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यूपी में सियासी घमासान: अखिलेश, ब्रजेश और केशव के बीच तनातनी पर आचार्य प्रमोद ने किया कमेंट

यूपी में सियासी विवाद बढ़ा। ब्रजेश पाठक ने अखिलेश यादव पर टिप्पणी की, जवाब में सपा चीफ ने नसीहत दी। आचार्य प्रमोद और केशव मौर्य भी विवाद में शामिल।

UP Politics: उत्तर प्रदेश की राजनीति इन दिनों काफी तनावपूर्ण और चर्चा में है। समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और आचार्य प्रमोद कृष्णम के बीच बयानबाजी और विवाद लगातार बढ़ता जा रहा है। हाल ही में हुए एक विवादित बयान के बाद प्रदेश की सियासत में नई हलचल मची है। इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि क्या हुआ, किसने क्या कहा, और इस विवाद का राजनीतिक परिदृश्य पर क्या असर पड़ सकता है।

ब्रजेश पाठक का विवादित बयान

उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने हाल ही में समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव को लेकर एक विवादित टिप्पणी की थी। ब्रजेश पाठक ने अपने ट्वीट और बयानों में सपा और उसके नेता पर तीखा हमला किया। उन्होंने सपा के परिवारवादी समाजवाद पर सवाल उठाए और इसे ‘लठैतवाद’ से जोड़कर देखा। उनका यह बयान सोशल मीडिया और राजनीति में तेजी से वायरल हुआ और इसका विरोध समाजवादी पार्टी के नेताओं ने किया।

सपा की प्रतिक्रिया और फिर विवाद का बढ़ना

ब्रजेश पाठक के विवादित बयान के बाद समाजवादी पार्टी के मीडिया सेल ने भी एक कड़ा बयान जारी किया। इस बयान में उन्होंने ब्रजेश पाठक की टिप्पणियों को नकारा और सपा की विचारधारा को बचाने की कोशिश की। इसके बाद उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इस मामले में एफआईआर भी दर्ज कराई। विवाद इतना बढ़ गया कि शनिवार रात को खुद अखिलेश यादव ने इस मामले पर अपना बयान जारी किया।

अखिलेश यादव ने अपने बयान में कहा कि उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को स्थिति समझा दी है और ब्रजेश पाठक को भी सलाह दी कि वे बयानबाजी बंद करें। उन्होंने ब्रजेश पाठक के उस प्रहार को धार्मिक रूप से आहत करने वाला बताया, जिसमें उन्होंने यदुवंशी और भगवान श्रीकृष्ण के संबंध को लेकर निशाना साधा था।

आचार्य प्रमोद कृष्णम का बयान: मायावती का जिक्र

इस पूरे विवाद के बीच, उत्तर प्रदेश के जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक और समाजवादी नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम भी इस विवाद में कूद गए। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म “एक्स” (पूर्व ट्विटर) पर लिखा कि सपा की सही और सारगर्भित व्याख्या कु. बहिन मायावती ने पहले ही कर दी है। इसलिए सपा से किसी सार्थक उम्मीद रखना निरर्थक है।

आचार्य प्रमोद के इस बयान ने विवाद को और अधिक तूल दिया। मायावती का नाम इस बयान में आने के बाद बहस और बढ़ गई क्योंकि मायावती उत्तर प्रदेश की एक प्रमुख नेता हैं और दलित राजनीति में उनका बड़ा प्रभाव है। आचार्य प्रमोद का यह कथन सपा और बसपा के बीच संबंधों पर भी सवाल उठाता है।

केशव प्रसाद मौर्य का बयान: ‘परिवारवादी समाजवाद’ पर कटाक्ष

वहीं, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी इस विवाद पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान की समाजवादी पार्टी अब लोहिया जी और जनेश्वर मिश्र के समय वाली नहीं रही। उन्होंने यह भी कहा कि आज की सपा को समाजवाद की असलियत का ज्ञान नहीं है। यह बयान भी सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है।

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