Israel-Lebanon Ceasefire: इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष पर युद्धविराम का ऐलान, भारत और अमेरिका ने किया स्वागत

Israel-Lebanon Ceasefire: इजरायल-हिजबुल्लाह संघर्ष पर युद्धविराम का ऐलान, भारत और अमेरिका ने किया स्वागत
Last Updated: 27 नवंबर 2024

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच संघर्ष पर युद्धविराम का निर्णय लिया गया, जिसे भारत ने स्वागत किया। विदेश मंत्रालय ने तनाव कम करने और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया, वहीं अमेरिका ने भी इस फैसले पर खुशी जताई।

Israel-Lebanon Ceasefire: इजरायल और लेबनान के बीच लंबे समय से जारी संघर्ष को समाप्त करने के लिए अब युद्धविराम पर सहमति बन गई है। यह युद्धविराम दोनों देशों के बीच पिछले कई महीनों से चल रहे हिंसक संघर्ष के बाद लिया गया है, जिसे वैश्विक समुदाय द्वारा भी संज्ञान में लिया गया। इस निर्णय को लेकर भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है। भारत ने कहा कि उसने हमेशा तनाव कम करने, संयम बरतने और बातचीत एवं कूटनीति के रास्ते पर लौटने का आह्वान किया है। मंत्रालय ने उम्मीद जताई कि इस संघर्ष का हल शांति और स्थिरता की ओर ले जाएगा, न कि और अधिक तनाव की ओर।

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम की शर्तें

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम की शर्तें तय की गई हैं, जिसके अनुसार 27 नवंबर की आधी रात (इजरायल समय) से यह समझौता लागू होगा। यह समझौता 60 दिनों के लिए युद्धविराम की शर्तों के तहत होगा, जिसमें इजरायली सैनिक लेबनान से वापस लौटेंगे और हिजबुल्लाह के लड़ाके इजरायली सीमा से हटेंगे। इस समझौते के तहत यह भी तय किया गया है कि यदि हिजबुल्लाह ने युद्धविराम का उल्लंघन किया, तो इजरायल को जवाबी हमला करने का अधिकार होगा। हालांकि, इस प्रावधान पर लेबनान की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई है। 

अमेरिका और ब्रिटेन का इस समझौते पर स्वागत

अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने इस युद्धविराम समझौते का स्वागत करते हुए कहा कि यह मध्य पूर्व के लिए एक सकारात्मक कदम है। उन्होंने बताया कि उन्होंने लेबनान और इजरायल के प्रधानमंत्रियों से बात की और संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रस्ताव को दोनों देशों ने स्वीकार किया है। बाइडन ने इसे एक ऐतिहासिक निर्णय बताया और कहा कि इससे क्षेत्रीय शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बढ़ा है। 

वहीं, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर ने भी इस युद्धविराम का स्वागत किया और इस समझौते को मध्य पूर्व के स्थायीत्व के लिए आवश्यक कदम बताया। स्टार्मर ने कहा कि अब हमें गाजा में युद्धविराम समझौते, बंधकों की रिहाई और मानवीय सहायता पर लगे प्रतिबंधों को हटाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए।

विश्व समुदाय के लिए यह निर्णय क्यों महत्वपूर्ण है?

इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम की घोषणा केवल दो देशों के बीच संघर्ष को शांत करने के लिए नहीं है, बल्कि यह पूरी मध्य पूर्व और वैश्विक सुरक्षा पर भी प्रभाव डालने वाला एक महत्वपूर्ण कदम है। इन दो देशों के बीच जारी हिंसा और संघर्ष ने पूरे क्षेत्र को अशांत बना दिया था, जिससे नागरिकों और मानवाधिकारों पर गंभीर खतरे मंडरा रहे थे। युद्धविराम के बाद, दोनों देशों में शांति स्थापित होने की संभावना है, जिससे अन्य देशों को भी संघर्षों को कूटनीतिक तरीके से हल करने की प्रेरणा मिल सकती है। साथ ही, यह निर्णय दुनिया भर में शांति बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है।

भारत की भूमिका और कूटनीतिक दृष्टिकोण

भारत ने हमेशा अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में संवाद, संयम और सहयोग की आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत का मानना है कि किसी भी संघर्ष का समाधान बातचीत और कूटनीति के माध्यम से ही संभव है, और यही कारण है कि उसने इजरायल-लेबनान युद्धविराम के फैसले का स्वागत किया। भारत की विदेश नीति हमेशा शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व और क्षेत्रीय सुरक्षा के प्रति प्रतिबद्ध रही है। इस युद्धविराम के बाद, भारत का यह दृष्टिकोण और भी मजबूत हो जाता है, क्योंकि यह न केवल भारत की कूटनीति को सही साबित करता है, बल्कि यह उसे वैश्विक मंच पर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की स्थिति में भी रखता है।

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