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Unschooling: क्या है Unschooling? भारत में इस ट्रेंड को लेकर क्या कहता है कानून? जानिए इससे जुडी पूरी जानकारी

Unschooling: क्या है Unschooling? भारत में इस ट्रेंड को लेकर क्या कहता है कानून? जानिए इससे जुडी पूरी जानकारी
अंतिम अपडेट: 03-03-2025

शिक्षा की पारंपरिक प्रणाली से अलग, अनस्कूलिंग (Unschooling) नामक वैकल्पिक शिक्षा पद्धति दुनियाभर में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। अमेरिका में करीब 2 मिलियन बच्चे होमस्कूलिंग करते हैं, जिनमें से 13% अनस्कूलिंग मेथड को अपनाते हैं। 

एजुकेशन: शिक्षा की पारंपरिक प्रणाली से अलग, अनस्कूलिंग (Unschooling) नामक वैकल्पिक शिक्षा पद्धति दुनियाभर में तेजी से लोकप्रिय हो रही है। अमेरिका में करीब 2 मिलियन बच्चे होमस्कूलिंग करते हैं, जिनमें से 13% अनस्कूलिंग मेथड को अपनाते हैं। भारत में भी कई माता-पिता पारंपरिक स्कूली शिक्षा के बजाय स्वतंत्र और रुचि-आधारित शिक्षा को प्राथमिकता देने लगे हैं। लेकिन क्या यह कानूनी रूप से मान्य है? आइए जानते हैं अनस्कूलिंग की अवधारणा और भारत में इसकी स्थिति।

क्या है अनस्कूलिंग?

अनस्कूलिंग एक ऐसी शिक्षा पद्धति है जिसमें कोई तय सिलेबस या परीक्षा नहीं होती। इसमें बच्चे अपने तरीके और रुचि के अनुसार सीखते हैं और माता-पिता उन्हें केवल एक सहायक वातावरण प्रदान करते हैं। यह विचार 1977 में अमेरिकी शिक्षक जॉन होल्ट ने लोकप्रिय बनाया था, जिन्होंने कहा था कि बच्चे स्कूल के बाहर भी प्रभावी ढंग से ज्ञान अर्जित कर सकते हैं।

कैसे काम करता है अनस्कूलिंग?

बच्चा खुद तय करता है कि उसे क्या और कैसे सीखना हैं।
सीखने की प्रक्रिया पाठ्यपुस्तकों पर निर्भर नहीं होती।
बच्चे प्रयोग, यात्रा, चर्चा और अनुभवों से सीखते हैं।
कोई परीक्षा या ग्रेडिंग सिस्टम नहीं होता।
लर्निंग प्रक्रिया पूरी तरह से बच्चे की जिज्ञासा और रुचि पर आधारित होती हैं।

अनस्कूलिंग के फायदे

बच्चों में स्वतंत्र सोच और रचनात्मकता विकसित होती है
परीक्षा के दबाव से मुक्त वातावरण मिलता है
परिवार के सदस्यों के साथ बेहतर संबंध बनते हैं
पारंपरिक शिक्षा की तुलना में अधिक व्यावहारिक और जीवन-केंद्रित सीखने का मौका
बच्चा अपनी पसंद और गति से सीख सकता हैं।

क्या भारत में अनस्कूलिंग कानूनी है?

भारत में अनस्कूलिंग की स्थिति थोड़ी जटिल है। शिक्षा का अधिकार (RTE) अधिनियम, 2009, 6 से 14 वर्ष के बच्चों को स्कूल भेजने की अनिवार्यता पर जोर देता है, लेकिन यह होमस्कूलिंग या अनस्कूलिंग को अवैध घोषित नहीं करता। गुजरात हाईकोर्ट ने 2010 में अपने एक फैसले में कहा था कि माता-पिता अपने बच्चों को घर पर पढ़ाने का विकल्प चुन सकते हैं, बशर्ते बच्चे का समुचित शैक्षिक विकास हो रहा हो। 

हालांकि, भारत में अनस्कूलिंग को आधिकारिक रूप से मान्यता नहीं मिली है, लेकिन NIOS (National Institute of Open Schooling) जैसे विकल्प उपलब्ध हैं, जो बच्चों को वैकल्पिक शिक्षा का कानूनी आधार प्रदान करते हैं।

क्या भारत में बढ़ रहा है अनस्कूलिंग का ट्रेंड?

हाल के वर्षों में, कई भारतीय माता-पिता अपने बच्चों को पारंपरिक स्कूलों में भेजने के बजाय, ऑनलाइन स्कूलिंग, ओपन स्कूलिंग और अनस्कूलिंग की ओर बढ़ रहे हैं। तकनीक की उपलब्धता और माता-पिता की बदलती मानसिकता ने इस ट्रेंड को बढ़ावा दिया है। शिक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में, भारत में शिक्षा प्रणाली अधिक लचीली और नवाचारपूर्ण हो सकती है। सरकार यदि अनस्कूलिंग को एक वैकल्पिक शिक्षा प्रणाली के रूप में स्वीकार करती है, तो यह उन बच्चों के लिए एक बड़ा अवसर होगा जो पारंपरिक स्कूलिंग के ढांचे में फिट नहीं बैठते।

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