विश्व हिंदू परिषद नेता मिलिंद परांडे ने बिहार के राज्यपाल से मुलाकात कर मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग की, मस्जिद-चर्च जैसे स्वतंत्र संचालन की बात कही।
Bihar: विश्व हिंदू परिषद (VHP) के एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने केंद्रीय संगठन महामंत्री मिलिंद परांडे के नेतृत्व में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मुलाकात की और हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की मांग दोहराई। विहिप का कहना है कि यह धार्मिक समानता और संविधान के धर्मनिरपेक्ष स्वरूप का मामला है।
"मंदिरों के साथ भेदभाव क्यों?"
विहिप नेता मिलिंद परांडे ने स्पष्ट रूप से कहा कि यदि मस्जिदें और चर्च बिना सरकारी हस्तक्षेप के संचालित हो सकते हैं, तो फिर मंदिरों पर सरकारी नियंत्रण क्यों? उन्होंने इसे "सेक्युलरिज़्म की भावना के खिलाफ" बताते हुए संविधान में दिए गए धार्मिक समानता के अधिकार का हवाला दिया।
"हिंदू समाज मंदिर प्रबंधन में सक्षम"
परांडे का मानना है कि हिंदू समाज अपने मंदिरों के संचालन, पूजा-पद्धति और रख-रखाव के लिए स्वयं पूरी तरह से सक्षम है। सरकारी हस्तक्षेप से मंदिरों की पारंपरिक धार्मिक व्यवस्थाएं बाधित होती हैं, जिससे श्रद्धालुओं की भावनाएं भी आहत होती हैं।
आर्थिक स्वतंत्रता का सवाल
विहिप ने यह भी कहा कि सरकार के नियंत्रण में रहने से मंदिरों की आय और दान की राशि सरकारी दायरे में चली जाती है, जबकि अन्य धर्मस्थलों के साथ ऐसा नहीं होता। यह हिंदू धार्मिक संस्थानों के आर्थिक अधिकारों का उल्लंघन है।
"मंदिर हैं संस्कृति और परंपरा का प्रतीक"
विहिप प्रतिनिधियों ने राज्यपाल को बताया कि मंदिर केवल धार्मिक स्थलों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के जीवंत प्रतीक भी हैं। ऐसे में उन्हें उनकी मूल धार्मिक व्यवस्था के अनुसार स्वतंत्र रूप से संचालित होने देना चाहिए।
मांग: मंदिरों को मिले स्वतंत्रता
विहिप ने राज्यपाल से आग्रह किया कि वे इस मुद्दे को गंभीरता से लेते हुए केंद्र और राज्य सरकारों के समक्ष आवश्यक पहल करें ताकि हिंदू मंदिरों को सरकारी नियंत्रण से मुक्त कराया जा सके और उन्हें उनके सांस्कृतिक स्वरूप के अनुरूप न्याय मिल सके।
प्रतिनिधिमंडल में कौन-कौन शामिल था?
इस शिष्टमंडल में विहिप केंद्रीय सलाहकार समिति के सदस्य आर एन सिंह, केंद्रीय मंत्री अंबरीष, क्षेत्र संगठन मंत्री आनंद, क्षेत्र मंत्री वीरेंद्र विमल, प्रांत मंत्री संतोष सिसोदिया समेत अन्य प्रतिनिधि शामिल थे।