कजान में 16वें ब्रिक्स समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात भारत और चीन के बीच जारी सैन्य तनाव के संदर्भ में काफी महत्वपूर्ण होगी। दोनों देशों के बीच 2020 से लद्दाख क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर सैन्य गतिरोध चल रहा है, जिसके कारण संबंधों में तनाव बढ़ा हैं।
नई दिल्ली: कजान में हो रही BRICS शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच होने वाली द्विपक्षीय बैठक पर वैश्विक नजरें टिकी हैं। यह बैठक इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह दोनों नेताओं की पिछले पांच वर्षों में पहली औपचारिक बातचीत होगी, और यह ऐसे समय पर हो रही है जब दुनिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ा हुआ है, खासकर एशिया में। भारत और चीन के बीच पिछले कुछ वर्षों से सीमा विवाद और सैन्य गतिरोध की स्थिति बनी हुई हैं।
अमेरिका और पश्चिमी देशों की भी इस बैठक पर नजर है, क्योंकि भारत और चीन, दोनों एशिया के प्रमुख देश हैं और इनकी आपसी संबंधों का वैश्विक राजनीति और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव पड़ता है। बैठक से यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों नेता क्षेत्रीय स्थिरता, सीमा विवाद, व्यापारिक संबंध, और अन्य वैश्विक मुद्दों पर चर्चा करेंगे। इसके अलावा, BRICS के ढांचे के भीतर दोनों देशों के बीच सहयोग को भी और मजबूत करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं।
भारत-चीन के बीच कैसे बढ़ा तनाव?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच रूस के कजान में हो रही द्विपक्षीय बैठक 2019 के ब्राजील में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के बाद से पहली बार हो रही है। इस बैठक पर खासा ध्यान इसलिए भी है क्योंकि भारत और चीन के बीच 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद से संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। गलवान घाटी में हुई इस झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हो गए थे, जबकि चीन के भी कई सैनिकों की मौत हुई थी, हालांकि चीन ने आधिकारिक तौर पर अपने सैनिकों की मौत की सही संख्या सार्वजनिक नहीं की।
विदेश सचिव विक्रम मिस्री द्वारा दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता की पुष्टि ने इस बैठक की अहमियत को और बढ़ा दिया है। चार साल के तनाव और सैन्य गतिरोध के बाद अब यह पहली बार है कि भारत और चीन बातचीत के माध्यम से गतिरोध समाप्त करने और रिश्तों में सुधार के प्रयास कर रहे हैं। इस बैठक से यह उम्मीद की जा रही है कि दोनों देश सीमा पर शांति और स्थिरता स्थापित करने के उपायों पर बातचीत करेंगे।
भारत-चीन के लिए महत्वपूर्ण हैं यह बैठक
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग और सैन्य गतिरोध को लेकर भारत और चीन के बीच बनी सहमति के बाद कजान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की बैठक एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है। दोनों देशों के बीच कई वर्षों से जारी सैन्य तनाव, विशेष रूप से 2020 के गलवान घाटी संघर्ष के बाद, अब समाप्ति की ओर बढ़ता दिखाई दे रहा है। चीन द्वारा इस समझौते की पुष्टि ने यह स्पष्ट कर दिया है कि दोनों देश इस मुद्दे को शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं।
समझौते के अनुसार, दोनों देशों की सेनाएं LAC पर पेट्रोलिंग और सैन्य गतिविधियों को लेकर एक सहमति पर पहुंची हैं, जो सीमा पर शांति बहाल करने के लिए एक सकारात्मक कदम है। इस बैठक से उम्मीद की जा रही है कि भारत और चीन के बीच अन्य क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाने के रास्ते खुलेंगे और दोनों देश सीमा पर स्थिरता बनाए रखने के लिए नए उपायों पर चर्चा करेंगे।