंद्रचूड़ है. जन्म: 11 नवंबर 1959, मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा मुंबई से प्राप्त की और फिर पुणे विश्वविद्यालय से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने हार्वर्ड लॉ स्कूल से LL.M. (मास्टर ऑफ लॉ) और डॉक्टरेट की डिग्री (PhD) प्राप्त की। उन्होंने 1982 में वकील के रूप में पेशेवर जीवन की शुरुआत की थी। इसके बाद 1998 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का अतिरिक्त न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

वे 2000 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश बने और 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में पदोन्नत किया गया। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने भारत में कई ऐतिहासिक और प्रभावशाली फैसलों में अहम भूमिका निभाई है, जिसमें महिला अधिकारों, सामाजिक न्याय, और तकनीकी विकास के मुद्दों पर विचार शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट में कार्यकाल: न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को 9 नवंबर 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई थी। उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले दिए, जैसे LGBTQ+ समुदाय के अधिकारों के पक्ष में फैसला, निजता के अधिकार को संवैधानिक मान्यता देना और कई अन्य सामाजिक मुद्दों पर भी उनका न्यायिक दृष्टिकोण महत्वपूर्ण रहा।

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