इजरायली सेना ने लेबनान में ताबड़तोड़ हवाई हमले शुरू कर दिए हैं, जिनका उद्देश्य हिजबुल्लाह के ठिकानों को निशाना बनाना बताया जा रहा है। इजरायली लड़ाकू विमानों ने बेरूत के दक्षिणी इलाकों में हमले किए हैं, जिससे क्षेत्र में स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई हैं।
बेरुत: इजरायल लगातार लेबनान में हिजबुल्लाह के ठिकानों पर भीषण बमबारी कर रहा है। बुधवार को तड़के, इजरायली विमानों ने छह दिन में पहली बार बेरूत के दक्षिणी इलाकों में हमले किए, जिससे क्षेत्र में स्थिति और भी गंभीर हो गई है। लेबनान के सरकारी मीडिया ने इन हमलों की जानकारी दी है, लेकिन अभी तक हताहत होने वालों की संख्या स्पष्ट नहीं हो पाई हैं।
यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब एक दिन पहले लेबनान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री नजीब मिकाती ने यह बताया था कि अमेरिकी सरकार ने इजरायल द्वारा राजधानी बेरूत में किए जा रहे हमलों में कमी लाने के लिए कुछ आश्वासन दिए हैं। इससे पहले, इजरायल ने हिजबुल्लाह द्वारा किए गए हमलों के जवाब में अपनी हवाई कार्रवाई जारी रखी थी। हालात को नियंत्रित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन संघर्ष के बढ़ते स्तर ने क्षेत्र में सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया हैं।
इजरायल ने हमले को लेकर क्या कहा?
इजरायल का कहना है कि वह बेरूत के उपनगरों में हिजबुल्लाह की संपत्तियों को निशाना बना रहा है, जहां यह आतंकवादी समूह सक्रिय है। हालांकि, यह क्षेत्र एक व्यस्त रिहायशी और वाणिज्यिक इलाका भी है, जिससे नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ गई है। इजरायली सेना ने बुधवार को एक रिहायशी इमारत में हथियारों के गोदाम को निशाना बनाते हुए हमले की पुष्टि की। इसके अलावा, इजरायली सेना ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर क्षेत्र को खाली करने की चेतावनी भी जारी की है, जिसमें कहा गया कि वह हारेत-हरीक इलाके में एक इमारत को निशाना बना रही हैं।
बेरुत पर इजराइल ने किया हमला
हिजबुल्लाह ने फलस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के प्रति एकजुटता दिखाते हुए आठ अक्टूबर को इजरायल में रॉकेट दागने की कार्रवाई शुरू की थी। इससे पहले, लेबनान की सरकारी 'नेशनल न्यूज एजेंसी' ने मंगलवार देर रात काना शहर में हुए इजरायली हमलों में 15 लोगों के मारे जाने और 15 अन्य के घायल होने की जानकारी दी थी। इस हमले पर इजरायली सेना ने अभी तक कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है।
काना, जो दक्षिण लेबनान में स्थित है, ऐतिहासिक रूप से संघर्ष का केंद्र रहा है। 1996 में, इसी क्षेत्र में संयुक्त राष्ट्र परिसर पर हुए इजरायली हमले में भी कई नागरिकों की जान गई थी। हालिया घटनाओं ने क्षेत्र में मानवता के संकट को और गहरा कर दिया है, जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय समुदाय की चिंता बढ़ गई है।