आजमगढ़ में अखिल भारतीय मदरसा सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन हुआ। अरशद मदनी ने सांप्रदायिकता और मदरसों के खिलाफ भेदभाव के मुद्दे पर चिंता जताई।
UP News: आजमगढ़ के सरायमीर में अखिल भारतीय मदरसा सुरक्षा सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन का उद्देश्य देश में बढ़ती सांप्रदायिकता, अल्पसंख्यकों के प्रति भेदभाव और विशेष रूप से मदरसों को निशाना बनाए जाने के खिलाफ आवाज उठाना है। सम्मेलन का आयोजन जमीअत उलमा-ए-हिंद ने किया है, जिसमें देशभर से कई बड़े उलमा, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी हिस्सा ले रहे हैं।
सम्मेलन का उद्देश्य: भेदभाव के खिलाफ आवाज
इस सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य है मदरसों के अधिकारों की रक्षा और उनके साथ हो रहे भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाना। जमीअत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना सय्यद अरशद मदनी ने कहा कि देश में नफरत फैलाने वाली ताकतों को खुली छूट मिल रही है और मदरसों को बिना किसी ठोस कारण के निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ मुसलमानों का मसला नहीं है, बल्कि देश की एकता, अखंडता और लोकतंत्र से जुड़ा मुद्दा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अनदेखी पर चिंता
सम्मेलन में यह मुद्दा भी प्रमुख रूप से उठाया गया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश में मदरसों की सीलिंग और ध्वस्तीकरण की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। इस पर गहरी चिंता जताते हुए मौलाना मदनी ने कहा कि यह संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है और इस पर सरकार को जवाब देना चाहिए।
सरकार से संविधान का सम्मान करने की अपील
जमीअत उलमा-ए-हिंद के पदाधिकारियों और अन्य मुस्लिम संगठनों के नेताओं ने सरकार से अपील की कि मदरसों के साथ भेदभाव बंद किया जाए और संविधान द्वारा दी गई धार्मिक और शैक्षणिक स्वतंत्रता का सम्मान किया जाए। उन्होंने कहा कि मदरसे भी शिक्षा व्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और उन्हें बराबरी का दर्जा मिलना चाहिए।
सम्मेलन में कई संगठन और नेता हुए शामिल
इस सम्मेलन में देशभर के कई मुस्लिम संगठन, सामाजिक संस्थाएं और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। सभी ने एकजुट होकर मदरसों के अधिकारों की रक्षा करने और उनके खिलाफ हो रहे अन्याय के विरोध में अपनी आवाज बुलंद की। कार्यक्रम का आयोजन सरायमीर स्थित जामिआ शरईया फैजुल उलूम, शेरवां ईदगाह में किया गया, जो शाम 7 बजे से रात 10 बजे तक चला।