बंगाल के मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा पर हाई कोर्ट ने कहा कि बंगाल सरकार ने हिंसा रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल में लगातार हिंसा की घटनाओं और अशांति की स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
Kolkata: मुर्शिदाबाद में भड़की हिंसा पर कलकत्ता हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि बंगाल सरकार ने हिंसा को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए। कोर्ट ने यह भी माना कि पश्चिम बंगाल के विभिन्न हिस्सों में लगातार हिंसा की घटनाएं हो रही हैं और इनका कोई ठोस समाधान नहीं निकाला गया है।
हिंसा रोकने के लिए सीएपीएफ की तैनाती का आदेश
वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ पश्चिम बंगाल में हो रहे हिंसक विरोध प्रदर्शन के बीच हाई कोर्ट ने मुर्शिदाबाद में केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) की तैनाती का आदेश दिया। न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि यह आदेश केवल मुर्शिदाबाद तक सीमित नहीं रहेगा। जरूरत पड़ने पर इसे अन्य जिलों तक बढ़ाया जा सकता है।
बंगाल सरकार पर कड़ी टिप्पणी
हाई कोर्ट की खंडपीठ ने कहा कि अगर केंद्रीय बलों की तैनाती पहले की गई होती, तो स्थिति इतनी गंभीर नहीं होती। अदालत ने इसे राज्य प्रशासन की नाकामी के रूप में देखा, क्योंकि समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए थे।
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की सख्त जरूरत
अदालत ने यह भी आदेश दिया कि निर्दोष नागरिकों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने के लिए युद्ध स्तर पर कार्रवाई की जाए। हाई कोर्ट ने कहा कि दोषियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि स्थिति को सामान्य किया जा सके और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
नागरिकों की सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य की
न्यायमूर्ति सौमेन सेन और न्यायमूर्ति राजा बसु चौधरी की खंडपीठ ने इस आदेश में कहा कि न्यायालय मूकदर्शक नहीं रह सकता और नागरिकों की सुरक्षा उसकी जिम्मेदारी है। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्य की जिम्मेदारी है कि वह प्रत्येक नागरिक का जीवन और संपत्ति सुरक्षित रखे, और इसके लिए उसे तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे।