ग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) को सोशल मीडिया पर एक हल्के-फुल्के मजाक के चलते भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। मामला तब बढ़ा जब ECB ने 'ऐश बुधवार' पर पोप फ्रांसिस के संदेश के जवाब में 'एशेज' टेस्ट सीरीज से जुड़ा एक चुटीला कमेंट कर दिया।
लंदन: इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) को सोशल मीडिया पर एक हल्के-फुल्के मजाक के चलते भारी आलोचनाओं का सामना करना पड़ा। मामला तब बढ़ा जब ECB ने 'ऐश बुधवार' पर पोप फ्रांसिस के संदेश के जवाब में 'एशेज' टेस्ट सीरीज से जुड़ा एक चुटीला कमेंट कर दिया। धार्मिक संवेदनाओं को ठेस पहुंचने के बाद ECB को न केवल अपनी पोस्ट हटानी पड़ी, बल्कि सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगनी पड़ी।
कैसे शुरू हुआ विवाद?
14 फरवरी को ईसाई धर्म में महत्वपूर्ण माने जाने वाले 'ऐश बुधवार' पर पोप फ्रांसिस ने सोशल मीडिया पर एक संदेश साझा किया। इस संदेश में उन्होंने राख (ऐश) के प्रतीकवाद और आध्यात्मिकता पर जोर देते हुए लिखा, "राख हमें याद दिलाती है कि हम कौन हैं और हमें विनम्र बनाती है। यह हमें हमारी सीमाओं का एहसास कराती है और हमें ईश्वर के करीब लाती हैं।"
ECB ने इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए लिखा, "पोप को भी एशेज (Ashes) बहुत पसंद हैं।" इस मजाक का सीधा संबंध इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेले जाने वाली एशेज टेस्ट सीरीज से था। हालांकि, सोशल मीडिया पर कई लोगों को यह टिप्पणी असंवेदनशील लगी, खासकर तब जब पोप फ्रांसिस गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं।
ECB को माफी मांगनी पड़ी
पोप फ्रांसिस, जो इस समय डबल निमोनिया और फेफड़ों के संक्रमण से ग्रसित हैं, अस्पताल में भर्ती हैं। उनकी तबीयत को लेकर पहले से ही चिंता बनी हुई थी। ऐसे में ECB की टिप्पणी कई लोगों को अनुचित लगी। वेटिकन समर्थकों और कई ईसाई समुदायों ने इसे धार्मिक मान्यताओं के प्रति असंवेदनशील करार दिया।
बढ़ते विवाद को देखते हुए ECB ने अपनी पोस्ट डिलीट कर दी और एक आधिकारिक बयान जारी कर माफी मांगी। ECB के प्रवक्ता ने कहा, "यह एक गलत निर्णय था। हमने तुरंत पोस्ट को हटा दिया और किसी भी तरह की ठेस पहुंचाने के लिए माफी मांगते हैं।"
क्या है ऐश बुधवार?
ऐश बुधवार ईसाई धर्म में एक पवित्र दिन माना जाता है, जो ईस्टर से पहले लेंट के 40 दिन की शुरुआत का प्रतीक होता है। इस दिन श्रद्धालु अपने माथे पर राख का क्रॉस बनवाते हैं, जो पवित्रता, पश्चाताप और आध्यात्मिक सफर का प्रतीक होता है। हालांकि, कुछ क्रिकेट प्रशंसकों ने ECB के पोस्ट को हल्के-फुल्के अंदाज में लिया, लेकिन धार्मिक मान्यताओं के प्रति संवेदनशील लोग इस मजाक को स्वीकार नहीं कर पाए। सोशल मीडिया पर हजारों लोगों ने ECB की आलोचना करते हुए कहा कि धार्मिक भावनाओं का सम्मान किया जाना चाहिए।