कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल ईरान के सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकता है, विशेष रूप से उन जगहों पर जहां से बैलिस्टिक मिसाइलों का उत्पादन किया जाता है। ये हमले मंगलवार को इजरायल पर हुए हमलों के जवाब में हो सकते हैं, जिनमें मिसाइलों का उपयोग किया गया था।
बेरुत: इजरायल ने ईरान के मिसाइल हमले का कड़ा जवाब देने की कसम खाई है। मंगलवार (1 अक्टूबर) को, ईरान ने 180 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें इजरायल पर दागीं, जिनमें से अधिकांश को इजरायल के रक्षा प्रणाली ने निष्क्रिय कर दिया, लेकिन कुछ निशाने पर लगीं, जिससे नुकसान हुआ। अब कयास लगाए जा रहे हैं कि इजरायल बदले में क्या कदम उठा सकता है। उसके पास ईरान के न्यूक्लियर और ऑयल प्लांट पर हमला करने, साइबर अटैक या सैन्य ठिकानों पर हमला करने के विकल्प मौजूद हैं।
इजरायल ने ईरान के सैन्य ठिकानों को बनाया निशाना
कुछ विश्लेषकों का मानना है कि इजरायल ईरान के उन सैन्य ठिकानों पर हमला कर सकता है, जहां से बैलिस्टिक मिसाइलों का उत्पादन होता है, खासकर मंगलवार के हमलों में इस्तेमाल की गई मिसाइलों की निर्माण स्थलों पर। इसके अलावा, इजरायल ईरानी वायु रक्षा प्रणालियों और मिसाइल लॉन्चिंग सुविधाओं को भी निशाना बना सकता है। वाशिंगटन ने तेहरान पर रूस को यूक्रेन के खिलाफ इस्तेमाल के लिए मिसाइल सप्लाई करने का आरोप लगाया है, हालांकि दोनों देश इस आरोप से इनकार करते हैं। विश्लेषकों के अनुसार, यह जवाबी कार्रवाई का सबसे कठोर रूप हो सकता हैं।
ईरान के परमाणु ठिकानों को किया ध्वस्त
विशेषज्ञों का मानना है कि इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर हमला करने से तेहरान की परमाणु हथियार बनाने की क्षमता प्रभावित हो सकती है। ईरान के परमाणु कार्यक्रम के कई हिस्से भूमिगत हैं, जिससे उन पर हमला करना जटिल हो जाता है। एक बड़े हमले के गंभीर परिणाम हो सकते हैं, जिसमें ईरान भी हथियारों की दौड़ में शामिल हो सकता है। हालांकि, अमेरिका ने इजरायल की तरफ से इस तरह के हमले का समर्थन नहीं किया है। ईरान ने हमेशा परमाणु हथियार बनाने के आरोपों से इनकार किया है, लेकिन IAEA और अमेरिकी खुफिया एजेंसियों का मानना है कि ईरान ने 2003 तक एक समन्वित परमाणु हथियार कार्यक्रम चलाया था।
क्या है साइबर वॉर?
इजरायल की ओर से मिसाइल हमले के जवाब में सैन्य कार्रवाई या मिसाइल हमले की संभावना अधिक है, लेकिन इसके अलावा वह साइबर युद्ध क्षमताओं का भी उपयोग कर सकता है। अमेरिका पहले से ही ईरान पर भारी प्रतिबंध लगा चुका है और राष्ट्रपति जो बाइडन ने और प्रतिबंध लगाने की बात कही है। इजरायल की गुप्त यूनिट 8200, जो साइबर युद्ध और खुफिया क्षेत्र में विशेषज्ञ है, ईरानी हमलों का जवाब देने में अहम भूमिका निभा सकती है। यह यूनिट पहले भी हिज़बुल्लाह के खिलाफ साइबर ऑपरेशनों में सक्रिय रही हैं।
इजरायल ईरान के पेट्रोलियम उद्योग को निशाना बनाकर उसकी अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा सकता है, जिससे ईरान सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देशों में तेल उत्पादन स्थलों पर हमले के लिए प्रेरित हो सकता है। इससे वैश्विक ईंधन की कीमतों में वृद्धि हो सकती है, जो अमेरिकी चुनावों के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। पूर्व रक्षा अधिकारी डेविड डेस रोचेस ने कहा कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी इजरायल को अपनी सैन्य कार्रवाई से रोक नहीं पाएगी।