ब्रिक्स समिट रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उन्हें पश्चिमी देशों के अलग-थलग करने के प्रयासों के बावजूद एक मजबूत गठबंधन के रूप में पेश करता है। इस सम्मेलन में भाग लेकर पुतिन यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि रूस अभी भी वैश्विक राजनीति में एक प्रमुख खिलाड़ी हैं।
World: ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कई प्रमुख वैश्विक नेताओं की मेज़बानी करेंगे, जिसमें भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, तुर्किये के राष्ट्रपति रजब तैयब एर्दोआन और ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन शामिल हैं। इस सम्मेलन का आयोजन कजान, रूस में मंगलवार को होगा।
यह शिखर सम्मेलन पुतिन के लिए महत्वपूर्ण है, खासकर यूक्रेन में जारी युद्ध और उनके खिलाफ जारी अंतरराष्ट्रीय गिरफ्तारी वारंट के संदर्भ में। कई देशों के नेताओं की मौजूदगी से यह संदेश मिलेगा कि रूस अब भी एक महत्वपूर्ण वैश्विक खिलाड़ी है और उसके पास सहयोगी देशों का समर्थन है। इससे पुतिन की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-थलग पड़ने की स्थिति को भी कम करने में मदद मिलेगी।
ब्रिक्स समिट से रूस को क्या मिलेगा?
ब्रिक्स (ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका) का गठन मुख्य रूप से पश्चिमी नेतृत्व वाली वैश्विक व्यवस्था के संतुलन के लिए किया गया था। इस समूह का विस्तार इस साल तेजी से हुआ है, जिसमें नए सदस्य देशों जैसे ईरान, मिस्र, इथियोपिया, संयुक्त अरब अमीरात और सऊदी अरब शामिल हुए हैं। इसके अलावा, तुर्किये, अजरबैजान और मलेशिया ने भी सदस्यता के लिए औपचारिक आवेदन दिया है, और अन्य कई देशों ने भी इसके सदस्य बनने की इच्छा व्यक्त की है। पुतिन के विदेश नीति सलाहकार यूरी उशाकोव के अनुसार, 32 देशों ने इस सम्मेलन में भागीदारी की पुष्टि की है, और 20 से अधिक देशों के शासन प्रमुख इसमें शामिल होंगे।
पुतिन इस शिखर सम्मेलन के दौरान लगभग 20 द्विपक्षीय बैठकें करने की योजना बना रहे हैं, जिससे यह रूस में अब तक का सबसे बड़ा विदेश नीति कार्यक्रम बन सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि इस सम्मेलन के माध्यम से रूस पश्चिम के साथ बढ़ते तनाव के बीच अपने वैश्विक सहयोगियों के साथ एकजुटता दिखाना चाहता है। साथ ही यह रूस को अपने आर्थिक संबंधों को मजबूत करने और युद्ध प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए नए समझौतों की संभावना तलाशने का अवसर भी प्रदान करेगा।
पुतिन के लिए महत्वपूर्ण है यह सम्मेलन
अलेक्जेंडर गबुयेव, जो 'कार्नेगी रूस यूरेशिया सेंटर' के निदेशक हैं, ने ब्रिक्स सम्मेलन के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि यह सम्मेलन रूस के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है। उनका कहना है कि ब्रिक्स समूह के भीतर सदस्य देशों के बीच कोई कठोर दायित्व नहीं होता है, जिससे देश अपने संबंधों को लचीले तरीके से विकसित कर सकते हैं।
गबुयेव ने यह भी बताया कि यह शिखर सम्मेलन पुतिन के लिए व्यक्तिगत रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पश्चिमी देशों द्वारा रूस को अलग-थलग करने के प्रयासों की विफलता को उजागर करता है। उनका मानना है कि यह सम्मेलन दिखाएगा कि रूस एक प्रमुख खिलाड़ी है जो नए समूह का नेतृत्व कर रहा है, जिसका लक्ष्य पश्चिमी प्रभुत्व को समाप्त करना हैं।
भारत के साथ अच्छे है रूस के संबंध
भारत के पश्चिमी मित्र देशों की यह इच्छा है कि भारत रूस पर दबाव डालकर यूक्रेन युद्ध समाप्त करने में एक अधिक सक्रिय भूमिका निभाए। हालाँकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मामले में एक सतर्क दृष्टिकोण अपनाया है। उन्होंने हमेशा शांतिपूर्ण समाधान पर जोर दिया है और रूस की आलोचना करने से बचते रहे हैं। भारत रूस को एक महत्वपूर्ण साझेदार मानता है, विशेष रूप से शीत युद्ध के दौरान स्थापित संबंधों के आधार पर। हालांकि रूस का चीन के साथ घनिष्ठ संबंध है, फिर भी भारत ने रक्षा, तेल, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष के क्षेत्रों में रूस के साथ सहयोग को बनाए रखा हैं।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति पुतिन की यह मुलाकात पिछले कुछ महीनों में उनकी दूसरी बैठक होगी। मोदी ने जुलाई में रूस का दौरा किया था, इसके बाद अगस्त में उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति व्लोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात की थी।