नई टैक्स प्रणाली 1 अप्रैल 2025 से लागू होगी, जिसमें 12 लाख तक की आय पर कोई टैक्स नहीं। करदाता को पुरानी या नई रीजीम में से चुनाव करना होगा।
New tax rules: 1 अप्रैल 2025 से नया वित्त वर्ष शुरू होने के साथ ही इनकम टैक्स के कई महत्वपूर्ण बदलाव लागू होंगे। इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य नई टैक्स रीजीम को अधिक आकर्षक और सुविधाजनक बनाना है, जिससे नौकरीपेशा वर्ग पर इसका सीधा असर पड़ेगा। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2024 में इनकम टैक्स की नई प्रणाली की घोषणा की थी, जिसमें कई बड़े सुधार किए गए हैं। इन सुधारों का उद्देश्य आम करदाताओं के लिए टैक्स व्यवस्था को सरल और लाभकारी बनाना है।
नई टैक्स रीजीम के तहत 12 लाख रुपये तक आय पर कोई टैक्स नहीं
नई टैक्स रीजीम में सबसे बड़ा बदलाव यह है कि अब 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई टैक्स नहीं लिया जाएगा। यह छूट केवल नई टैक्स रीजीम के तहत लागू होगी। इस व्यवस्था को लेकर करदाताओं को अब यह मूल्यांकन करना होगा कि वे पुरानी रीजीम में रहने के बजाय नई रीजीम को अपनाएं या नहीं। नई रीजीम में टैक्स स्लैब को भी सरल किया गया है और इसके तहत टैक्स दरों में कटौती की गई है।
सरकार का जोर नई टैक्स रीजीम पर, पुरानी में अब भी डिडक्शन के लाभ
हालांकि, नई टैक्स रीजीम में कुछ कर लाभ जैसे निवेश और छूट की सुविधा नहीं मिलती, लेकिन पुरानी टैक्स रीजीम में ऐसे डिडक्शंस उपलब्ध हैं। सेक्शन 80C, होम लोन पर ब्याज में छूट, हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर राहत जैसी सुविधाएं केवल पुरानी रीजीम में मिलती हैं। इसलिए जिन करदाताओं के पास होम लोन है या जो HRA क्लेम करते हैं, उनके लिए पुरानी टैक्स रीजीम ज्यादा फायदेमंद हो सकती है।
नई या पुरानी टैक्स रीजीम: किसे क्या चुनना चाहिए?
अगर आप टैक्स सेविंग स्कीमों में निवेश नहीं करते हैं और सिंपल टैक्स कैलकुलेशन चाहते हैं तो नई टैक्स रीजीम आपके लिए ज्यादा उपयुक्त हो सकती है। वहीं, जो लोग टैक्स बचाने के लिए निवेश करते हैं, उनके लिए पुरानी रीजीम अधिक लाभकारी हो सकती है। सही टैक्स रीजीम का चुनाव आपकी आय, खर्चों और निवेश की आदतों पर निर्भर करेगा। इसलिए, नया वित्त वर्ष शुरू होने से पहले अपने टैक्स कंसल्टेंट से सलाह जरूर लें।
नए वित्त वर्ष में TDS में भी होंगे बदलाव
नए वित्त वर्ष के पहले सप्ताह से कंपनियां अपने कर्मचारियों से यह पूछेंगी कि वे किस टैक्स रीजीम का चुनाव करना चाहते हैं – पुरानी या नई। इसके बाद, कर्मचारियों द्वारा चुने गए विकल्प के आधार पर अप्रैल से उनकी सैलरी से टैक्स की कटौती (TDS) की जाएगी। ऐसे में करदाताओं के लिए यह जानना बेहद जरूरी होगा कि किस टैक्स रीजीम से उन्हें सबसे अधिक लाभ मिलेगा, और इसके लिए अपने इनकम, निवेश और खर्चों का सही आकलन करना आवश्यक होगा।